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भूकंप के बाद नेपाल में बढ़े संक्रामक रोग, शोध में हुआ खुलासा; गोरखपुर में भी खतरा

Nepal earthquakes Effect नेपाल में आए भूकंपों के बाद संक्रामक रोगों में तेजी से वृद्धि हुई है। हैजा स्क्रब टाइफस जापानी इंसेफ्लाइटिस और मलेरिया जैसे रोगों ने लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। इस लेख में हम नेपाल में भूकंप के बाद फैलने वाले संक्रामक रोगों के कारणों जोखिम कारकों और रोकथाम की रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

By Durgesh Tripathi Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 03 Nov 2024 02:26 PM (IST)
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नेपाल में भूकंप आने के बाद से बदली स्‍थ‍िति। जागरण (सांकेतिक तस्‍वीर)
दुर्गेश त्रिपाठी, जागरण, गाेरखपुर। वर्ष 2015 में आए भूकंप के बाद पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में संक्रामक रोग तेजी से बढ़े। हैजा, स्क्रब टाइफस के साथ ही जापानी इंसेफ्लाइटिस, मलेरिया आदि रोगों के फैलने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। भूकंप के कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ने से इन रोगों के निदान में भी देर हुई।

वर्ष 2023 में एक बार फिर नेपाल में भूकंप आया तो भी संक्रामक रोग तेजी से फैले। नेपाल के साथ ही एम्स गोरखपुर के माइक्रोबायोलाजी, पुणे और इराक के विशेषज्ञों ने नेपाल में भूकंप के बाद संक्रामक रोगों के फैलने का अध्ययन किया।

इस अध्ययन को द इजिप्टियन जर्नल आफ इंटर्नल मेडिसिन में प्रकाशित किया गया है। नेपाल से सटे होने के कारण गोरखपुर और आसपास के क्षेत्र भूकंप के जोन चार में आते हैं। इसकी भौगोलिक स्थिति बाढ़, बिजली और सूखे के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। अध्ययन के आधार पर पानी की उपलब्धता, सफाई आदि पर जागरूकता अभियान तेज करने की बात हो रही है।

हर वर्ष आते हैं 10 लाख से ज्यादा भूकंप

दुनिया में हर साल 10 लाख से ज्यादा भूकंप आते हैं। पिछले 25 वर्ष में भूकंप से पांच लाख 30 हजार से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी है। आपदा के 20 वर्ष के विश्लेषण से पता चलता है कि आए 552 भूकंप वैश्विक स्तर पर सभी आपदाओं का आठ प्रतिशत हैं।

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तूफान की 2043 घटनाएं कुल आपदा का 28 प्रतिशत है। बाढ़ की 3254 घटनाएं कुल आपदा का 44 प्रतिशत हैं। नेपाल भारतीय और यूरेशियन प्लेट सीमाओं पर स्थित है। इस कारण यह भूकंप के लिए सक्रिय क्षेत्र बनाता है। नेपाल में भूकंप का एक लंबा इतिहास है क्योंकि यह दुनिया के सबसे भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक में स्थित है। नेपाल का पहला भूकंप सात जून 1255 में दर्ज किया गया था। उस समय वहां के राजा अभय मल्ल थे।

वर्ष 2015 में हुई थी 8856 मृत्यु

नेपाल में सदी का सबसे बड़ा भूकंप वर्ष 2015 में आया था। इसमें 22 हजार 309 लोग घायल हुए थे और 8856 की मृत्यु हुई थी। सबसे ज़्यादा प्रभावित जिला सिंधुपाल चौक था। यहां 3532 लोगों की मृत्यु हुई थी। नेपाल की राजधानी काठमांडू में 1226 लोगों की मृत्यु हुई थी।

ये रोग ज्यादा

अध्ययन में श्वसन और वेक्टर जनित रोग ज्यादा मिले। पेट के रोग, खसरा, इंसेफ्लाइटिस आदि रोग भी बढ़े। काठमांडू में तीव्र पानी वाले दस्त के 76 मामले सामने आए। इसे विब्रियो कोलेरा बताया गया। 30 जून, 2016 को हैजा का पहला मामला सत्यापित किया गया था।

इसी वर्ष नेपाल के 47 जिलों में स्क्रब टाइफस के मामलों की संख्या बढ़कर 831 हो गई और साल के अंत तक 14 लोगों ने इस प्रकोप से अपनी जान गंवा दी। तब से अब तक नेपाल में स्क्रब टाइफस के 1435 मामले सामने आ चुके हैं। आपदा के एक साल बाद किए गए सर्वेक्षण में नेपाल के प्रभावित जिलों के बच्चों ने भूकंप से पहले की तुलना में अधिक बार श्वसन संक्रमण और दस्त होने की बात कही।

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यह सिफारिश

  • हर प्रभावित जिले में रोग की निगरानी और प्रकोप नियंत्रण के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी और प्रतिक्रिया प्रणाली बनाना।
  • केंद्रीय निगरानी टीम को दैनिक रुग्णता डेटा की रिपोर्ट करना।
  • रोग की चेतावनियों पर तुरंत गौर करने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया टीमों का गठन करना।
  • प्रभावित आबादी को आपातकालीन स्थितियों की आवश्यकता के बारे में शिक्षित करना।
  • अच्छी स्वच्छता बनाए रखना। बार-बार हाथ धोना और जल शोधक एजेंटों के उपयोग के बारे में जानकारी देना।
  • प्रभावित घरों में जलशोधक एजेंटों की जांच, उपचार और आपूर्ति करना।
  • स्वच्छता कारणों से अस्थायी शौचालयों का पुनर्निर्माण करना और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना।
  • टाइफाइड, जापानी इंसेफ्लाइटिस, टेटनस और खसरा के खिलाफ टीकाकरण।
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