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प्राकृतिक कीटनाशक अन्न के साथ स्वास्थ्य का भी रखेगा ध्यान, गोरखपुर विश्वविद्यालय के विज्ञानी ने बनाया पेस्टीसाइड

गोरखपुर विश्वविद्यालय के शोधार्थी ने एक प्राकृतिक वानस्पतिक कीटनाशक विकसित किया है जो अन्न भंडारण को 36 तरह के कीड़ों और फंगस से सुरक्षित रखेगा। यह कीटनाशक छोटे और सीमांत किसानों के लिए उपयुक्त है और इसकी कीमत 20-25 रुपये प्रति मिलीमीटर होगी। इस कीटनाशक को तैयार करने के लिए डॉ. नरेंद्र कुमार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर आफ साइंस की उपाधि दी गई है।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Tue, 10 Sep 2024 07:50 PM (IST)
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औषधीय वनस्पतियों के फार्मुलेशन प्रक्रिया को पूर्ण करने के ल‍िए बनाया गया उपकरण। फोटो स्‍वयं

डॉ. राकेश राय, गोरखपुर। अन्न भंडारण की दिशा में गोरखपुर का यह नवोन्मेष किसानों के लिए वरदान साबित होगा। यह नेचुरल बॉटेनिकल पेस्टीसाइड (प्राकृतिक वानस्पतिक कीटनाशक) भंडार‍ित अन्न को 36 तरह के कीड़ों और फंगस से तो सुरक्षित रखेगा ही मनुष्य के स्वास्थ्य को भी नुकसान नहीं पहुंचाएगा। छोटे व सीमांत किसानों को ध्यान में रखकर तैयार एक मिलीमीटर पेस्टीसाइड की कीमत 20 से 25 रुपये होगी। इससे एक क्विंटल अनाज का सुरक्षित भंडारण हो सकेगा। 

पेस्टीसाइड को तैयार किया है, गोरखपुर विश्वविद्यालय के शोधार्थी डॉ. नरेंद्र कुमार ने, जो गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में वनस्पति विज्ञान विभाग के आचार्य हैं। उन्होंने अपने उत्पाद के लिए पेटेंट फाइल कर द‍िया है। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने इस शोध के लिए उन्हें डॉक्टर आफ साइंस की उपाधि दी है।

पर्यावरण संरक्षण में सहयोगी तरल स्वरूप वाला यह पेस्टीसाइड टिनोस्पोरा कार्डिफोलिया, सीजेजियम एरोमेटिकम, टेजेटिस इरेक्टा, रॉक्सबर्गी, क्यूमिनम सेमिनम, एनिधम ग्रेवोलेंस, फोनीकुलम वल्गेर टेकीस्परमम आमी जैसे औषधीय वस्पतियों के फार्मुलेशन (घटकों को उचित संबंधों या संरचनाओं में एक साथ रखना) से तैयार किया गया है। इसके इस्तेमाल के बाद सल्फास व ईडीसीटी एंपुल जैसे कीटनाशक पर निर्भरता कम हो जाएगी। 

मूल रूप से बस्ती जिले के दुधौरा दौलतपुर गांव के रहने वाले डा. नरेंद्र बताते हैं कि उनका यह कीटनाशक तीन तरह के कीड़ों (ट्राइबोलियम कास्टेनियम, कैलोसोबुक्स व चाइनेनशिस) और 33 तरह के फंगस से अनाज को सुरक्षित करेगा। उनका शोधपत्र नेचर साइंटिफिक, मेडिशनल प्लांट, जर्नल ऑफ नेचुरल प्रोडक्टस में प्रकाशित हो चुका है। यह शोध उन्होंने वनस्पति विज्ञान विभाग के आचार्य प्रो. वीएन पांडेय के मार्गदर्शन में पूरा किया है।

पर्यावरण व स्वास्थ्य के लिए किया गया शोध : प्रो. वीएन पांडेय

शोध निर्देशक प्रो. वीएन पांडेय ने बताया कि चूंकि यह कीटनाशक औषधीय पौधों के फार्मूलेशन से बना है इसलिए इसका पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। हमें पूरा विश्वास है कि यह प्राकृतिक कीटनाशक सुरक्षित अन्न भंडारण में रासायनिक कीटनाशक का मजबूत विकल्प बनेगा।  

डॉ. नरेंद्र कुमार ने ऐसा उत्पाद बनाने में सफलता पाई है, जिससे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हर कोई प्रभावित हैं। उनका यह उत्पाद पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

प्रो. पूनम टंडन, कुलपति, दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय