UP Lok sabha Election: महराजगंज लोकसभा सीट पर कसौटी पर चौधराहट, पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट में क्या कहती है जनता
पंकज चौधरी महराजगंंज लोकसभा से छह बार जीते हैं। उनसे मुकाबिल हैं लगातार पांच बार विधानसभा चुनाव हारने के बाद विधायक बने कांग्रेस के वीरेंद्र चौधरी। बसपा के मौसमे आलम पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं। यहां चुनावी बयार किस ओर जा रही है यह जानने के लिए मतदाताओं के मन को टटोलने की कोशिश की गई। प्रस्तुत है गोरखपुर के संपादकीय प्रभारी मदन मोहन सिंह की रिपोर्ट-
जल-जंगल और खेतीबाड़ी से समृद्ध महराजगंज पूर्वांचल के विशिष्ट संसदीय क्षेत्रों में सम्मिलित है। भाजपा ने केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है। पंकज चौधरी ने यहां छह बार जीत दर्ज कराई है। पिछले चुनाव में 3.4 लाख मतों से जीत सुनिश्चित की थी।
उनसे मुकाबिल हैं लगातार पांच बार विधानसभा चुनाव हारने के बाद विधायक बने कांग्रेस के वीरेंद्र चौधरी। बसपा के मौसमे आलम पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं। लेकिन, इस बार कुर्मी बिरादरी से वीरेंद्र चौधरी के मैदान में आने से चुनावी गणित कुछ उलझी हुई मानी जा रही है। आइएनडीआइ गठबंधन चुनाव मजबूती से लड़ रहा है, ऐसा क्षेत्र में दिख भी रहा है।
चमचमाती सड़कों के दोनों ओर खेत खाली हैं। कहीं-कहीं धान की बेहन के लिए बीज डाल दिए गए हैं। ज्यादातर किसान, मजदूर और गंवई मनई फुरसत में हैं। चुनावी चर्चा छेड़ने के बाद खूब बात करते हैं। बरवा उर्फ सियरहीभार में सुबह 10 बजे के करीब सभी लोग अपनी दिनचर्या में व्यस्त हैं। ग्राम प्रधान तौहीद उर्फ टुन्ना खान के दरवाजे पर कुर्सियां रखी हुईं हैं।
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कुछ ही देर में वहां आसपास के लोग आकर बैठ जाते हैं। चुनावी माहौल पर चर्चा शुरू होते ही सबसे पहले कौसर अली मुखर होते हैं। वह स्वीकारते हैं कि सबसे ज्यादा काम इसी सरकार में हुआ है। सरकार से योजनाएं आ रही हैं और उनमें किसी के साथ भेदभाव नहीं हैं। वोट उसी को देना लाजिमी है, जिसने काम किया है। । यह गांव परतावल के मुस्लिम बहुल गांवों के समूह ''42 गांवा'' का हिस्सा है।
यहीं के रहने वाले छात्र रजाउल मुस्तफा व्यवस्था में बदलाव चाहते हैं। दिल्ली की तरह बिजली मुफ्त में मांगते हैं। अब्दुल रहमान खान को इस बात की पीड़ा है कि प्राइवेट स्कूलों में बेहतर शिक्षा दी जा रही है, लेकिन गरीब का बच्चा वहां पढ़ नहीं सकता।
सरकारी स्कूलों में भी प्राइवेट की तरह गुणवत्ता पूर्ण पढ़ाई की व्यवस्था होनी चाहिए। प्राइवेट स्कूलों में फीस नियंत्रित होनी चाहिए। अगले गांव गोपालापुर में दुपहरिया में अचानक गरज-चमक के साथ घिरे बादल और मोटी-मोटी बूंदें 15 मिनट तक घनघोर। पांच मिनट के बाद ही मोजम्मिल मियां के दरवाजे का छप्पर छोटे दायरे में ही कई जगह टपकने लगता है।एक चौकी और तीन कुर्सी पर बैठे लोग इधर-उधर सरकने लगते हैं। क्या प्रधानमंत्री आवास नहीं मिला? जवाब मुजम्मिल के भाई शौकत देते हैं-नाहीं। प्रधान भी हमन के मकान ना न दिलाइहें। शिकायत दर्ज कराते हैं-शौचालय के लिए तीन बार दरखास दिया, हुआ कुछ नहीं।
