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संवादी गोरखपुर: पाठकों के हाथ में किताब पहुंचना जरूरी, जागरण हिंदी बेस्टसेलर में खुलकर हुई चर्चा

Jagran Sanvadi संवादी गोरखपुर में जागरण हिंदी बेस्टसेलर विषय पर विशेष सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में लेखकों ने साहित्य के विविध पहलुओं पर चर्चा की। विनीता अस्थाना और भगवंत अनमोल जैसे लेखकों ने अपने अनुभव साझा किए। इस सत्र में हिंदी साहित्य की परिभाषा लेखन में धर्म-अध्यात्म की भूमिका और प्रकाशन तक के सफर पर भी चर्चा हुई।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 27 Oct 2024 02:24 PM (IST)
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संवादी के सत्र जागरण हिंदी बेस्टसेलर में बोलतीं साहित्यकार विनीता अस्थाना, भगवंत अनमोल व संचालन करते नवीन चौधरी l जागरण
 अरुण चन्द, जागरण गोरखपुर। साहित्य को दायरे में नहीं बांधा जा सकता है। इसमें सभी का समावेश है। जितनी विविधता होगी, कहानी उतनी ही पसंद की जाएगी। अंत:करण को जोड़ने वाले विषय ही पसंद किए जाते हैं। विषय चयन का यह मजबूत आधार है।

किताबों के विषय से लेकर हिंदी में साहित्य की परिभाषा और लेखन में धर्म-अध्यात्म को जगह देने समेत प्रकाशन तक के सफर पर बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में आयोजित जागरण संवादी के विशेष सत्र ‘जागरण हिंदी बेस्टसेलर’ में खुलकर चर्चा हुई।

संचालन कर रहे उपन्यासकार नवीन चौधरी ने जब डिजिटल माध्यम की वजह से कम पढ़े-लिखे जाने पर चिंता जताई तो बहुत अल्प समय में बेहया, दरकते दायरे जैसी रचनाओं के जरिए पाठकों में अलग पहचान बना चुकीं विनीता अस्थाना ने उनका समर्थन किया।

योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में आयोजित दैनिक जागरण संवादी के दूसरे दिन के दूसरे सत्र में जागरण हिंदी बेस्टसेलर में बोलते साहित्यकार भगवंत अनमोल। साथ में विनीता अस्थाना व नवीन चौधरी। जागरण


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उन्होंने कोरोना काल का उदाहरण रखते हुए कहा कि लाकडाउन में तेजी से ऐसे पाठक बढ़े। नई किताबें, नए लेखकों को एक नया आयाम मिला। किताबों के विषय पर चर्चा उठी तो अपनी पुस्तक जिंदगी 50-50 के लिए साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2022 से सम्मानित हो चुके भगवंत अनमोल ने बड़ी साफगोई से कहा कि आप चाहे जितना भी अच्छा लिखें, पाठकों के हाथ में जब तक किताबें नहीं पहुंचतीं, कोई मतलब नहीं रह जाता।

उन्होंने दैनिक जागरण का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जो किताब पहले बिल्कुल नहीं बिक रही थी, वह जागरण बेस्ट सेलर की सूची में जुड़ते ही तेजी से बिकने लगी। किताबों के विषय पर विनीता अस्थाना ने कहा जो भी विषय अंत:करण को जोड़े और जिससे आप खुद सहमत हों, उसे चुनना चाहिए।

बेहया शुरू में बहुत ट्रोल हुई। मेरी दूसरी किताब दरकते दायरे में समलैंगिकता पर बात की गई है। इस विषय पर अपने देश में अभी बहुत कम बात होती है। इसे स्वीकारना कठिन है। लेकिन, शुरुआत में विरोध के बाद लोगों ने इसे स्वीकारा।

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संचालनकर्ता नवीन चौधरी ने जब कहा कि विधाओं को लेकर विषय सीमित हो रहे हैं, तो भगवंत अनमोल ने उन्हें रोकते हुए कहा कि सोच रोकी नहीं जा सकती। मेरा मानना है कि लेखन के माध्यम से हर दिशा बदलनी चाहिए। जिंदगी 50-50 में मैनें जब किन्नरों के विषय पर लिखा तो उसका बहुत अच्छा महत्व मिला।

अंग्रेजी की तुलना में हिंदी में धर्म, संस्कृति पर कम लिख जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए विनीता अस्थाना ने कहा कि कुछ वर्षों में लोग इसपर लिखने से बचने लगे हैं। लेकिन, मैं अपने लेखन में धर्म और अध्यात्म को जगह देती हूं। आखिरी में सवाल-जवाब की सिलसिला भी चला और मंच पर मौजूद उपन्यासकारों ने लोगों की जिज्ञाशाएं शांत कीं।

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