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नेपाल की नमस्ते से भारत की सुरक्षा को खतरा, यहां तक भी नहीं काम करता भारतीय नेटवर्क

नेपाल की नमस्ते मोबाइल नेटवर्क भारतीय क्षेत्र तक आ रहा है। भारतीय सीमा क्षेत्र के हजारों उपभोक्ता नेपाली सिम का उपयोग करते हैं।

By Edited By: Updated: Thu, 18 Apr 2019 02:31 PM (IST)
नेपाल की नमस्ते से भारत की सुरक्षा को खतरा, यहां तक भी नहीं काम करता भारतीय नेटवर्क
गोरखपुर, जेएनएन। भारत-नेपाल सीमा पर भारतीय मोबाइल से बात करना नामुमकिन है। वहीं नेपाल की मोबाइल कंपनी नमस्ते का नेटवर्क भारत के अंदर दो से तीन और कहीं-कहीं सात किलोमीटर तक एक्टिव है। इससे सुरक्षा खतरा बना रहता है। सुरक्षा एजेंसियां भी इससे चिंतित हैं, उनका मानना है कि ऐसे में यदि कोई घटना हो जाए उसकी तह तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। भारत में नेटवर्क बेहतर करने के लिए वर्ष 2015 में एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) व दूरसंचार निगम ने प्रयास किया था।
दोनों ने ही मुख्यालय को पत्र लिखा। इसके बाद सीमाई क्षेत्रों में नए बीटीएस लगाने व पुराने बीटीएस की क्षमता बढ़ाने की अनुमति मिल गई। छह नए बीटीएस लगाए भी गए, इसके बाद भी नेटवर्क ठीक से काम नहीं कर रहा। ऐसे में लोग सीमाई क्षेत्रों में नेपाल की प्रमुख मोबाइल कम्पनी नमस्ते के सिम से काम चला रहे हैं । उत्तर प्रदेश का कोई भी सीमाई जिला हो, हर जगह की स्थिति एक जैसी है।
सिर्फ सिद्धार्थनगर जनपद के मोहाना, कपिलवस्तु, शोहरतगढ़, चिल्हियां और ढेबरुआ थाने के ही 53 गांव ऐसे हैं, जहां के लोग नेपाली मोबाइल नेटवर्क की सुविधा ले रहे हैं। इसी तरह महराजगंज जनपद के भी दर्जनों गांव हैं जहां पर लोग नेपाली सिम का इस्तेमाल करते हैं। नेटवर्क की समस्या से सर्वाधिक परेशानी सशस्त्र सीमा बल के जवानों को होती है, उनका संपर्क घर-परिवार से नहीं हो पाता है। स्थिति यह है कि जवान सिर्फ लैंडलाइन से ही संपर्क कर पाते हैं। भारत संचार निगम लिमिटेड के जेटीओ इंडोर राजमणि गुप्ता ने इस बावत बताया कि यहां बीएसएनएल की नेटवर्क फ्रिक्वेंसी 36 सौ से 42 सौ मेगा हॉर्स होनी चाहिए, लेकिन 21 सौ मेगा हॉर्स की फ्रिक्वेंसी ही दी जा रही है, ऐसा सुरक्षा के चलते है।
सिर्फ लैंड लाइन से ही हो पाती है बातचीत

एसएसबी के डिप्टी कमांडेंट अमित कुमार सिंह का कहना है कि जवानों से लैंडलाइन पर ही बात हो पाती है। इसके बारे में सशस्त्र सीमा बल मुख्यालय और शासन को अवगत कराया जा चुका है। भारतीय क्षेत्र में नेपाली नेटवर्क का नियंत्रण तभी संभव है, जब नेपाल सरकार कोई कदम उठाए। नेपाली नेटवर्क यहां पकड़ने से सुरक्षा का खतरा बना रहता है।

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