बताते हैं- वृद्धा पेंशन समय से मिल जाता है। सरकार का काम ठीक है। सड़क का काम खूब हुआ है। बिजली भी ठीक आ रही है। लेकिन, न जाने कहां से लाकर मीटर लगा दिया है, नदी के पानी की तरह चल रहा है। 1.80 लाख रुपये का बिल आ गया है। मतदान किस अधार पर करेंगे, इसका जवाब था-देश हमार स्वतंत्र रहे, वोही के आधार पर वोट दीहल जाला।अभी तक तक अखिलेसै के वोट देत रहनी जा, लेकिन असौ के विचार भावना कुछ बदलल बा। धनहा बैजौली गांव के रहने वाले शकील अहमद वर्ष 1986 से ईंट के कारोबार से जुड़े हैं। बभनौली के समीप अपने भट्ठे पर मौजूद शकील अहमद कहते हैं-यहां तो बीजेपी की ज्यादा उम्मीद है।
अल्पसंख्यक की मन:स्थिति के सवाल पर बताते हैं-इस चुनाव में भाजपा के प्रति मुस्लिमों का नजरिया बदला है। सरकार जो काम कर रही है वह अच्छा है। यह भ्रम फैलाया गया था कि भाजपा मुस्लिमों के खिलाफ है। प्रधानमंत्री आवास का लाभ सभी वर्ग के गरीबों को मिल रहा है। लेकिन, मुफ्त राशन को शकील अहमद गलत मानते हैं।इसे भी पढ़ें-अखिलेश यादव-राहुल गांधी की रैली में भीड़ हुई अराजक, कुर्सियां तोड़ी ‘खटाखट-खटाखट’
कहते हैं कि बहुत जरूरी है तो निहायत जरूरतमंदों को ही मुफ्त में राशन मिलना चाहिए। अन्यथा इसका बजट शिक्षा और चिकित्सा सुविधाओं पर खर्च किया जाना चाहिए। परतावल में पनियरा रोड पर कपड़े की दुकान चलाने वाल हिकमत अली चुनाव के सवाल पर सधे शब्दों में जवाब देते हैं-जो काबिज है, वह आगे भी रहेगा।कोई लहर चली तभी वह उखड़ पाएगा। उनके ठीक सामने कपड़ा व्यवसायी गुड्डू भाई यानी अब्दुल वाहिद की दुकान पर हिजाब लगाईं महिलाओं की भीड़ है। अपने कामकाज के साथ चुनावी चर्चा भी जारी रखते हैं-''2014 में जब मोदी की सरकार बनी तो अल्पसंख्यकों को थोड़ा डर था कि सरकार हमारे साथ गलत कर सकती है।
धीरे-धीरे अब यह डर समाप्त हो गया है। अल्पसंख्यक समाज अपने को सुरक्षित महसूस कर रहा है। मुस्लिम महिलाएं भी स्वयं को सुरक्षित महसूस कर रहीं हैं।Ó घुघली से शिकारपुर की ओर आगे बढ़ने पर सड़क से लगा इकलौता घर है।यहां राकेश श्रीवास्तव मिलते हैं। बताते हैं-व्यवसाय प्रबंधन की पढ़ाई किए हैं और एक निजी कंपनी की डीलरशिप ले रखी है। कहते हैं-इस बार पंजे का शोर है, लेकिन भाजपा के लिए कोई मुसीबत नहीं है। परिणाम स्पष्ट है। महराजगंज जिला मुख्यालय के उद्योग तिराहे पर व्यवसायी आत्माराम गुप्ता मतदान का आधार विकास बताते हैं।
कहते हैं फेहरिस्त लंंबी है-भारत-नेपाल की सोनौली सीमा के समीप 847.72 करोड़ की लागत से इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट का निर्माण प्रगति पर है। चेकपोस्ट बनने से सोनौली सीमा पर प्राय: लगने वाले जाम से मुक्ति मिल जाएगी। पीपीपी माडल से मेडिकल कालेज का निर्माण पूर्ण हो चुका है।
19 एकड़ में बने मेडिकल कालेज में महराजगंज जिले के साथ ही पड़ोसी देश नेपाल, बिहार राज्य व कुशीनगर जिले के लोगों को इलाज कराने में सुविधा होगी। एमबीबीएस की पढ़ाई भी यहां वर्तमान शैक्षणिक सत्र में शुरू हो जाएगी। बहुत बड़ा काम हुआ है, आनंदनगर से घुघली तक 52.70 किलोमीटर रेल लाइन निर्माण के लिए 958.27 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हो गया है।इसके लिए किसानों को मुआवजा वितरण व भूमि अधिगृहण का कार्य आरंभ हो चुका है। आत्माराम गुप्ता भी चुनाव परिणाम के प्रति आश्वस्त हैं। जीत-हार के आंकड़े को समीकरणों की गणित से जोड़ने-घटाने लगते हैं।
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