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संवादी गोरखपुर: 'सिर्फ मनोज तिवारी, रवि किशन और पवन सिंह से भोजपुरी नाहीं चली....'

संवादी गोरखपुर में सांसद मनोज तिवारी ने भोजपुरी सिनेमा के विकास भोजपुरी बोली की स्थिति और भोजपुरी समाज की उन्नति पर खुलकर बातचीत की। उन्होंने कहा कि भोजपुरी सिर्फ मनोज तिवारी रवि किशन और पवन सिंह से नहीं चलेगी इसके लिए घर-घर से प्रयास होना चाहिए। भोजपुरी में जो कोई गंदा फूहड़ गाना गाता है तो उसपर पुलिस केस कराना चाहिए।

By Rajnish Kumar Tripathi Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 27 Oct 2024 08:21 AM (IST)
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दैनिक जागरण संवादी के दूसरे दिन फहरात रहे भोजपुरी सत्र में अभिनेता व सांसद मनोज तिवारी संचालन करते निराला विदेशिया।जागरण
जितेन्द्र पाण्डेय, गोरखपुर। गायक से नायक और नायक से नेता बने सांसद मनोज तिवारी से बातचीत का सत्र पूरी तरह रोमांच से भरा रहा। भोजपुरी के विकास, भोजपुरी सिनेमा को लेकर उन्होंने ढेर सारी बातेें की। योगीराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में दैनिक जागरण की तरफ से आयोजित संवादी उत्सव के दूसरे दिन पांचवे सत्र में उन्होंने बताया कि भोजपुरी को आंठवीं अनुसूची में शामिल करने में कहां अड़चन आ रही है।

भोजपुरी के विकास के लिए प्रदेश सरकार क्या प्रयास कर रही है और हमारी तरफ से क्या प्रयास होना चाहिए। इस पर चर्चा की। बातचीत के दौरान संचालक उन्हें एक-एक बिंदु पर कुरेदते रहे।

उन्होंने कहा कि अब तो इस बात की प्रतिबद्धता होती जा रही है, जो गायक है, वही नायक बन सकता है। इससे अच्छे कलाकार सामने नहीं आ पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए लोगों आगे आना होगा। वह 2025 में खुद ही फिल्म प्रोड्यूस करेंगे। उसमें इन कमियों को दूर करने की कोशिश करेंगे।

गैलेन्ट समूह के सीईओ मयंक अग्रवाल को सम्मानित करते सुनील गुप्त निदेशक दैनिक जागरण। जागरण


संवादी के दूसरे दिन पांचवां सत्र में मनोज तिवारी ने संचालक के सवालों का भोजपुरी में जवाब देते हुए कहा कि भोजपुरी सिर्फ मनोज तिवारी, रवि किशन, निरहुआ, पवन सिंह से नाहीं चली। ये खातिर घर-घर से प्रयास हो खय।

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बातचीत के दौरान संचालक निराला ने मनोज तिवारी से भोजपुरी को अब तक आठवीं अनुसूची में क्यों नहीं शामिल किया जा सका। इसका डिग्रेशन क्यों हो रहा है सहित कई बिंदुओं पर बातचीत की।

सांसद मनोज तिवारी ने इसका विस्तार से जवाब देते हुए कहा कि भोजपुरी की शुरुआत मनोज तिवारी से नाई, बल्कि आदि काल से हय। अगर आज आप रामलीला भी देखते होंगे तो राम व केवट का संवाद भोजपुरी में ही होता होगा। भोजपुरी भाषा, अवधी भाषा। भाषा बहुत सी है, लेकिन भोजपुरी की अच्छी यात्रा शुरू हुई डा.राजेन्द्र प्रसाद के माध्यम से। राष्ट्रपति होने के बाद जब उन्हें हिंदी सिनेमा के लोगों ने मुंबई बुलाया।

परंपरा जेम्स एंड ज्वेल्स के निदेशक संजय अग्रवाल को सम्मानित करते सुनील गुप्त निदेशक दैनिक जागरण। जागरण


वहां पहुंचने के बाद उन्होंने कहा कि कोई भोजपुरी सिनेमा भी बना सकता है क्या? उनके यह कहने के बाद विश्वनाथ साहबादी ने गंगा मइया तुहें पियरी चढ़इबय बनाया। उसमें नासिर हुसैन समेत कई बड़े कलाकारों ने अभिनय किया था। उसके बाद बलम परदेसिया, लागी नाही छूटय राम जैसी कई फिल्में आईं। कई लोग उस समय दूसरे भाषा के अभिनेता थे, लेकिन उन्होंने अभिनय भोजपुरी में किया।

डा.राजेन्द्र प्रसाद को हमें भोजपुरी के इतिहास में जिंदा रखना चाहिए। भोजपुरी का एक ऐसा क्रेज हो गया कि उस समय नदिया के पार हिंदी में बनी, लेकिन हम लोगों ने उसे भोजपुरी ही समझ लिया। उसके 28 वर्ष बाद अनायास हम लोगों के माध्यम से भोजपुरी का एक बहुत बड़ी यात्रा शुरू हो गई। हमने यात्रा शुरू की सिनेमा के माध्यम से।

दूसरे दौर का याद करन के लिए हमें सुधाकर पाण्डेय को याद करना पड़ेगा, जिसने ससुरा बड़ा पइसा वाला बनाया । इस संवादी में अजय सिन्हा को याद करना पड़ेगा। गोरखनाथ मंदिर में उनकी पहली फिल्म की शूटिंग हुई।

योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में आयोजित दैनिक जागरण संवादी के दूसरे दिन के प्रथम सत्र को संबोधित करते राज्य संपादक आशुतोष शुक्ल। जागरण


