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बनने से पहले जर्जर हो गया गोरखपुर विश्वविद्यालय का स्टेडियम, निर्माण के लिए 10 साल पहले अखिलेश सरकार ने दिया था धन

गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में निर्माणाधीन स्पोर्ट्स स्टेडियम रिवाइज बजट के चलते पूरा नहीं किया जा रहा है। ऐसे में निर्माण कार्य पूरा होने से पहले ही स्टेडियम जर्जर सा दिखने लगा है। इस स्टेडियम के निर्माण के लिए 2012 में अखिलेश सरकार ने धन दिया था।

By Pragati ChandEdited By: Updated: Mon, 16 May 2022 10:50 AM (IST)
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बनने से पहले जर्जर हो गया गोरखपुर विश्वविद्यालय का स्टेडियम।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। शासन और कार्यदायी संस्था की खींचतान के चलते दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में करीब एक दशक से बन रहा स्पोर्ट्स स्टेडियम खिलाड़ियों के काम आना तो दूर विश्वविद्यालय का नहीं हो सका है। यह रस्साकसी रिवाइज बजट को लेकर है। शासन बजट रिवाइज करने को तैयार नहीं है, कार्यदायी संस्था बिना बजट रिवाइज हुए निर्माण पूरा करने को तैयार नहीं। स्थिति यह है कि निर्माण कार्य पूरा होने से पहले ही स्टेडियम जर्जर सा दिखने लगा है। विश्वविद्यालय इस प्रकरण में खुद को असहाय पा रहा है।

इस स्टेडियम के निर्माण के लिए 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सरकार ने साढ़े चार करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे। कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम को इसके निर्माण की जिम्मेदारी दी गई। अनियमितता के आरोप और कार्यदायी संस्था की लेट-लतीफी की चलते निर्माण कार्य अति धीमी गति से चला। नतीजा निर्धारित दो वर्ष में कार्य पूरा नहीं हो सका। शासन ने जब इसे लेकर सख्ती की तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यदायी संस्था को दोषी बताया।

शासन ने जब कार्यदायी संस्था को तलब किया तो संस्था ने खर्च बढ़ने की बात कहकर रिवाइज बजट की शर्त रख दी। यह भी साफ तौर पर कह दिया किया पुराने इस्टीमेट पर निर्माण संभव नहीं। इस रस्साकसी में एक दशक बीत गया और स्टेडियम पूरा नहीं हो सका।

आडिट रिपोर्ट में उठ चुका है अनियमितता का मामला: स्टेडियम में अनियमितता की बात वरिष्ठ लेखा परीक्षा अधिकारी, प्रधान महालेखाकार कार्यालय, इलाहाबाद की आडिट रिपोर्ट में भी सामने आ चुकी है। आडिट रिपोर्ट में कहा गया था कि नक्शा पास कराए बिना ही कार्यदायी संस्था ने तीन करोड़ रुपये खर्च कर दिए। आडिटर के मुताबिक स्टेडियम का काम शुरू किए जाने से पूर्व कार्यदायी संस्था द्वारा न तो विस्तृत आगणन तैयार कराया गया, न ही तकनीकी स्वीकृति प्राप्त की गई। निर्माण गुणवत्तापरक हो, इसे सुनिश्चित करने के लिए गुणवत्ता जाच तकनीकी समिति का गठन तक नहीं किया गया।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलसचिव विशेश्वर प्रसाद ने बताया कि स्टेडियम को जल्द से जल्द पूरा करने को लेकर शासन गंभीर है। उच्च शिक्षा के विशेष सचिव मनोज कुमार इसी सिलसिले में 19 जून को गोरखपुर आ रहे हैं। पूरी कोशिश है कि अगले महीने तक स्टेडियम कार्यदायी संस्था से विश्वविद्यालय को हैंडओवर हो जाए।

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