Model Chai Wali: पहले मॉडलिंग फिर बिजली विभाग में की नौकरी, अब चाय बेचने को मजबूर हैं 'मिस गोरखपुर'
Model Chai Wali मिस गोरखपुर रह चुकी सिमरन की मॉडल से चायवाली बनने की कहानी संघर्ष भरी है। मॉडलिंग के सपने को पंख मिला तो उन्होंने मिस गोरखपुर का खिताब जीता लेकिन यह सिलसिला ज्यादा समय तक नहीं रहा। आइए जानते हैं इनके संघर्ष की पूरी कहानी...
By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Sat, 08 Oct 2022 04:29 PM (IST)
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। माडल सी दिखने वाली चाय बेचती लड़की शहर में इन दिनों चर्चा में है। चर्चा सिर्फ उसकी ही नहीं है बल्कि उसकी दुकान से मिलने वाली शानदार चाय की भी है। जानकर आश्चर्य होगा कि लक्ष्मीबाई महिला छात्रावास के बाहर चाय बेचने वाली लड़की माडल सी दिखती ही नहीं बल्कि माडल हैं भी। जितना सतर्क वह अपनी काया को लेकर है, उतनी ही सतर्कता चाय की गुणवत्ता को लेकर बरतती हैं। यही वजह है महज डेढ़ महीने में उनकी चाय के सैकड़ों कद्रदान बन चुके हैं। कुछ तो प्रतिदिन के ग्राहक हो गए हैं।
ये है मॉडल से चायवाली बनने की कहानी
सिमरन गुप्ता नाम की इस लड़की की माडल से चायवाली बनने की कहानी संघर्ष भरी है। दिव्यांग भाई और परिवार की जिम्मेदारी संभालने के लिए वह पहले माडल बनीं और अब चाय वाली। बकौल सिमरन को माडल बनने का शौक स्नातक की पढ़ाई के दौरान जागा। इस क्षेत्र में सपनों को पंख तब लग गए, जब उन्हें 2018 में 'मिस गोरखपुर' बनने में सफलता मिल गई। उत्साहित होकर माडलिंग में भविष्य संवारने के लिए दिल्ली का रुख कर लिया।
कोरोना संक्रमण के चलते थम गया मॉडलिंग का सिलसिला
सिमरन के मुताबिक उन्हें कई बड़े विज्ञापन भी मिले। पर यह सिलसिला कोरोना संक्रमण के चलते थम गया। जीवन चलाने के लिए उन्होंने कुछ दिन फतेहपुर में बिजली विभाग में संविदा की नौकरी कि। समय से मानदेय न मिलने पर उन्हें उस नौकरी को छोड़कर चाय की दुकान खोलनी पड़ी। हालांकि अपने इस कार्य को पूरे उत्साह से करने का निर्णय लिया। शायद इसी का नतीजा है कि बहुत ही कम समय में अपनी कार्यशाली और चाय की गुणवत्ता से लोगों में कौतूहल का विषय हैं।इनसे मिली प्रेरणा
सिमरन बताती हैं कि एमबीए चायवाला प्रफुल्ल बिलोरे और पटना की ग्रेजुएट चाय वाली प्रियंका गुप्ता से प्रेरणा लेकर उन्होंने स्टाल लगाकर चाय बेचने का निर्णय लिया। सिरमन का चाय का स्टाल सुबह सात बजे सज जाता है और शाम सात बजे तक उससे मशाला चाय मिलने का सिलसिला चलता रहता है। पिता राजेंद्र प्रसाद इसमें उनका पूरा साथ देते हैं। उनकी चाय की कीमत मात्र 10 रुपये है, वह रोज 250 से अधिक चाय बेच लेती हैं। हालांकि माडल के रूप में नाम करने का अपना सपना सिमरन आज भी संजोए हुए हैं।
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