अपनी पहली फिल्म का याद करते हुए उन्होंने कहा कि पहले दिन की शूटिंग सर्किट हाउस में हुई थी और पहले दिन ही हिरोइन से उनका झगड़ा हो गया था। हम सिनेमा नहीं जानते थे। हम सिर्फ गाना जानते थे। सही पूछिए तो आज भी मैं सिर्फ गाना ही गाना चाहता हूं। फिल्म तो हमें अचानक मिल गई। उसके बाद से जो यात्रा शुरू हुई यदि उसे इस मंच पर जगह मिल रही है तो दैनिक जागरण बधाई का पात्र है।

उन्होंने कहा कि यूपी बिहार के 23 जिले भोजपुरी के लिए बेहद उर्वर हैं, लेकिन यहां कोई भोजपुरी फिल्मों के लिए रुपये लगाने को नहीं तैयार है। भोजपुरी फिल्मों के प्रोड्यूसर पंजाब व गुजरात के लोग होते हैं।

उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना की और कहा कि वह भोजपुरी सिनेमा के लिए बड़ा अनुदान दे रहे हैं। भोजपुरी सिनेमा बनाने वाले तमाम लोग ऐसे हैं, जिन्हें प्रदेश सरकार के अनुदान से मतलब हैं, भोजपुरी के उत्थान में उनकी कोई अभिरुचि नहीं है। ऐसे लोग रहेंगे तो भोजपुरी का विकास कैसे होगा।

उन्होंने जनता से सवाल किया कि कितनी पत्र पत्रिकाएं भोजपुरी में आ रही हैं। अखबारों में कितनी जगह भोजपुरी को मिल रही है। जागरण ने इस कार्यक्रम के माध्यम से भोजपुरी को मंच दिया है तो वह बधाई का पात्र है। कार्यक्रम के दौरान तमाम लोगों का मंच से नाम लेकर उन्होंने आभास कराया कि उनका गोरखपुर से कितना गहरा जुड़ाव है।

योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में आयोजित जागरण संवादी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साथ में निदेशक सुनील गुप्त व राज्य संपादक आशुतोष शुक्ल । जागरण


कार्यक्रम के दौरान सुधीर मिश्रा, शिवेंद्र पाण्डेय, डा.अभिषेक शुक्ला, हरी प्रसाद सिंह सहित तमाम लोगों ने उनसे सवाल भी पूछा। उन्होंने बताया कि वह भोजपुरी के उत्थान के लिए शुरू से ही प्रयासरत थे। यहां तक ससुरा बड़ा पइसा वाला के लिए जब रुपये घटने लगे तो उन्होंने अपने पास से आठ लाख रुपये लगाए थे।

भोजपुरी के नाम पर कोई फूहड़ता परासे तो दर्ज कराएं मुकदमा

मनोज तिवारी ने कहा भोजपुरी देव भाषा है। इसके नाम पर कोई फूहड़ता परोसे तो मुकदमा दर्ज कराइए। उन्होंने कहा कि भोजपुरी सिनेमा के लिए योगी सरकार की नीति देश में सबसे बेहतर है। वह नोएडा में फिल्म सिटी बनवा रहे हैं। यह भोजपुरी सिनेमा के लिए अमृत समान होगा। हमें गर्व करना चाहिए मुख्य मंत्री योगी पर। प्रधानमंत्री मोदी पर।

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उन्होंने कहा कि वह और सांसद रविकिशन शुक्ल प्रयासरत हैं। भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए। साल भर के भीतर यह शामिल भी हो जाएगी। इस दौरान उन्होंने भोजपुरी के कई गाने सुनाकर माइक को दर्शकों की तरफ कर दिया और दर्शक भी उसे गुनगुनाने लगे। उन्होंने बताया कि यह भोजपुरी का असर है। उन्होंने पंचायत वेब सीरीज का अपना गाना ए राजा जी गाकर बताया कि यह गाना माइकल जैक्शन की टीम गा रही है।

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'संवादी' के अंतिम सत्र में सांसद मनोज तिवारी ने भोजपुरी की दशा व दिशा पर खूब बातचीत की। इस दौरान आठवीं अनुसूची, भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री, भोजपुरी समाज की जीवटता व उन्नति आदि विषयों पर श्रोताओं ने उनसे सवाल किए, जिसका उन्होंने संतोषजनक जवाब दिया।

इसी क्रम में श्रोता के तौर पर गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डा. अभिषेक शुक्ल ने यूपीएससी की प्रतिष्ठित परीक्षा में हिंदी माध्यम से तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के चयन में आ रही गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए सवाल किया।

उन्होंने बताया कि इस परीक्षा में माध्यम को लेकर भेदभाव के आरोप पहले भी लगते रहे हैं। सीसैट को लेकर आंदोलन भी हो चुका है। अंग्रेजी प्रश्नपत्र के हिंदी अनुवाद को लेकर सवाल खड़े किए जाते रहे हैं.। ऐसी स्थिति में कड़ी मेहनत व लगन के बावजूद हिंदी क्षेत्र के विद्यार्थियों का मनोबल प्रभावित हो रहा है। सांसद मनोज तिवारी ने डा. अभिषेक के इस प्रश्न को मौजू और गंभीर बताया।

आश्वस्त किया कि इस दिशा में ठोस प्रयास किया जाएगा। इसी क्रम में सांसद ने उन्हें मंच पर बुला लिया और व्यक्तिगत बातचीत के क्रम में भारतीय प्रशासनिक सेवा से संबंधित हिंदी माध्यम की जटिलताओं पर मिलकर काम करने की बात कही। मनोज तिवारी ने डा. शुक्ल से इस विषय पर प्रपत्र तैयार करने की इच्छा जताई, जिसके आधार पर इस प्रकरण को प्रभावी पटल पर उठाया जा सके।

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