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गोरखपुर कैंट स्टेशन की राह को रक्षा मंत्रालय की हरी झंडी, आसान होगा आवागमन; मिनटों में पूरा होगा घंटों का सफर

पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने रक्षा मंत्रालय से कैंट स्टेशन के दक्षिण की तरफ सेना की भूमि की मांग की थी। रेल मंत्रालय ने मिलने वाली भूमि के बदले सेना को भूमि उपलब्ध कराने का भी प्रस्ताव दिया था। 20 करोड़ से कैंट सैटेलाइट के रूप में विकसित हो रहा है। सेकेंड इंट्री के लिए 7790 वर्ग मीटर सेना की भूमि उपलब्ध कराने के लिए दिशा- निर्देश जारी किया गया।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandPublished: Sat, 26 Aug 2023 01:30 PM (IST)Updated: Sat, 26 Aug 2023 01:30 PM (IST)
गोरखपुर कैंट स्टेशन की राह को रक्षा मंत्रालय की हरी झंडी। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

गोरखपुर, प्रेम नारायण द्विवेदी। गोरखपुर कैंट रेलवे स्टेशन की राह को रक्षा मंत्रालय की हरी झंडी मिल गई है। रक्षा मंत्रालय ने द चीफ आफ आर्मी स्टाफ सहित संबंधित अधिकारियों और रेलवे बोर्ड को कैंट स्टेशन पर सेकेंड इंट्री के लिए सेना की 7790 वर्ग मीटर भूमि नियम और शर्तों के अनुसार उपलब्ध कराने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। रेल मंत्रालय 14 करोड़ दो लाख 20 हजार रुपये कीमत वाली सेना की भूमि के बदले भूमि उपलब्ध कराएगा। सेकेंड इंट्री बन जाने से कैंट स्टेशन पर लोगों का आवागमन आसान हो जाएगा। घंटों का सफर मिनटों में पूरा होगा। रेलवे क्रासिंग बंद होने के चलते यात्रियों की ट्रेन नहीं छूटेगी।

पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने रेल मंत्रालय के माध्यम से रक्षा मंत्रालय से कैंट स्टेशन के दक्षिण की तरफ सेना की भूमि की मांग की थी। रेल मंत्रालय ने मिलने वाली भूमि के बदले सेना को भूमि उपलब्ध कराने का भी प्रस्ताव दिया था। अब जब कैंट स्टेशन का कायाकल्प होने लगा तो रास्ते ने रेलवे की चिंता बढ़ा दी। 20 करोड़ से कैंट सैटेलाइट के रूप में विकसित हो रहा है। सितंबर से यह स्टेशन नए कलेवर में दिखने लगेगा। यात्रियों को उच्चस्तरीय सुविधाएं भी मिलनी शुरू हो जाएंगी।

कैंट से ही नरकटियागंज, छपरा और वाराणसी रूट पर चलने वाली पैसेंजर, डेमू और मेमू आदि लोकल ट्रेनों का संचालन भी शुरू हो जाएगा, लेकिन स्टेशन के लिए सुगम रास्ता नहीं होने के चलते आमजन भी स्टेशन के विकास पर सवाल खड़ा करने लगे थे। दैनिक जागरण भी लोगों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाता रहा।

10 अगस्त के अंक में कैंट की राह में रोड़ा बनी ''''राह'''', रेलवे क्रासिंग पारकर स्टेशन पहुंचते हैं यात्री शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। ऐसा नहीं है कि कैंट पर आवागमन के लिए रास्ता नहीं है। कैंट स्टेशन पर उत्तर की तरफ फर्स्ट इंट्री है, लेकिन रास्ते में पूर्व की तरफ स्थित रेलवे क्रासिंग पड़ती है, जो लोगों के आवागमन में रोड़ा बनी हुई है। शहर के लोगों को कैंट स्टेशन पर आवाजाही के लिए क्रासिंग पार करनी पड़ती है। इस क्रासिंग से होकर प्रतिदिन लगभग 150 ट्रेनें गुजरती हैं। ऐसे में क्रासिंग अक्सर बंद ही रहती है। क्रासिंग पर हमेशा जाम की स्थित बनी रहती है। लोग कैंट स्टेशन पर आवागमन से कतराते हैं। अब दक्षिण की तरफ सेकेंड इंट्री बन जाने से लोगों को क्रासिंग नहीं पार करनी पड़ेगी। एम्स की गेट से आर्मी पब्लिक स्कूल होते हुए सीधे स्टेशन पहुंच जाएंगे।

क्रासिंग पर भी बनेगा पुल, तैयार है प्रस्ताव

रेलवे प्रशासन ने स्टेशन के पूर्वी छोर पर स्थित रेलवे क्रासिंग पर पुल निर्माण (ओवरब्रिज) के लिए भी प्रस्ताव तैयार कर लिया है। पुल क्रासिंग के ऊपर से स्टेशन की तरफ खुलेगा। यात्री ही नहीं क्रासिंग से होकर आने-जाने वाले हजारों लोगों की राह भी आसान हो जाएगी। एयरफोर्स की तरफ से नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) मिलते ही आगे की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

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क्या कहते हैं अधिकारी

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि गोरखपुर कैंट रेलवे स्टेशन को सैटेलाइट टर्मिनल के रूप में विकसित करने का कार्य अंतिम चरण में है। स्टेशन के दक्षिण दिशा में सेकेड एंट्री बनाए जाने के लिए रक्षा मंत्रालय से सेना की कुछ भूमि मांगी गई है, जिसके बदले रेलवे द्वारा भूमि दूसरे स्थान पर दी जाएगी। यह भूमि मिल जाने पर शहरवासियों और बेहतर सुविधा मिल सकेगी।


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