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गोरखपुर में बसेगा नया गोरखपुर, शहर के इस हिस्से में आरक्षित हुई 1800 हेक्टेयर क्षेत्रफल जमीन

गोरखपुर की सूरत बदलने की तैयारी शुरू हो चुकी है। गोरखपुर में नया गोरखपुर बसाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए जीडीए ने कुशीनगर रोड एवं देवरिया रोड के बीच फोरलेन बाईपास से लगे करीब 1800 हेक्टेयर क्षेत्रफल जमीन आरक्षित कर दी है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Thu, 25 Aug 2022 09:35 AM (IST)
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गोरखपुर में नया गोरखपुर बसाने की तैयारी शुरू हो गई है। - प्रतीकात्मक तस्वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। लंबे इंतजार के बाद बुधवार को गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) की नई महायोजना 2031 के प्रारूप को जीडीए बोर्ड ने स्वीकृति दे दी। मेट्रोपोलिटन शहर की तर्ज पर इस महायोजना को तैयार किया गया है। 25 लाख की आबादी के लिए 99.47 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल जमीन का भू उपयोग आवासीय रखा गया है। एक सप्ताह के भीतर महायोजना को प्राधिकरण की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा। महायोजना अभी पूरी तरह से प्रस्तावित है। वेबसाइट पर अपलोड होने के साथ ही लोग आपत्तियां एवं सुझाव दे सकेंगे। आपत्तियाें एवं सुझावों के बाद भी कई परिवर्तन हो सकते हैं। आपत्तियों के निस्तारण के बाद महायोजना को अंतिम रूप से प्रकाशन के लिए शासन को भेज दिया जाएगा।

1800 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बसेगा नया गोरखपुर

महायोजना में नया गोरखपुर बसाने का प्रस्ताव भी शामिल किया गया है। कुशीनगर रोड एवं देवरिया रोड के बीच फोरलेन बाईपास से लगे करीब 1800 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर नया गोरखपुर बसाया जाएगा। इस क्षेत्र को आदर्श रूप में विकसित किए जाने की सभी संभावनाएं मौजूद होंगी। कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट एवं गोरखपुर एयरपोर्ट से आसान पहुंच के कारण इस जगह को नया गोरखपुर बसाने के लिए उपयुक्त माना गया है।

अधिक से अधिक लोगों की सुविधाओं का रखा गया ख्याल

नई महायोजना को तैयार करने वाले कंसलटेंट गुजरात निवासी गोपालदास प्राणदास शाह व नगर नियोजक हितेश ने बताया कि इस महायोजना में लोगों की सुविधा का ख्याल रखा गया है। यह कोशिश की गई है कि अधिक से अधिक लोगों को सुविधा मिल सके। कई ऐसे स्थानों के भू उपयोग आवासीय किए गए हैं, जहां कुछ अन्य भू उपयोग था। इस महायोजना को 125 जनसंख्या घनत्व के आधार पर तैयार किया गया है। महायोजना तैयार करते समय अवैध निर्माण का अध्ययन भी किया गया। विभिन्न वर्ग के लोगों का सुझाव लेने के लिए पांच बार कंसलटेंसी बैठकें की गई हैं। पुरानी महायोजना में जो समस्या थी, उसे दूर करने का प्रयास भी किया गया है। भरपूर हरित क्षेत्र रहेगा। अभी बहुत कुछ लोगों के सुझावों के बाद भी बदलेगा। यह महायोजना जीआइएस आधारित है, इसमें सबकुछ साफ दिखेगा। बोर्ड बैठक की अध्यक्षता मंडलायुक्त रवि कुमार एनजी ने की। बैठक में जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश, जीडीए उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह, सचिव उदय प्रताप सिंह, सदस्य दुर्गेश बजाज आदि उपस्थित रहे।

