पूर्वांचल-बिहार और नेपाल की महिलाओं को बहरा बना रही घरेलू हिंसा, कान से न सुनाई देने की ये है बड़ी वजह
गोरखपुर एम्स में कान का इलाज कराने आ रही महिलाओं ने चौंकाने वाली वजह बताई है। उनका कहना है कि मारपीट के बाद उन्हें कान से कम सुनाई देने व बिल्कुल न सुनाई देने की समस्या आ रही है। इन महिलाओं में पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार के साथ नैपाल की महिलाएं भी शामिल हैं। आइए जानते हैं डॉक्टरों की सलाह...
दुर्गेश त्रिपाठी, गोरखपुर। तेज आवाज या सर्दी-जुकाम नहीं, बल्कि घरेलू हिंसा महिलाओं को बहरा बना रही है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर की ओपीडी में आने वालीं महिलाओं के कान के पर्दे फटने के मामले में यही हकीकत सामने आई है। कान के पर्दे फटने की वजह पूछने पर ज्यादातर महिलाएं घर में पति से हुई मारपीट के बाद कान से न सुनाई देने की जानकारी देती हैं।
अमूमन माना जाता है कि कान के पर्दे में छेद की मुख्य वजह तेज आवाज, ज्यादा समय तक सर्दी-जुकाम, कान में कुछ गिरने, सिर में चोट लगने, कान के बीच के हिस्से में संक्रमण होने या हवा के दबाव में तेजी से हुआ बदलाव होता है, लेकिन पूर्वांचल, बिहार और यहां तक कि नेपाल से आने वालीं कुछ महिलाओं में कान के पर्दे में छेद की वजह मारपीट मिली है। अब डाक्टर इसका पूरा डाटा इकट्ठा करने जा रहे हैं।
ईएनटी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. रुचिका अग्रवाल के मुताबिक, ओपीडी में कान के पर्दे फटने की समस्या वाले रोगी बहुत ज्यादा आते हैं। इनमें महिलाओं की संख्या की अच्छी-खासी होती है। महिलाओं का कहना है कि मारपीट की वजह से दिक्कत हुई है। कान में तेल न डालें, नहाते समय रूई जरूर डाल लें, ताकि पानी कान में न जाए। कान का पर्दा फटकर पीछे मौजूद हड्डी से चिपक जाता है। ज्यादा दिन तक उपचार न होने से संक्रमण के कारण हड्डी गलने लगती है।
70 प्रतिशत मामलों में मारपीट ही कारण
डाक्टरों का कहना है कि कान के पर्दे फटने के 70 प्रतिशत मामलों में मारपीट या थप्पड़ कारण है। इसमें महिलाओं की संख्या 40 प्रतिशत के आसपास है। 20 से 40 वर्ष के युवाओं के कान के पर्दे फटने के मामले भी बहुत ज्यादा आ रहे हैं।
ये हैं लक्षण
- अचानक कम सुनाई देना।
- कान में तेज दर्द होना।
- कान से मवाद निकलना।
- कान में भिनभिनाहट या घंटी की आवाज आना।
पर्दे फटने के 35 से 40 रोगी आ रहे
नाक, कान व गला रोग की ओपीडी में रोजाना आने वाले 250 से ज्यादा रोगियों में 35 से 40 के कान के पर्दे फटे मिलते हैं। संख्या ज्यादा होने के कारण ऐसे रोगियों को पर्दे ठीक कराने के लिए आपरेशन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
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क्या कहती हैं अधिकारी
एम्स के नाक, कान व गला रोग विभाग की ओपीडी में आने वाले कई रोगियों को आपरेशन की जरूरत होती है। इनका आपरेशन किया जा रहा है। विशेषज्ञों की टीम उपचार करती है। ज्यादा से ज्यादा रोगियों को जल्द फायदा मिले, इसके लिए व्यवस्था और दुरुस्त की जा रही है। -प्रो. सुरेखा किशोर, कार्यकारी निदेशक, एम्स