Exclusive: वन विभाग को दो वर्ष बाद मिली कामयाबी, चिटकूट में पकड़ा गया नर राजगिद्ध
देश में राजगिद्धों की प्रजाति में कमी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने शहर मुख्यालय से 35 किमी दूर कैंपियरगंज के भारीवैसी में प्रजनन व संरक्षण केंद्र बनाने का फैसला लिया। वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा आनलाइन शिलान्यास किया गया। वर्ष 2022 में करीब दो करोड़ की लागत केंद्र बनकर तैयार भी हो गया। इसके बाद वन विभाग की टीम लाल गर्दन वाले गिद्धों को पकड़ने में जुटी।
जितेन्द्र पाण्डेय, गोरखपुर। वन विभाग की टीम को दो वर्ष के बाद नर राज गिद्ध को पकड़ने में कामयाबी मिल गई। तीन दिन पहले टीम ने चित्रकूट से एक नर और एक मादा गिद्ध को पकड़ा है। अगले दो-तीन दिन रुकने के बाद टीम दोनों गिद्ध को लेकर गोरखपुर के लिए निकलेगी।
इसके बाद दोनों कैंपियरगंज के भारीवैसी में बनकर तैयार गिद्ध संरक्षण व प्रजनन केंद्र ले जाया जाएगा। केंद्र पर पहले से ही चार मादा गिद्ध को संरक्षित किया जा रहा है। नर गिद्ध के आने के बाद इस केंद्र के लोकार्पण का रास्ता भी साफ हो गया। अधिकारियों का प्रयास है कि चुनाव के पहले ही लोकार्पण संपन्न हो जाए।
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देश में राजगिद्धों की प्रजाति में कमी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने शहर मुख्यालय से 35 किमी दूर कैंपियरगंज के भारीवैसी में प्रजनन व संरक्षण केंद्र बनाने का फैसला लिया। वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा आनलाइन शिलान्यास किया गया। वर्ष 2022 में करीब दो करोड़ की लागत केंद्र बनकर तैयार भी हो गया।
इसके बाद वन विभाग की टीम वर्ष 2023 में राजगिद्धों के नाम से पहचानी जाने वाली लाल गर्दन वाले गिद्धों को पकड़ने में जुटी। वर्ष 2023 में टीम ललितपुर और चित्रकूट में डेरा डाली। इस दौरान टीम को तीन मादा गिद्ध पकड़ने में कामयाबी मिली और उन्हें लाकर केंद्र में रखी। नर गिद्ध की तलाश करते हुए इस वर्ष टीम एक बार फिर ललितपुर पहुंची लेकिन कामयाबी नहीं मिली। कुछ सदस्य चित्रकूट पहुंचे और उन्हें गिद्ध पकड़ने में कामयाबी मिली।
इसे भी पढ़ें- अपनी भैंस को बचाने के लिए बाघ से भिड़ा बुजुर्ग किसान, डंडे बरसाकर भगाया, देखते रहे ग्रामीणवर्ष में एक अंडा देती है मादाराजगिद्ध वन विभाग के अनुसार चार मादा और एक नर राज गिद्ध को केंद्र पर लाने के बाद इनकों संरक्षित करते हुए प्रजनन कराया जाएगा। एक वर्ष में मादा गिद्ध एक ही अंडा देती है। अंडा देने के बाद उसमें से निकलने वाले बच्चों को संरक्षित किया जाएगा। यह क्रम 15 वर्षों तक चलेगा। इसके बाद धीरे-धीरे अगले पांच वर्षों तक केंद्र के गिद्धों को जंगलों में छोड़ा जाएगा।
चार प्रजातियां पाई जाती हैं वन विभाग ने बताया कि गिद्धों में चार तरह की प्रजातियां पाई जाती हैं। एक सफेद पीठ वाला, दूसरा लंबी चोंच वाला, तीसरा पतली चोंच वाला। इन सबके जो राजा होते है, उन्हें राजगिद्ध कहते हैं। इनकी गर्दन लाल होती है।
डीएफओ विकास यादव ने कहा कि राजगिद्ध प्रजनन एवं संरक्षण केंद्र बनकर तैयार है। तीन मादा गिद्धों को यहां संरक्षित किया गया है। नर गिद्ध की तलाश में चित्रकूट गई टीम को एक नर और एक मादा गिद्ध मिले हैं। दो से तीन दिन बाद टीम उनको लेकर गोरखपुर पहुंचेगी। इसके बाद उसे कैंपियरगंज के भारीवैसी स्थित संरक्षण केंद्र में रखा जाएगा।
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