बनाए जाएंगे हाईवे फैसिलिटी जोन

महायोजना में शहर से सटे क्षेत्रों के विकास पर खास जोर दिया गया है। कालेसर-जंगल कौड़िया-जगदीशपुर-कालेसर रिंग रोड हो या कोई अन्य हाईवे, दोनों ओर विकास की पर्याप्त संभावनाएं रहेंगी। हर हाईवे के दोनों ओर 30-30 मीटर की चौड़ाई में बफर जोन होगा, जिससे भविष्य में सड़क को चौड़ा करने की संभावना बनी रहे। 30 मीटर के बाद दोनों ओर 18-18 मीटर चौड़ी सड़क होगी। सड़क के बाद दोनों ओर 282 मीटर दूरी में हाईवे फैसिलिटी जोन होगा। यहां शैक्षणिक संस्थाएं, अस्पताल, लाजिस्टिक पार्क, वेयर हाउस, पेट्रोल पंप, होटल, मोटल, रिसार्ट, पेट्रोल पंप, स्कूल, कालेज, बैंक्वेट हाल, मैरेज हाल आदि खोले जा सकेंगे। यह पूरा क्षेत्र गैर आवासीय होगा।

यातायात को बेहतर बनाने का है उपाय

महायोजना को तैयार करते समय शहर को जाम से मुक्त बनाने पर जोर दिया गया है। सभी चौराहों पर जाम का अध्ययन किया गया है। इस तरह से भू उपयोग दिए जा रहे हैं, जिससे ट्रांसपोर्टनगर, वेयर हाउस, मंडी, शैक्षणिक एवं मेडिकल संस्थाएं शहर के बाहर शिफ्ट हो सकें। महराजगंज रोड, सोनौली रोड, कुशीनगर रोड व देवरिया रोड पर इस तरह की संभानाएं रहेंगी। हर प्रवेश द्वार पर बस अड्डा भी बनाया जाएगा।

वन क्षेत्र के 100 मीटर दायरे में होगा ग्रीन जोन

महायोजना में वन क्षेत्र का भी ध्यान रखा गया है। वन विभाग के सुझावों के बाद इस बात का प्रस्ताव किया गया है कि वन क्षेत्र के चारो ओर 100 मीटर की परिधि को ग्रीन जोन रखा जाएगा। कुसम्ही जंगल, पिपराइच रोड पर स्थित जंगल एवं अन्य स्थानों पर यह स्थिति नजर आएगी। तुर्रा नाला को भी वन विभाग ने अपने क्षेत्र में माना है इसलिए इस नाले से 100 मीटर का दायरा लिया जाएगा। इस प्रस्ताव के मुताबिक यदि किसी की निजी जमीन भी इस बीच होगी तो वह भी केवल हरियाली से जुड़ा काम कर सकेगा। एयरफोर्स के 100 मीटर दायरे में पहले से ही नो कंस्स्ट्रक्शन जोन है। हालांकि वन क्षेत्र को लेकर शामिल किए गए प्रस्ताव पर भी लोग आपत्ति दे सकते हैं। आपत्तियों के निस्तारण के लिए गठित होने वाली कमेटी की रिपोर्ट के बाद इसमें बदलाव भी हो सकता है।

प्राकृतिक नालों के दोनों ओर 15 मीटर का होगा बफर जोन

महायोजना में गोड़धोइया नाला, रामगढ़ताल नाला जैसे प्राकृतिक नालों के दोनों ओर 15-15 मीटर तक बफर जोन रखने का प्रस्ताव शामिल किया गया है। रामगढ़ताल से निकलकर तरकुलानी रेगुलेटर में मिलने वाले रामगढ़ताल नाला के दोनों ओर प्लाटिंग भी हो रही थी, जिसे जीडीए ने रोक दिया है। यहां कोई निर्माण नहीं हो सकेगा। हालांकि आपत्तियों का विकल्प यहां भी खुला रहेगा।

100 कालोनियां होंगी नियमित, ग्रीन लैंड पर बसी कालोनियों की स्थिति में परिवर्तन नहीं

महायोजना में शामिल प्रस्ताव के मुताबिक भू उपयोग परिवर्तित कर करीब 100 कालोनियों को नियमित किया गया है। हालांकि ग्रीन लैंड में बसी रामजानकीनगर जैसी कालोनियों को नियमित करने का प्रस्ताव शामिल नहीं किया गया है। ग्रीन लैंड एवं खुला क्षेत्र के भू उपयोग को उसी रूप में रखा गया है। ग्रीन लैंड पर बसी कालोनियों के लोग भी आपत्ति दाखिल कर कालोनी को नियमित कराने की अपील कर सकते हैं। उनकी आपत्तियों के बाद नियमित होने की संभावना बनी रहेगी।

