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मदुरै ट्रेन अग्निकांड की तरह गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर कभी भी धधक सकती है लापरवाही की आग, वजह जान लें

Madurai Train Tire गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर लापरवाही इस कदर बरती जा रही कि वेंडर यहां धड़ल्ले से गैस सिलेंडर व हीटर का प्रयोग कर दुर्घटना को दावत दे रहे हैं। दिखाने के लिए गेटों पर मेटल डिटेक्टर और बैगेज स्कैनर लगे हैं। मुख्य गेट पर 24 घंटे सुरक्षाबल तैनात रहता है लेकिन उसके ठीक बगल में चल रहे स्टाल पर गैस सिलेंडर से पक रही चाय उन्हें नहीं दिखती।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Sun, 27 Aug 2023 03:07 PM (IST)
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रेलवे स्टेशन के एक स्टाल पर घरेलू गैस का प्रयोग करते वेंडर। -जागरण

गोरखपुर, प्रेम नारायण द्विवेदी। विश्वस्तरीय रेलवे स्टेशन गोरखपुर। दोपहर बाद तीन बजे के आसपास प्लेटफार्म संख्या-आठ के पूर्वी छोर पर एक दंपती बच्चों के साथ बैठकर गैस सिलेंडर पर खाना पका रहा था। बगल में ही प्लेटफार्म संख्या-नौ पर गोरखधाम एक्सप्रेस खड़ी थी। इसका न कोई संज्ञान लेने वाला था, न कोई टोकने वाला। पूछने पर दंपती बताने लगे, कुशीनगर से आए हैं। झोले में ही सिलेंडर और अन्य सामग्री रख लेते हैं। प्लेटफार्म पर रहकर गुटखा आदि सामान बेचकर वापस घर चले जाते हैं।

धड़ल्ले से गैस सिलेंडर व हीटर का प्रयोग कर रहे वेंडर

रेलवे स्टेशन के हर कोने पर बाहरी ही नहीं, खानपान स्टाल के वेंडर भी धड़ल्ले से गैस सिलेंडर व हीटर का प्रयोग कर दुर्घटना को दावत दे रहे हैं। अगर लापरवाही की यही स्थिति रही तो कभी भी आग धधक सकती है। यह तब है, जब रेलवे स्टेशन परिसर व ट्रेनों में ज्वलनशील पदार्थ और विस्फोटक ले जाना पूरी तरह प्रतिबंधित है। स्टेशन पर एकीकृत सुरक्षा प्रणाली लागू है। दिखाने के लिए गेटों पर मेटल डिटेक्टर और बैगेज स्कैनर लगे हैं। चप्पे-चप्पे पर रेलवे सुरक्षा बल के जवानों की तैनाती है। स्टेशन के मुख्य गेट पर 24 घंटे सुरक्षाबल तैनात रहता है, लेकिन उसके ठीक बगल में चल रहे स्टाल पर गैस सिलेंडर से पक रही चाय उन्हें नहीं दिखती। बातचीत में वेंडर का कहना था, वह हमेशा सिलेंडर का ही प्रयोग करता है।

खानपान स्टाल और पेंट्रीकार में सिर्फ इंडक्शन चूल्हे की है अनुमति

प्लेटफार्म संख्या-छह पर स्टाल वाले तो हीटर पर चाय-नाश्ता बना रहे थे, जबकि खानपान स्टाल और पेंट्रीकार में सिर्फ इंडक्शन चूल्हे के प्रयोग की ही अनुमति है। इसके बाद भी नियमों की अनदेखी की जा रही है। सुरक्षा के लिए तैनात किए गए जवान भी उदासीन बने हुए हैं। रेलवे प्रशासन और सुरक्षाबलों ने सतर्कता दिखाई होती तो शायद मदुरै की दुर्घटना न होती। यात्रियों को लेकर लखनऊ से जो कोच चेन्नई के लिए रवाना हुआ था उसमें गैस सिलेंडर भी था, लेकिन सुरक्षाबलों ने उसे चेक नहीं किया। परिणामस्वरूप यही सिलेंडर नौ लोगों को असमय काल के गाल में पहुंचाने का कारण बन गया। गोरखपुर रेलवे जंक्शन से होकर प्रत्येक दिन 150 ट्रेनें गुजरती हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पूर्वोत्तर रेलवे पंकज कुमार सिंह ने कहा कि रेलवे स्टेशन परिसर और ट्रेनों में ज्वलनशील पदार्थ और विस्फोटक पूरी तरह प्रतिबंधित है। पकड़े जाने पर कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाती है। इसको लेकर समय-समय पर जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है।

पकड़े जाने पर अधिकतम पांच साल की होती है जेल

गैस सिलेंडर, पेट्रोल-डीजल, केरोसिन आयल, फिल्म की रील, स्टोव, पटाखा व बारूद आदि ज्वलनशील पदार्थ और विस्फोटक लेकर स्टेशन परिसर नहीं जा सकते हैं। न ही ट्रेनों में यात्रा कर सकते हैं। ज्वलनशील पदार्थ और विस्फोटक के साथ पकड़े जाने पर रेलवे एक्ट के तहत न्यूनतम 500 रुपये जुर्माना से लेकर पांच साल की जेल या दोनों का प्राविधान है।