Gorakhpur Lok sabha result 2024: गोरक्षनगरी में फिर भाजपा की तारणहार बनी गोरक्षपीठ, यहां कम नहीं हुई जनता की निष्ठा
गोरक्षपीठ के प्रति जनता की निष्ठा का चुनावी माहौल से कुछ लेना-देना नहीं है। निष्ठा थी है और आगे भी रहेगी। इसी निष्ठा का नतीजा है कि गोरक्ष नगरी में एक बार फिर भाजपा की तारणहार बनी है। इसकी पुष्टि इस बात से होती है कि जहां अन्य सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी जीत-हार के लिए पूरे दिन संघर्ष करते रहे वहीं गोरक्षपीठ भाजपा शुरु से अंत तक आगे रही।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। लोकसभा चुनाव के परिणाम ने सभी को हतप्रभ कर दिया। एक्जिट पोल बेमानी साबित हुआ, सारे पूर्वानुमान फेल हो गए। इंडी गठबंधन से इस कदर चुनौती मिली कि ने बीते दो चुनाव से लगातार गोरखपुर-बस्ती मंडल की सभी नौ सीटों को जीतने वाली भाजपा आधी सीटों के लिए संघर्ष करती दिखी।
अंतत: संतकबीर नगर, बस्ती और सलेमपुर संसदीय सीट हाथ से चली ही गई। जिस सीट ने इन दोनों मंडलों में भाजपा की इज्जत बचाई, वह है गोरक्षपीठ की सीट कही जाने वाली गोरखपुर सदर सीट। दोनों मंडलों की यह एकमात्र सीट रही, जिसे भाजपा प्रत्याशी ने एक लाख से अधिक के अंतर से जीता।
जातीय समीकरण की लहर में इस अंतर ने यह साबित कर दिया गोरक्षपीठ के प्रति जनता की निष्ठा का चुनावी माहौल से कुछ लेना-देना नहीं है। निष्ठा थी, है और आगे भी बनी रहेगी। इसी निष्ठा का नतीजा है कि गोरक्षपीठ गोरक्ष नगरी में एक बार फिर भाजपा की तारणहार बनी है।
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इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि जहां अन्य सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी जीत-हार के लिए पूरे दिन संघर्ष करते रहे, वहीं गोरक्षपीठ का खड़ाऊं लेकर भाजपा के टिकट से चुनाव मैदान में उतरने वाले रवि किशन शुरु से अंत तक कभी हारते नहीं दिखे।
पूरे समय उन्होंने प्रतिद्वंद्वी सपा प्रत्याशी काजल निषाद से वोटों की बढ़त बनाए रखी। अंत में सम्मानजनक तरीके से जीत हासिल की। एक यही सीट थी, जिसे जीतने को लेकर भाजपा के कार्यकर्ता मतगणना के दिन मंगलवार को सुबह से ही आश्वस्त दिखे। क्योंकि गोरक्षपीठ की सीट होने के चलते उन्हें इसकी जीत का भरोसा था और भरोसा पूरा भी हुआ।
इसे भी पढ़ें-गोरखपुर-बस्ती मंडल में निर्दलियों से आगे रहा 'नोटा', छह सीटों पर हैरान करने वाला स्थान किया हासिलगोरक्षपीठ ने संभाली कमान तो जम गई भाजपागोरखपुर संसदीय सीट के चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें तो 1984 तक हुए चुनाव में आठ चुनावों में यहां छह बार कांग्रेस का दबदबा रहा। इस बीच सिर्फ दो बार कांग्रेस को यह सीट गंवानी पड़ी थी। 1967 में गोरक्षपीठ के तत्कालीन महंत दिग्विजयनाथ के हाथों और 1977 में इमरजेंसी के विरोध में, जनता पार्टी की लहर में।
1984 के चुनाव में सफलता हासिल करने के बाद से ही इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस पहले जीत को तरसती रही और फिर जमानत बचाने तक को। 1989 से यह सीट पूरी तरह मंदिर की हो गई। 1989 से लेकर 1996 तक के बीच तीन चुनावों में महंत अवेद्यनाथ ने और उनके राजनीति से संन्यास लेने के बाद 1998 से लेकर 2014 तक के बीच पांच चुनावों में वर्तमान योगी आदित्यनाथ ने संसदीय चुनाव जीतकर गोरखपुर की जनता का संसद में प्रतिनिधित्व किया।
1989 का चुनाव महंत अवेद्यनाथ ने हिन्दू महासभा के प्रत्याशी के रूप में लड़ा था, उसके बाद वह और योगी आदित्यनाथ लगातार भाजपा के दिग्गज नेताओं की कतार में शामिल होकर लड़ते और जीत हासिल करते रहे। नतीजा यह रहा कि गोरक्षपीठ के जरिये यह सीट भाजपा का गढ़ मानी जाने लगी।2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद अगर उपचुनाव का अपवाद छाेड़ दें तो रवि किशन ने योेगी की प्रतिनिधि के तौर पर यह जिम्मेदारी निभाई। 2019 में तो जीते ही, इस बार की विपरीत परिस्थितियों में पीठ की छत्रछाया में जीत हासिल की।
योगी के बूथ पर बंपर जीती भाजपा, मिले 426 मतमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछली एक जून को गोरखनाथ क्षेत्र में स्थित प्राथमिक विद्यालय गोरखनाथ कन्या में बूथ संख्या 223 पर मतदान किया था। जागरण ने मंगलवार को उस बूथ पर पड़ने वाले मतों की जानकारी ली तो पता चला कि वहां सर्वाधिक मत भाजपा के मिले हैं।बूथ के मतदान चार्ट के अनुसार वहां कुल 566 मत पड़े, इनमें से 426 मत भाजपा प्रत्याशी रवि किशन के पक्ष थे। निकटतम प्रतिद्वंद्वी काजल निषाद को मात्र 131 मत ही मिल सके। भाजपा की महानगर टीम इसे अपनी उपलब्धि मान रही है।
महानगर अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी ने मतदान के बाद मीडिया से बातचीत में लोगों से गर्मी की चिंता न करते हुए अधिक से अधिक मतदान करने की अपील की थी। उनकी प्रेरणा का ही नतीजा रहा कि क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में वोट देने निकले और भाजपा को उनकी बूथ पर सर्वाधिक मत मिले।महानगर अध्यक्ष ने बताया कि प्रदेश उपाध्यक्ष व एमएलसी डा. धर्मेंद्र सिंह और उनके खुद के बूथ पर भी पार्टी को जनता ने सर्वाधिक वोट दिया है। प्रदेश उपाध्यक्ष का बूथ तारामंडल परिसर में था। वहां कुल 511 मत पड़े, जिसमें से 355 भाजपा को मिले।
सपा के केवल 144 मत ही मिल सके। इसी तरह महानगर अध्यक्ष के मिर्जापुर स्थित स्विंटन स्कूल के बूथ पर पड़े 407 मतों में से 349 मत भाजपा के पक्ष में और मात्र 54 मत सपा के पक्ष में पड़े।
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