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Kala Namak Rice: कालानमक की नई प्रजाति चार माह में ही होगी तैयार, गोरखपुर के कृषि विज्ञानी को मिली बड़ी सफलता

सीआरडी बौना कालानमक-अर्ली में 10 से 15 सितंबर के बीच ही फूल आ गए। इसके चलते यह प्रजाति 10 से 15 अक्टूबर तक काटने योग्य हो जाएगी। डा.बीएन सिंह के मुताबिक अब इस प्रजाति की जांच कराकर पता किया जाएगा कि यह प्रकाश संवेदी है या नहीं। अगर प्रकाश संवेदी नहीं होगी तो किसी भी समय इसका उत्पादन किया जा सकेगा।

By Jagran NewsEdited By: Vinay SaxenaUpdated: Tue, 26 Sep 2023 03:15 PM (IST)
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सीआरडी बौना कालानमक-अर्ली नाम की यह प्रजाति चार महीने में तैयार हो जाएगी।
गोरखपुर, आशुतोष मिश्र। कालानमक धान की नई प्रजाति पर चल रहा काम मुकाम पर पहुंचने की ओर है। सीआरडी बौना कालानमक-अर्ली नाम की यह प्रजाति चार महीने में तैयार हो जाएगी। प्रारंभिक चरण में सफलता से उत्साहित कृषि विज्ञानी डॉ. बीएन सिंह नई प्रजाति के परीक्षण के लिए कृषि विभाग के संपर्क में हैं। परीक्षण के बाद ही यह प्रजाति किसानों के लिए जारी हो जाएगी।

मोहद्दीपुर में अनुसंधान एवं विकास केंद्र चलाने वाले डॉ. बीएन सिंह का सोनबरसा के पास गौनर उसहरा गांव में फार्म है। वर्ष 2020 में उन्होंने एक एकड़ खेत में दिल्ली की वेरायटी पूसा-1638 धान उगाया था। इसी खेत में एक म्यूटेंट पौधा मिला। इसकी अलग से हार्वेस्टिंग कर उन्होंने इसके बीज गुणन पर काम शुरू किया। चूंकि यह प्राकृतिक म्यूटेंट था, इसलिए उन्हें इसे विकसित करने में बायोटेक्नोलाजी की जरूरत नहीं पड़ी। बीज गुणन की प्रक्रिया के बाद उन्होंने कालानमक की जो प्रजाति तैयार की वह अब तक खोजी गई सभी प्रजातियों में सबसे जल्दी तैयार होती है।

...तो हर सीजन में उगाया जा सकेगा कालानमक

विशेष स्वाद और सुगंध वाले कालानमक धान की अब तक खोजी गईं किस्में प्रकाश संवेदी हैं। प्रकाश संवेदी किस्में जब भी रोपी जाएं, उनमें फूल तय समय पर ही आते हैं। जैसे कालानमक की परंपरागत प्रजाति में 25 से 30 अक्टूबर के बीच फूल आते हैं, तो पिछले दिनों खोजी गई प्रजातियों में 10 से 15 अक्टूबर तक।

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सीआरडी बौना कालानमक-अर्ली में 10 से 15 सितंबर के बीच ही फूल आ गए। इसके चलते यह प्रजाति 10 से 15 अक्टूबर तक काटने योग्य हो जाएगी। डा.बीएन सिंह के मुताबिक अब इस प्रजाति की जांच कराकर पता किया जाएगा कि यह प्रकाश संवेदी है या नहीं। अगर प्रकाश संवेदी नहीं होगी तो किसी भी समय इसका उत्पादन किया जा सकेगा। ईरी, वाराणसी सहित अन्य प्रतिष्ठित धान शोध संस्थानों से इसकी गुणवत्ता की भी जांच कराएंगे।

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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से हाल ही में कालानमक की जो दो नई प्रजाति लांच की गई थीं उनमें से एक पूसा सीआरडी केएन-2 को मैंने अपने फार्म में विकसित किया था। पूसा नरेंद्र केएन-1 और पूसा सीआरडी केएन-2 प्रजातियां पांच माह में तैयार होती हैं। इनकी तरह सीआरडी बौना कालानमक-अर्ली को भी सरकार द्वारा जारी कराने की तैयारी है।- डॉ. बीएन सिंह, कृषि विज्ञानी, अनुसंधान एवं विकास केंद्र, गोरखपुर

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