Nag Panchami 2023: नाग देवता व भगवान शिव की पूजा कर श्रद्धालुओं ने की मंगल कामना, मंदिरों में गूंजे जयकारे
नागपंचमी व सावन के सातवें सोमवार के अवसर पर शिव मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। शहर से लेकर गांव तक शिवालयों में भक्तों ने भोर से ही जलाभिषेक करना शुरू कर दिया। शिवभक्तों ने नाग देवता व भगवान शिव की पूजन-अर्चन कर सुख-समृद्धि व मंगलकामना की। शहर के झारखंडी मानसरोवर सहित सभी शिव मंदिरों में हर- हर महादेव के जयकारे लग रहे हैं।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। भगवान शिव का महीना सावन के सातवें सोमवार को नाग पंचमी हर्षोल्लास से मनाई जा रही है। भोर से ही शहर से लेकर गांव तक शिव मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। शिव बाबा का जलाभिषेक व दुग्धाभिषेक कर श्रद्धालुओं ने आस्था व श्रद्धा अर्पित किया। साथ ही नाग देवता की पूजा-अर्चना कर मंगल कामना की। गली-मोहल्लों में सपेरे श्रद्धालुओं को नाग देवता का दर्शन कराते दिखे। बच्चे परंपरागत खेल चिक्का-कबड्डी खेल रहे और महिलाएं मेंहदी रचाकर झूला झूल रहीं। घरों में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जा रहे, हालांकि ज्यादातर लोगों ने व्रत भी रखा है। सावनी व कजरी गीतों से वातावरण गूंज उठा है।
मंदिरों में गूंजे हर - हर महादेव के जयकारे
महादेव झारंखंडी मंदिर व मुक्तेश्वरनाथ मंदिर में विशेष तैयारी की गई है। प्रवेश व निकास के लिए अलग-अलग मार्ग बनाए गए हैं। महादेव झारखंडी मंदिर के उत्तर व दक्षिण बैरीकेडिंग कर दी गई है। चार पहिया वाहन उधर से नहीं गुजर रहे। पुलिस बल की तैनाती की कर दी गई है। मानसरोवर मंदिर अंधियारीबाग समेत सभी शिव मंदिरों में भी व्यवस्था चाक-चौबंद है। मंदिर के कपाट सुबह चार बजे खोल दिए जाएंगे। इसके बाद जलाभिषेक शुरू हो जाएगा। मंदिर परिसरों में रुद्राभिषेक की भी व्यवस्था की गई है।
पं. शरदचंद्र मिश्र ने बताया कि श्रावण के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार पर नागों का पूजन होता है। वेद और पुराणों में नागों का उद्गम महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू से माना गया है। नागों का मूल स्थान पाताल लोक है।