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Gorakhpur News: डी फार्मा में प्रवेश के नाम पर फर्जीवाड़ा, एमआर ने 1.40 लाख रुपये लेकर दिया फर्जी सर्टिफिकेट

डी-फार्मा में प्रवेश दिलाने के नाम पर एक एमआर ने जालसाजी की। उसने 1.40 लाख रुपये लेकर दो साल बाद फर्जी सर्टिफिकेट दिया। पीड़ित ने जब ग्रीन कार्ड बनवाने के लिए लखनऊ जाकर परीक्षा दी तो पता चला कि सर्टिफिकेट फर्जी है। अब उसके घर पर लखनऊ के गाजीपुर थाने से धोखाधड़ी का नोटिस आ गया है। पीड़ित ने एसपी नार्थ को प्रार्थना पत्र देकर जांच की मांग की है।

By Jitendra Pandey Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 09 Oct 2024 03:49 PM (IST)
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डी फार्मा में प्रवेश दिलाने के नाम पर ठगी। जागरण

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। चिलुआताल के डोहरिया निवासी सौरभ विश्वास के साथ डी फार्मा में प्रवेश दिलाने के नाम पर एमआर ने जालसाजी की। आरोप है कि 1.40 लाख रुपये लेने के बाद दो वर्ष बाद उसने सर्टिफिकेट दिया। जिसके आधार पर वह ग्रीन कार्ड बनवाने के लिए लखनऊ जाकर परीक्षा दी।

वहां जांच में पता चला कि सर्टिफिकेट ही फर्जी है। दो वर्ष बाद उसके घर पर लखनऊ के गाजीपुर थाने से धोखाधडी केस होने का नोटिस आ गया। इसके बाद से ही वह अधिकारियों के कार्यालय का चक्कर लगा रहा है। आरोपित भी फोन नहीं उठा रहा है। सौरभ ने एसपी नार्थ को प्रार्थना पत्र देकर जांच कराने की मांग की है।

सौरभ विश्वास ने प्रार्थना पत्र में बताया कि डोहरिया स्थित दवा की दुकान पर संतकबीरनगर धनघटा का एक युवक मिला। वह एमआर का काम करता है। उसने बताया कि यूनिवर्सिटी आफ टेक्नालाजी एंड मेडिकल साइंस सिहोरा मध्य प्रदेश से डी फार्मा करवा सकता हूं।

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उसने बताया कि घर बैठे कोर्स पूरा हो जाएगा और सर्टिफिकेट भी मिल जाएगा। इसके बाद कहीं भी मेडिकल स्टोर खोलकर चला सकते हो। उसने 1.40 लाख रुपये लेकर 2017 में डी फार्मा में एडमिशन करवा दिया।

वर्ष 2020 में घर पर सर्टिफिकेट भी पहुंचा दिया। इसके बाद उसने कहा कि तुम्हारा कोर्स पूरा हो गया है। अब मेडिकल स्टोर चलाने के लिए ग्रीन कार्ड बनवाना होगा। इसके लिए उसने पांच हजार रुपये लेकर लखनऊ में फार्मासिस्ट रजिस्ट्रेशन का फार्म भरवाया।

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इसके बाद वह प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने लगा। वर्ष 2024 में मैं लखनऊ उत्तर प्रदेश फार्मेसी काउंसिल रजिस्ट्रेशन आफिस जाकर पता किया कि मेरा ग्रीन कार्ड अभी तक क्यों नहीं बना। तब पता चला कि उसका सर्टिफिकेट फर्जी है।

इस संबंध में एसपी उत्तरी जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि प्रार्थना पत्र की जांच कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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