Gorakhpur: लंदन आई की तर्ज पर अब बनेगा गोरखपुर आई, फ्रांस-ब्रिटेन और यूएस की कंपनियां आई आगे
Gorakhpur लंदन आई यानी विशाल अवलोकन चक्र (बड़े गोल झूले की तरह) की तर्ज पर गोरखपुर आइ स्थापित करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। इस काम के लिए फ्रांस ब्रिटेन एवं यूएस की कंपनियों ने भी रुचि दिखाई है। गुरुवार को जीडीए उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन ने कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ ऑनलाइन नीलामी पूर्व बैठक (प्री बिड मीटिंग) की।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। लंदन आई यानी विशाल अवलोकन चक्र (बड़े गोल झूले की तरह) की तर्ज पर गोरखपुर आइ स्थापित करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) की ओर से इस परियोजना की डिजाइन एवं डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) जारी की गई है।
इस काम के लिए फ्रांस, ब्रिटेन एवं यूएस की कंपनियों ने भी रुचि दिखाई है। गुरुवार को जीडीए उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन ने कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ ऑनलाइन नीलामी पूर्व बैठक (प्री बिड मीटिंग) की।
गोरखपुर आई की संभावनाओं पर हुई चर्चा
बैठक में गोरखपुर आई की संभावनाओं पर चर्चा हुई। इनमें से अधिकतर कंपनियों की ओर से मुंबई एवं श्रीनगर में इस तरह की परियोजना के लिए जारी टेंडर में भागीदारी की गई थी। के दौरान गोरखपुर आई के ब्यास, लागत, जमीन की उपलब्धता आदि के बारे में चर्चा की गई।बैठक में इन देशों में लिया भाग
बैठक में फ्रांस की एजिस, ब्रिटेन की अरुप एवं यूनाइटेड स्टेट टेक्सास की सीबीआरई के साथ ही गुरुग्राम की ट्रेक्टेबल इंजीनियरिंग एवं डब्ल्यूपीके के प्रतिनिधि शामिल रहे। बैठक में जीडीए के अधिशासी अभियंता नरेंद्र कुमार, सहायक अभियंता एके तायल एवं राजबहादुर सिंह शामिल रहे।
लंदन आई की तरह होगा गोरखपुर आई
कंसल्टेंसी कंपनी के रूप में इस टेंडर में प्रतिभाग कर रही कंपनी डब्ल्यूपीके के प्रतिनिधि उदय भीमराव पांडेय ने बताया कि उनकी कंपनी ने मुंबई एवं श्रीनगर के टेंडर में प्रतिभाग किया था। बताया कि यदि गोरखपुर आई के लिए विशाल अवलोकन चक्र का व्यास 100 से 150 मीटर रखा जाएगा तो इसको स्थापित करने पर एक हजार से दो हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।लंदन आई का व्यास 120 मीटर है। इसमें लोगों के बैठने के लिए लगभग 32 कैप्सूल लगे होंगे। एक कैप्सूल में 25 लोग बैठ सकेंगे। 45 मिनट से एक घंटे में यह चक्र एक चक्कर लगाएगा। इसकी गति अत्यंत धीमी होगी, जिससे लोग पूरे शहर का नजारा ले सकेंगे। कंसल्टेंट का कहना है कि डीपीआर बनाने में छह महीने, जबकि अवलोकन चक्र बनाने में तीन साल लग सकते हैं।
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