सवालों के घेरे में गोरखपुर पुलिस: थानों में घोंटा जा रहा इंसाफ का गला, फरियादी की जानकारी के बिना बंद हो जाते हैं केस
Gorakhpur Police कुर्सी बचाने या जिले में नंबर-वन आने के लिए पुलिस न्याय का गला घोंट रही है। उच्चाधिकारियों ने भी बिना समीक्षा किए रैंकिंग जारी कर थानेदारों की पीठ थपथपा दी। पुलिस सूत्रों की मानें तो थानेदार आइजीआरएस के मामलों में सौ प्रतिशत निस्तारण की रिपोर्ट इसलिए लगा दे रहे हैं कि लगातार गड़बड़ी मिलने पर उन्हें कुर्सी न गंवानी पड़ जाए।
By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Tue, 07 Nov 2023 02:25 PM (IST)
जितेन्द्र पाण्डेय, गोरखपुर। बड़हलगंज के रमेश दूबे ने अक्टूबर में भूमि विवाद को लेकर आइजीआरएस (समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली) पर शिकायत की। उन्हें उम्मीद थी कि जल्द न्याय मिलेगा। पुलिस कुछ करेगी तो उन्हें भी जानकारी मिलेगी, लेकिन हुआ इसके उलट।
पुलिस ने निस्तारण की रिपोर्ट तो लगा दी, पर उन्हें जानकारी तक नहीं हुई, जबकि नियमानुसार पुलिस को जांच शुरू करने से पहले और निस्तारण के बाद शिकायतकर्ता को जानकारी देनी चाहिए। अब रमेश दोबारा शिकायत करने की तैयारी में हैं।
IGRS पर शिकायत करने वालों को शत-प्रतिशत न्याय की उम्मीद रहती है, पर थानों की पुलिस ऐसा नहीं कर रही। कुर्सी बचाने या जिले में नंबर-वन आने के लिए पुलिस न्याय का गला घोंट रही है। रमेश दूबे की तरह ही पीपीगंज के कानापार के अमित जायसवाल, हरपुर की मीरा देवी, बढ़नी की मुनीता देवी व वार्ड नंबर-दो की इंद्रावती ने भी आइजीआरएस पर शिकायत की थी।
इन्हें तो पता ही नहीं चला और पीपीगंज थाना पुलिस ने इनके मामलों में निस्तारण की रिपोर्ट लगा दी है। उच्चाधिकारियों ने भी बिना समीक्षा किए रैंकिंग जारी कर थानेदारों की पीठ थपथपा दी। पुलिस सूत्रों की मानें तो थानेदार आइजीआरएस के मामलों में सौ प्रतिशत निस्तारण की रिपोर्ट इसलिए लगा दे रहे हैं कि लगातार गड़बड़ी मिलने पर उन्हें कुर्सी न गंवानी पड़ जाए।
29 थानों में आई थीं 5,204 शिकायतें
पुलिस विभाग की ओर से जारी अक्टूबर माह की आइजीआरएस रिपोर्ट के अनुसार जिले के 29 थानों में कुल 5,204 शिकायतें आई थीं। रिपोर्ट के अनुसार 18 थानों ने सभी मामले निस्तारित कर दिए हैं। गगहा, पीपीगंज, कोतवाली और महिला थाने ने एक को छोड़कर अन्य सभी मामले निस्तारित किए हैं।अन्य सात थानों ने 70 से 90 प्रतिशत मामलों का निस्तारण किया है, शेष को लंबित दिखाया है। अब सवाल यह उठ रहा कि यदि हर माह थाने की पुलिस ईमानदारी से हजारों मामलों का निस्तारण कर रही तो संबंधित थानों से प्रत्येक दिन 70 से 80 मामले उच्चाधिकारियों तक कैसे पहुंच रहे हैं? शिकायतकर्ताओं का यह भी दर्द रहता है कि थाने की पुलिस उनकी नहीं सुन रही है।
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आइजीआरएस पर शिकायत करने वाले 20 शिकायतकर्ताओं से दैनिक जागरण संवाददाता से बात हुई। चार ने बताया कि उनके पास पुलिस का फोन आया था। मांगने पर कागजात प्रस्तुत किए गए हैं। शेष 16 का कहना था कि उनके पास फोन नहीं आया है। उनकी शिकायत पुलिस ने कैसे निस्तारित की? इसकी भी जानकारी नहीं है।थानेदार की ओर से आइजीआरएस पर गलत रिपोर्ट लगा सौ प्रतिशत निस्तारण दिखाया जा रहा तो जांच कराई जाएगी। नियमानुसार पुलिस को शिकायतकर्ता से बात करनी चाहिए। रिपोर्ट की जानकारी भी देनी चाहिए। -श्यामदेव, आइजीआरएस प्रभारी व एसपी यातायात