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यूजीसी-एचआरडी सेंटर के फेकेल्टी इंडक्शन प्रोग्राम में बोली प्रो. कल्‍पलता, शिक्षक में मानवीय गुण होना आवश्यक

शिक्षक समाज को दिशा देता है। वह विद्यार्थियों को पढ़ाने के साथ-साथ मार्गदर्शन भी करता है। ऐसे में उसके भीतर मानवीय गुणों का होना बहुत जरूरी है। वर्तमान में समाज में व्याप्त यांत्रिकता को मानवीयता में परिवर्तित करने की जरूरत है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Updated: Fri, 07 Jan 2022 02:50 PM (IST)
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शिक्षक में मानवीय गुण होना आवश्यक। प्रतीकात्‍म फोटो
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। शिक्षक समाज को दिशा देता है। वह विद्यार्थियों को पढ़ाने के साथ-साथ मार्गदर्शन भी करता है। ऐसे में उसके भीतर मानवीय गुणों का होना बहुत जरूरी है। वर्तमान में समाज में व्याप्त यांत्रिकता को मानवीयता में परिवर्तित करने की जरूरत है। यह बातें जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. कल्पलता पांडेय ने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के यूजीसी-एचआरडी सेंटर में छह जनवरी को फेकेल्टी इंडक्शन प्रोग्राम के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं।

नई शिक्षा नीति में विद्यार्थी के मानवीय गुणों के विकास पर दिया गया है बल

उन्होंने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस बार पर विशेष बल दिया गया है कि पढ़ाई के दौरान शैक्षिक गुणवत्ता के साथ-साथ विद्यार्थियों के मानवीय मूल्यों का विकास भी किया जाए। शिक्षक स्वयं मानवीय गुणों और मूल्यों से समृद्ध होगा तभी वह विद्यार्थियों को ज्ञान, कौशल, विनय, शीलता, स्वावलंबन, संस्कार एवं चरित्रवान बनने की प्रेरणा दे सकता है।

शिक्षा को अर्थव्‍यवस्‍था से जोड़ना जरूरी

अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने कहा कि शिक्षा को अर्थव्यवस्था से जोडऩे की जरूरत है। हमें ऐसी शैक्षिक प्रणाली की ओर बढऩा है, जो बाजार की चुनौतियों का सामना कर सके। क्योंकि दुनियाभर के विश्वविद्यालयों में इसी अनुरूप पढ़ाई हो रही है। आने वाले समय में हमें शिक्षा के क्षेत्र यदि आगे बढऩा है और ग्लोबल रैकिंग में आना है, तो नए प्रयोगों के साथ शैक्षिक गुणवत्ता को बढ़ाना पड़ेगा। अतिथियों का स्वागत एचआरडीसी के निदेशक प्रो. रजनीकांत पांडेय ने किया। प्रो. अजय शुक्ल ने प्रोग्राम की उपयोगिता और उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि एक महीने के इस प्रोग्राम में विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों के शिक्षक प्रतिभाग कर रहे हैं। संचालन डा. मनीष पांडेय ने किया।

विज्ञान के प्रयोग से ही समाज से दूर होंगी कुरीतियां

विज्ञान के प्रयोग से ही समाज में व्याप्त अंधविश्वासों एवं कुरीतियों को दूर किया जा सकता है। इसलिए सभी को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। यह बातें जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य डा.भूपेंद्र कुमार सिंह ने कही। वह डायट में क्षेत्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र तथा वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला के संयुक्त तत्वाधान में तीन दिवसीय गणित एवं वैज्ञानिक चमत्कारों पर आधारित कार्यशाला के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

दिखाए गए विज्ञान के चमत्‍कार

उन्होंने बताया कि तीन दिन के इस आयोजन में विषय विशेषज्ञों ने विज्ञान में चमत्कारों पर आधारित विभिन्न प्रकार के प्रयोगों को सफलता पूर्वक करके दिखाया तथा उसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों का भी विस्तार से चर्चा की। इनमें जीभ पर कपूर जलाना, आग से स्नान करना तथा रस्सी को काटकर पुन: जोडऩा आदि चमत्कार शामिल रहे। कार्यशाला के अंत में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागी प्रशिक्षुओं को प्राचार्य ने पुरस्कृत किया। कार्यक्रम का संचालन आदित्य कुमार पांडेय ने गया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से धनंजय कुमार सिंह, अमृत उपाध्याय, रंजना सिंह, प्रेमचंद, वासुदेव, साहिबे आलम अंसारी, अजय कुमार मिश्र, श्रीनिवास मिश्रा, राकेश कुमार, वेद प्रकाश सिंह, भगवती नंदन मिश्र, सुगंधा पांडेय समेत डायट के प्रशिक्षु मौजूद रहे।

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