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बंदरों का जमावड़ा, मधुमक्खियों का छत्‍ता- यह जंगल नहीं गोरखपुर एयरपोर्ट है

गोरखपुर एयरपोर्ट इस समय अव्‍यवस्‍था का श‍िकार है। एयरपोर्ट के लाउंज में बंदरों का जमावड़ा रहता है और कैंपस में मधुमक्खियों ने छत्‍ता बना लि‍या है। इससे यहां आने वाले यात्री हमेशा डर के साए में रहते हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Mon, 18 Apr 2022 02:00 PM (IST)
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गोरखपुर एयरपोर्ट का बाहरी ह‍िस्‍सा। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। एयरपोर्ट के टर्मिनल भवन की छत को मधुमक्खियों ने अपना ठिकाना बना लिया है। रोजाना कोई न कोई यात्री मधुमक्खियों का शिकार हो रहा है। छत्ता हटाने के लिए एयरपोर्ट प्रशासन ने लखनऊ की फर्म से करार किया है। कई बार छत्ता हटाया जा चुका है लेकिन यात्रियों को राहत नहीं मिली। गर्मी में यात्रियों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत टीनशेड के वेट‍िंग हाल में बैठकर फ्लाइट का इंतजार करना है। यहां दोपहर के समय पंखे गर्म हवा दे रहे हैं।

बंदरों को भगाने के लिए वन विभाग को कई बार लिख चुके हैं पत्र

कुसम्ही जंगल से सटे गोरखपुर एयरपोर्ट के न्यू टर्मिनल बिल्डिंग की छत पर पिछले छह माह से मधुमक्खियां अपना छत्ता लगा रही हैं। दोपहर के समय मधुमक्खियों का झुंड टर्मिनल भवन के साथ ही गेट के पास बने टीनशेट के वेट‍िंग हाल में पहुंच जाता है। वेट‍िंग हाल में गर्मी से बेहाल यात्रियों को मधुमक्खियों से बचने के लिए इधर-उधर भागते हुए देखा जा सकता है। परिसर में बंदरों का जमावड़ा भी एक बड़ी समस्या है। जिन्हें भगाने के लिए एयरपोर्ट प्रशासन ने वन विभाग को पत्र लिखा है।

नए टर्मिनल भवन का निर्माण की प्रतीक्षा

यात्रियों की सुरक्षा के लिए रोजाना गुलेल के साथ दो गार्ड की ड्यूटी लगाई जाती है। एयरपोर्ट के अधिकारियों का दावा है कि दिसंबर में 300 यात्रियों की क्षमता वाले नए टर्मिनल भवन का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद इस समस्या का समाधान हो जाएगा।

मधुमक्खियों को हटाने के लिए पेस्ट कंट्रोल सर्विसेस लखनऊ से करार हुआ है। 15 दिन के अंतराल पर मधुमक्खियों का छत्ता हटाया जाता है। लेकिन जंगल करीब होने की वजह से मधुमक्खियां फिर छत्ता बना ले रही हैं। बंदरों को हटाने के लिए वन विभाग को पत्र लिखा गया है।सुरक्षा के लिए दो गार्ड की रोजाना ड्यूटी लगती है। - विजय कौशल - प्रभारी परिचालन/ टर्मिनल, गोरखपुर एयरपोर्ट।

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