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IPS Anshika Verma: साहस की मूर्ति बन बदमाशों के छक्के छुड़ा रहीं IPS अंशिका, इन कामों से मनवा चुकी हैं बहादुरी का लोहा

कैंट क्षेत्राधिकारी अंशिका वर्मा की एक तेजतर्रार अधिकारी महिलाओं और पीड़ित के अधिकार व सम्मान के लिए हमेशा तैयार रहना उनकी पहचान है। उनके परिवार में माता-पिता व दो बहनें हैं। अंशिका वर्मा ने बताया कि बचपन से ही सपना था कि महिला निर्बल व पीड़ित की आवाज बनूं। पढ़ाई के दौरान भी यह बात जेहन में हमेशा बनी रही। लक्ष्य हासिल करने के लिए सेल्फ स्टडी का सहारा लिया।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Tue, 09 Apr 2024 08:24 AM (IST)
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IPS Anshika Verma फर्जी स्टांप, मनी म्यूल जैसे गंभीर मामलों में मनवा चुकी हैं लोहा।

 सतीश पांडेय, गोरखपुर। IPS Anshika Verma नारी अब अबला नहीं रही। उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं है। इन वाक्यों को को असल जिंदगी में सच कर दिखाने वाली भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) की अधिकारी अंशिका वर्मा साहस की मूर्ति बनकर बदमाशों के छक्के छुड़ा रही हैं।

बचपन से ही उनमें देशप्रेम का जज्बा था, इसलिए इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद बिना कोचिंग के अपनी मेहनत व लगन से उन्होंने परीक्षा पास की और देश व आमजन की सेवा में जीवन को समर्पित कर दिया। निरंतर प्रयास और दृढ़ संकल्प के बल पर आइपीएस अधिकारी बनीं अंशिका वर्मा इस समय गोरखपुर में एएसपी/सीओ कैंट के पद पर तैनात हैं।

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फर्जी स्टांप व मनी म्यूल जैसे बड़े मामले का पर्दाफाश कर जालसाजों को जेल पहुंचाने के साथ ही वह अपनी बहादुरी और नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवा चुकी हैं। तीन बहनों में सबसे छोटी 2021 बैच की आइपीएस अधिकारी अंशिका वर्मा प्रयागराज की रहने वाली हैं।

इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई प्रयागराज के निजी स्कूल में पूरी करने के बाद इंजीनियर पिता ने बीटेक की पढ़ाई करने के लिए 2014 में अंशिका को नोएडा भेजा। 2018 में बीटेक की पढ़ाई पूरी हो गई लेकिन उनका सपना इंजीनियर बनना नहीं बल्कि आइपीएस अधिकारी बनना था।

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प्रयागराज लौटने के बाद घर पर ही सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की। 2019 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी लेकिन सफलता नहीं मिली। कुछ कर गुजरने की चाहत उन्हें नहीं रोक सकी और यूपीएससी परीक्षा 2020 में सफलता हासिल कर वह आइपीएस अधिकारी बनीं।

एक तेजतर्रार अधिकारी, महिलाओं और पीड़ित के अधिकार व सम्मान के लिए हमेशा तैयार रहना उनकी पहचान है। उनके परिवार में माता-पिता व दो बहनें हैं। अंशिका वर्मा ने बताया कि बचपन से ही सपना था कि महिला, निर्बल व पीड़ित की आवाज बनूं। पढ़ाई के दौरान भी यह बात जेहन में हमेशा बनी रही। लक्ष्य हासिल करने के लिए सेल्फ स्टडी का सहारा लिया।