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पूर्वांचल को तारों की दुनियां दिखाने वाली नक्षत्रशाला की फीकी पड़ी चमक, अधूरी हुई तारों की दुनिया

Gorakhpur Veer Bahadur Singh constellation नक्षत्रशाला जर्जर हो चुका है। यहां छह में से तीन प्रोजेक्टर खराब हो हो चुके हैं। ऐसे में आधी सीटों पर ही दर्शक बैठाए जा रहे हैं। साथ ही 45 मिनट का शो 30 मिनट में समेटा जा रहा है।

By Pragati ChandEdited By: Updated: Thu, 04 Aug 2022 09:50 AM (IST)
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Gorakhpur News: वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला। फोटो: जागरण-
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। नक्षत्रों के रहस्य से पर्दा उठाकर समूचे पूर्वांचल को तारों की दुनिया दिखाने वाली वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला जर्जर होने की वजह से अब अपनी यह जिम्मेदारी नहीं निभा पा रही। इसमें लगे आधे प्रोजेक्टर अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं। छह में से तीन प्रोजेक्टर तो पूरी तरह जवाब दे चुके हैं। इसकी वजह से इसमें दिखने वाली तारों की दुनिया न केवल फीकी पड़ गई है बल्कि अधूरी भी हो गई है। डोम के आधे क्षेत्र में ही शो दिखने के चलते आधी सीटों पर ही दर्शकों को बैठाया जा रहा है। प्रोजेक्टर के जर्जर होने के चलते दिन में तीन बार चलने वाला 45-45 का शो महज 30 मिनट में सिमट गया है। कई बार तो शो के बंद होने तक नौबत आ जा रही।

17 साल पहले पूरा हुआ था नक्षत्रशाला का निर्माण

90 के दशक में रामगढ़ताल परियोजना के तहत नक्षत्रशाला की नींव पड़ी। तमाम दिक्कतों के बाद 2005 में नक्षत्रशाला का निर्माण पूरा हुआ। 2006 में इसका लोकार्पण हुआ और संचालन की जिम्मेदारी जीडीए को सौंपी गई। जब जीडीए इसे नहीं चला सका तो 2008 में यह कार्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद को सौंप दिया गया। परिषद की देखरेख में 2009 में नक्षत्रशाला एक बार फिर संचालित होने लगी। तब से लेकर अबतक संचालन की प्रक्रिया नियमित चल रही है लेकिन अब यंत्रों के जर्जर होने से इसके बंद होने की नौबत भी आ गई है। इसमें लगे प्रोजेक्ट जर्जर तो हो ही गए हैं, तकनीकी की दौड़ में पीछे भी छूट गए हैं।

चार वर्ष से चल रहा प्रोजेक्टर बदलने का प्रयास

नक्षत्रशाला प्रशासन ने प्रोजेक्टर बदलने को लेकर प्रस्ताव भेजने का सिलसिला 2018 से ही शुरू कर दिया था। नया प्रोजेक्टर लगने तक पुराना प्रोजेक्टर सुचारु रूप से काम करता रहे, इसके लिए जब नक्षत्रशाला प्रशासन ने एक कंपनी से संपर्क साधा तो कंपनी ने साफ कर दिया कि यदि मशीनें बदली नहीं गईं तो वह कभी भी काम करना बंद कर देंगी। ऐसे में नक्षत्रशाला कब तक चलेगी, इसका जवाब संचालकों के पास नहीं है। प्रोजेक्टर को बदलकर नक्षत्रशाला को नया स्वरूप देने के लिए बीते चार वर्ष में नक्षत्रशाला प्रशासन की ओर से शासन को चार बार प्रस्ताव भेजा जा चुका है लेकिन उसके पास होने की स्थिति अबतक नहीं बन सकी है।

साइंस गैलरी भी हो चुकी है बंद

नक्षत्रशाला परिसर में वर्ष 2016 से एक साइंस गैलरी भी स्थापित है, जिसमें नक्षत्रों की दुनिया की जानकारी का क्रमिक विकास दिखाया गया है। इसके लिए इसमें गैलरी में लगाए गए करीब डेढ़ दर्जन प्रदर्श खराब हो चुके हैं। ऐसे में यह आज की तारीख में वह बंद हो चुकी है। प्रदर्शों को ठीक करने के लिए भेजे गए प्रस्ताव के स्वीकृत होने का इंतजार भी नक्षत्रशाला प्रशासन को है।

क्या कहते हैं अधिकारी

वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला के वैज्ञानिक अधिकारी महादेव पांडेय ने बताया कि नए अत्याधुनिक प्रोजेक्टर लगाकर नक्षत्रशाला को नया स्वरूप देने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। प्रस्ताव मंजूर होने के बाद धन स्वीकृत होते ही इसके जीर्णोद्धार की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

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