विनियमितीकरण से मुक्ति के लिए देना होगा सुझाव

शहर में विनियमित क्षेत्र का मामला हमेशा चर्चा में रहता है। शहर के बीच करीब 1700 एकड़ क्षेत्रफल विनियमितीकरण के दायरे में है। यहां न तो मानचित्र पास हो सकता है और न ही निर्माण कराया जा सकता है। जो भी निर्माण यहां होते हैं, अनियमित होते हैं। लोगों को उम्मीद थी कि महायोजना में इससे मुक्ति मिल जाएगी लेकिन महायोजना में इसे लोगों पर छोड़ा गया है। वेबसाइट पर अपलोड होने के बाद लोग विनियमितीकरण से मुक्ति को लेकर सुझाव दे सकते हैं। उनके सुझावों के आधार पर ही इस बिन्दु पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

चिलुआताल के चारो ओर होगा बफर जोन

चिलुआताल के सुंदरीकरण के लिए इसके चारो ओर मध्यवर्ती क्षेत्र यानी बफर जोन का प्रस्ताव दिया गया है। यह बफर जोन 100 मीटर से लेकर 500 मीटर तक होगा। यहां आवासीय निर्माण नहीं हो सकेगा। हालांकि पर्यटन की दृष्टि से इसे विकसित करने के लिए मनोरंजन से जुड़े काम हो सकेंगे। चिलुआताल को रिक्रिएशन सेंटर के रूप में विकसित किया जागएा। यहां वाटर पार्क, काटेज, वाटर स्पोर्ट्स आदि से जुड़ी गतिविधियों की अनुमति होगी।

मेट्रो रूट के दोनों ओर होगा बाजार स्ट्रीट

मेट्रो एवं अन्य परियोजनाओं का भी महायोजना में ध्यान रखा गया है। मेट्रो रूट के दोनों ओर बाजार स्ट्रीट का भू उपयोग दिया जाएगा, जिससे यह क्षेत्र विकसित हो सके। दोनों ओर वाणिज्यिक विकास हो सकेगा। डिपो बनाने से लेकर अन्य सुविधाओं का जिक्र भी महायोजना में है।

24 मीटर की सड़क के दोनों ओर वाणिज्यिक अनुमति का प्रस्ताव

शहर में 24 मीटर या इससे चौड़ी सड़क के दोनों ओर वाणिज्यिक गतिविधियों की अनुमति का प्रस्ताव है। देवरिया बाईपास व अन्य सड़कों पर इसका फायदा मिलेगा। कई स्थानों पर लोग वाणिज्यिक उपयोग कर रहे हैं लेकिन अब इसे नियमित करा सकेंगे। लोगों की आपत्तियों पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा।

ऐसे बढ़ता गया शहर का दायरा

जीडीए की पहली महायोजना 2001 में करीब 65 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल को शामिल किया गया था और छह लाख 10 हजार की आबादी इसमें शामिल की गई थी। महायोजना 2021 में छह हजार 128 हेक्टेयर क्षेत्रफल को शामिल किया गया और करीब 13 लाख आबादी को ध्यान में रखकर इसे तैयार किया गया। वर्तमान में जीडीए का क्षेत्र कई गुना बढ़ गया है। चौरी चौरा, पिपराइच व पीपीगंज भी इसमें शामिल है। कुल 319 गांव इसके दायरे में हैं। 2031 महायोजना को 203 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में तैयार किया गया है। लक्षित जनसंख्या 25 लाख है।

महायोजना 2031 का प्रारूप जीडीए बोर्ड की बैठक में रखा गया। इसे आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। जल्द ही इसे प्राधिकरण की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा। उसके बाद लोग आपत्तियां एवं सुझाव दे सकेंगे। - प्रेम रंजन सिंह, उपाध्यक्ष, जीडीए।

महायोजना एक नजर में

भू उपयोग क्षेत्रफल प्रतिशत

आवासीय 9998.51 49.16

वाणिज्यिक 761.65 3.74

आफिस (सांस्थानिक) 352.94 1.73

पब्लिक व सेमी पब्लिक 1406.81 6.91

औद्योगिक 788.40 3.87

ट्रैफिक, ट्रांसपोर्ट

पार्क, खुला क्षेत्र व ग्रीन बेल्ट 4048.48 19.90

कुल 20336.43 100

अन्य 8557.56

कृषि 35480.94

नोट : क्षेत्रफल वर्ग किलोमीटर में।

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