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जानें, यहां दर्जनों गांवों का पानी क्‍याें नहीं रह गया पीने के लायक Gorakhpur News

यह पानी किसी भी कीमत पर पीने लायक नहीं है। सरदारनगर रेलवे स्टेशन के हैंडपंप से निकले पानी की जांच में टीडीएस 2423 निकला है जबकि लिमिट 500 तक ही है।

By Satish ShuklaEdited By: Updated: Mon, 07 Oct 2019 09:00 PM (IST)
जानें, यहां दर्जनों गांवों का पानी क्‍याें नहीं रह गया पीने के लायक Gorakhpur News
गोरखपुर, जेएनएन। सरदारनगर क्षेत्र के कई गांवों में पेयजल को पूरी तरह से दूषित हो गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की ओर से गठित मॉनीटरिंग कमेटी की जांच रिपोर्ट में यह तथ्य उजागर हुए हैं। जांच रिपोर्ट के अनुसार डिस्टिलरी की वजह से फैले प्रदूषण ने सरदारनगर क्षेत्र के कई गांवों में पेयजल को पूरी तरह से दूषित कर दिया है। कमेटी की रिपोर्ट में यहां के पानी का परीक्षण कर जो तथ्य पेश किए गए हैं, वे पेयजल के लिए निर्धारित मानकों की तुलना में काफी खराब स्थिति में है।

शिकायत के बाद पहुंची विशेषज्ञों की टीम

एक शिकायत के बाद प्रदूषण विभाग के विशेषज्ञों के साथ जांच करने पहुंची टीम ने खुली जमीन पर डिस्टिलरी से निकलता कचरा जमा होता पाया। यह जमीन (लागून) 78000 क्यूबिक मीटर यानी करीब 45 डिसमिल में फैली है और छिपी हुई पाइप के जरिये इस कचरे को नाले में प्रवाहित करते भी पाया गया। इस कारण राप्ती नदी का जल भी प्रदूषित हो रहा है।

किसी भी कीमत में पानी पीने योग्‍य नहीं

रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद पर्यावरणविद् एवं गोरखपुर विवि पर्यावरण विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. डीके सिंह ने बताया कि पानी की जांच का जो परिणाम रिपोर्ट में दिया गया है, वह मानकों का उपहास उड़ाने वाला है। यह पानी किसी भी कीमत पर पीने लायक नहीं है। सरदारनगर रेलवे स्टेशन के हैंडपंप से निकले पानी की जांच में टीडीएस 2423 निकला है, जबकि लिमिट 500 तक ही है।

देना होगा पांच करोड़ 96 लाख

सरैया डिस्टिलरी को शुरू से ही प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार माना गया है और पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में यूनिट को पांच करोड़ 96 लाख रुपये जमा कराना होगा। तीन महीने में रेलवे स्टेशन पर ओवरहेड टैंक का निर्माण कराना होगा। गांवों में भी ओवरहेड टैंक बनाना होगा।        

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