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...और 24 साल बाद कागज में भी जिंदा हुए गोरखपुर के जोगिंदर, विभाग ने मानी गलती; दोषियों पर हो सकती है कार्रवाई

24 साल पहले कूटरचना कर जोगिंदर को कागज में मृत घोषित कर दिया गया था। कागजों में जिंदा होने के लिए उनके पिता पारस अधिकारियों के यहां चक्कर लगाकर गुहार लगा रहे थे। मामले को लेकर दैनिक जागरण में लगातार खबरें प्रकाशित हुईं। जिसका संज्ञान लेते हुए जोगिंदर का नाम परिवार रजिस्टर में जीवित रूप में दर्ज कर लिया गया।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Fri, 06 Oct 2023 09:41 AM (IST)
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जोगिंदर को परिवार रजिस्टर की नकल प्रदान करते ब्लाक कर्मी। जागरण

जागरण संवाददाता, भटहट (गोरखपुर)। भटहट ब्लाक क्षेत्र की ग्राम पंचायत जंगल टिकरिया के जोगिंदर पुत्र पारस आखिरकार 24 वर्ष बाद कागजों में भी जिंदा हो गए। दैनिक जागरण में जोगिंदर की पीड़ा को लेकर लगातार प्रकाशित हुईं खबरों का संज्ञान लेकर उनका नाम परिवार रजिस्टर में जीवित रूप में दर्ज कर लिया गया। भटहट के खंड विकास अधिकारी आनंद कुमार गुप्ता ने जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश को आख्या भी भेज दी है।

जोगिंदर को मृतक दर्ज करने को गलत माना गया है। विभाग ने इस गलती को भी स्वीकार किया है। कूटरचना करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई भी हो सकती है। गुरुवार को खंड विकास अधिकारी, एडीओ पंचायत सुनील कुमार यादव, वर्तमान सचिव आनंद वरुण और पूर्व में तैनात रहे दो सचिवों ने पूरे दिन कागजी औपचारिकताएं पूरी कीं। शाम लगभग चार बजे जोगिंदर का नाम परिवार रजिस्टर में जीवित के रूप में दर्ज हो गया। जोगिंदर को गांव से बुलाकर ब्लाक मुख्यालय पर परिवार रजिस्टर की नकल दी गई।

यह है पूरा मामला

ग्राम पंचायत जंगल टिकरिया के परिवार रजिस्टर में जोगिंदर को मृत दर्शा दिया गया था। उनके पिता पारस अधिकारियों के यहां चक्कर लगाकर यह गुहार लगा रहे थे कि उनका पुत्र जीवित है और कागजों में भी उसे जिंदा किया जाए। उनकी पीड़ा को दैनिक जागरण ने दो अगस्त के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया। उसके बाद पांच अगस्त को ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में खुली बैठक हुई। इसमें जोगिंदर को जिंदा बताया गया। इसके बाद भी परिवार रजिस्टर में उनका नाम जीवित रूप में नहीं दर्ज किया गया।

दैनिक जागरण ने इस मामले में लगातार खबरें प्रकाशित कीं। खबरों का संज्ञान लेकर मंडलायुक्त अनिल ढींगरा व जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने आख्या मांगी थी। इसके बाद ब्लाक मुख्यालय में हड़कंप मच गया। दैनिक जागरण ने इसका भी पर्दाफाश किया कि जोगिंदर को 1999 में नहीं, बल्कि 2017 के बाद बैकडेट में मृत दर्शाया गया था। इस बात के प्रमाण भी मौजूद हैं। खंड विकास अधिकारी की ओर से जिलाधिकारी को भेजी गई आख्या में भी इसका उल्लेख किया गया है।

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न्याय मिलने पर दैनिक जागरण के प्रति जताया आभार ग्राम प्रधान मनीषा सिंह के पति मनीष सिंह ने इस मुहिम के लिए दैनिक जागरण का आभार जताते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों से यह गरीब परिवार अपने इकलौते पुत्र को कागजों में जिंदा करने के लिए जिला व ब्लाक मुख्यालय की दौड़ लगा रहा था, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। दैनिक जागरण की खबरों के कारण ही जोगिंदर को न्याय मिला है।

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क्या कहते हैं अधिकारी

खंड विकास अधिकारी भटहट आनंद कुमार गुप्ता ने कहा कि सभी अभिलेखों का अवलोकन कराने के बाद जोगिंदर का नाम परिवार रजिस्टर में जीवित रूप में दर्ज कर लिया गया है। साथ ही पूरे मामले की विस्तृत जांच आख्या उच्च अधिकारियों को भेज दी गई है।