इस थाने में पांच सालों में एक भी आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं, कारण जानकर हो जाएंगे हैरान Gorakhpur News
सोहगीबरवा के जीवन और मुश्किलों में भी पुलिस की बेहतर कार्यप्रणाली और क्राइम कंट्रोल को जल्द ही आप परदे पर देख सकेंगे। वहां नाम मात्र के मुकदमे दर्ज होना और पुलिस का सकारात्मक पहलू दिखाने का प्रयास किया जाएगा।
By Rahul SrivastavaEdited By: Updated: Sat, 20 Mar 2021 01:10 PM (IST)
सच्चिदानंद मिश्र, गोरखपुर : महराजगंज जिले के टापू कहे जाने वाले सोहगीबरवा के जीवन और मुश्किलों में भी पुलिस की बेहतर कार्यप्रणाली और क्राइम कंट्रोल को जल्द ही आप परदे पर देख सकेंगे। वहां के थाने में वर्षों से नाम मात्र के मुकदमे दर्ज होना और पुलिस को आवश्यक संसाधनों की कमी और चुनौती भरा सफर लोगों तक पहुंचाकर पुलिस का सकारात्मक पहलू दिखाने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए पुलिस विभाग की ओर से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
25 हजार से अधिक की आबादी करती है निवासजिला मुख्यालय से 70 किमी दूर निचलौल तहसील के नारायणी नदी के उस पार सोहगीबरवां शिकारपुर व भोथहा के कुल आठ टोलों में 25 हजार से अधिक आबादी निवास करती है। यूपी-बिहार की सीमा पर जंगल पार्टी के आंतक को खत्म करने के लिए शासन के निर्देश पर वर्ष 2003 में यहां पर थाने की स्थापना की गई थी। थाने में एक सब इंस्पेक्टर, एसएसआइ व आठ कांस्टेबल की ड्यूटी है। बाढ़ के समय में थाने का संपर्क पूरे जिले से कट जाता है। थाने की गाड़ी खड़ी हो जाती है। तीन गांव के इस थाने में अपराध नहीं के बराबर है। जिसकी वजह से पांच वर्षों में एक भी आपराधिक मुकदमे दर्ज नहीं हुए। थाने पर पहुंचने के लिए कुशीनगर के खड्डा से होते हुए बिहार के पश्चिमी चंपारन के नौरंगिया से होकर जाना पड़ता है। नेपाल के रास्ते जाने के लिए एसपी के स्कोर्ट को भी निचलौल के झुलनीपुर पुलिस चौकी पर असलहा जमा करना पड़ जाता है।
आबकारी और एमबी एक्ट के ही मुकदमेपुलिस अधीक्षक प्रदीप गुप्ता ने बताया कि सोहगीबरवां में बेहतर पुलिसिंग की वजह से 2016 से लेकर अबतक मात्र 49 मुकदमे दर्ज हुए हैं। इसमें सभी आबकारी और एमबी एक्ट के मुकदमे हैं। मुश्किलों में भी पुलिस की बेहतर कार्यप्रणाली को सभी को रूबरू कराने के लिए सोहगीबरवां थाने पर डाक्यूमेंट्री का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए तैयारियां की जा रही हैं।
कुशीनगर से मिलती है बिजली, बिहार के हाथ में है डाकघर की कमानसोहगीबरवां क्षेत्र की दुरूह स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां के गांवों में कुशीनगर जिले से बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है। जो अभी करीब सात माह से बाधित है। जबकि डाकघर की कमान बिहार के हाथ में है।महज एक ग्राम पंचायत की रखवाली के लिए बना था थाना
उस दौर में जब जंगल पार्टी का आतंक था तो महज एक गांव सोहगीबरवां की रखवाली के लिए प्रदेश सरकार द्वारा थाने की स्थापना कर बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई थी। आज सोहगीबरवां को काट कर दो अन्य ग्राम पंचायतें भी बन गई हैं। हालांकि अब जंगल पार्टी का आतंक नहीं है, लेकिन थाने का संचालन यथावत है।सजा के तौर पर होती है सोहगीबरवा में तैनातीइस क्षेत्र में कोई कर्मचारी मन से ड्यूटी ज्वाइन करना नहीं चाहता। इन गांवों को महराजगंज का काला पानी कहा जाता है। ऐसे में यह आम धारणा है कि सजा के तौर पर पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों द्वारा अपने मातहतों को सोहगीबरवा में तैनाती दी जाती है।
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