पर्याप्त दूध न मिलने से बंद हुआ गोरखपुर का पराग डेयरी प्लांट, अयोध्या से दूध मंगाकर की जा रही आपूर्ति
एक जून से ही पराग डेयरी का गीडा प्लांट बंद है। जिसके चलते अयोध्या से दूध मंगाकर आपूर्ति की जा रही। यह इकाई 1964 में स्थापित हुई थी। पराग डेयरी प्लांट की क्षमता 1 लाख लीटर दूध प्रतिदिन उत्पादन की है। डेयरी बंद होने से 4000 लीटर दूध अयोध्या प्लांट से आ रहा है। ऐसे में गीडा प्लांट को कुल 6000 लीटर दूध मिल पा रहा है।
By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Fri, 23 Jun 2023 01:45 PM (IST)
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। प्रतिदिन एक लाख लीटर उत्पादन क्षमता वाले पराग डेयरी के गीडा प्लांट को जरूरत के हिसाब से दूध नहीं मिलने पर एक जून से बंद कर दिया गया है। अयोध्या प्लांट से चार हजार लीटर दूध मंगाकर आपूर्ति की जा रही है। गीडा प्लांट को महज पांच से छह हजार लीटर दूध ही मिल पा रहा है। सहजनवां तहसील क्षेत्र के गीडा में 1964 में करीब 59 दुग्ध उत्पादन समितियों का गठन कर पराग डेयरी में उत्पादन शुरू किया गया। किसानों से दूध खरीदकर दूध, दही, मक्खन आदि उत्पाद तैयार कर बेचे जाते हैं। 2019 में सीएम योगी आदित्यनाथ के प्रयास से प्लांट की क्षमता बढ़ी थी।
वर्तमान में प्रतिदिन एक लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है और 300 समितियां सक्रिय हैं। दूध कम मिलने पर प्लांट चलाने में खर्च अधिक पड़ रहा है और दूध की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। डेयरी के महाप्रबंधक इंद्रभूषण दुबे ने बताया कि किसान काफी कम दूध दे रहे हैं। पर्याप्त दूध नहीं मिलने पर प्लांट को एक जून से बंद किया गया है, लेकिन यह स्थायी नहीं है। दूध मिलने पर प्लांट फिर चालू किया जाएगा। अयोध्या से चार हजार लीटर दूध मंगाकर आपूर्ति हो रही है।
कांग्रेस करेगी आंदोलन
कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष विश्वविजय सिंह ने कहा कि पराग डेयरी गोरखपुर अंचल की पहचान है। बंद करने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है और बचाने के लिए कांग्रेस आंदोलन करेगी। डेयरी बंद होने से दुग्ध उत्पादों का मूल्य निर्धारण निजी हाथों में चला जाएगा।पांच दर्जन कर्मचारियों के रोजगार पर खड़ा हुआ संकट
पराग डेयरी में वर्तमान समय में करीब पांच दर्जन कर्मचारी कार्यरत हैं। इसमें मात्र 23 स्थायी हैं। शेष 40 कर्मी संविदा पर कार्यरत हैं। छह माह से इन कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है।
डेयरी पर बढ़ता गया कर्ज
पराग डेयरी में किसानों के दूध को खरीदकर दूध, दही, घी, मक्खन व छांछ तैयार कर मंडल के बाजार में बेचा जाता है। इसके बाद भी डेयरी पर कर्ज बढ़ता गया। वर्तमान में सात करोड़ से अधिक की देनदारी है। इसमें किसानों का एक करोड़, कर्मचारियों के वेतन का 1.50 करोड़, ट्रांसपोर्ट का 60 लाख, स्टेट मिल्क एसएमजी के डेढ़ करोड़ रुपये शामिल हैं।बकाया रुपये नहीं मिलने से बढ़ी किसानों की परेशानी
पराग डेयरी में उत्पादन बंद होने के पीछे सबसे बड़ा कारण किसानों का बकाया है। भुगतान नहीं मिलने से किसान पशुओं के चारे के लिए बाजार की तरफ रुख कर लिए हैं। दूध कम आने से बंदी की नौबत आ गई। गगहा ब्लाक के बासुडीहा निवासी किसान गोपाल यादव ने बताया कि सितंबर 2022 से भुगतान नहीं मिला है। डेयरी पर कुल तीन लाख रुपये से ज्यादा बकाया है। प्रतिदिन 40 लीटर दूध लाता था, लेकिन अब आधा दूध पराग डेयरी पर देता हूं। आधा बाजार में बेचता हूं। दुग्ध उत्पादक कुशहार यादव ने बताया कि साढ़े तीन लाख से अधिक बकाया है। रोजाना 40 से 50 लीटर दूध पराग डेयरी पर देना होता है।
धन के अभाव में पशुओं के रखरखाव में अब दिक्कत आ रही है। किसान राजीव कुमार सिंह ने बताया कि छह महीने से दूध का दाम नहीं मिला है। 65 हजार के लगभग डेयरी पर बकाया है। चार-पांच दिन से दूध में पानी की मात्रा अधिक बताई जा रही है। दूध रिजेक्ट कर नाली में बहा दिया जा रहा है। किसान धर्मदेव ने बताया कि 50 हजार रुपये भुगतान बाकी है। आश्वासन पर दूध ला रहा हूं, लेकिन तीन-चार दिन से दूध में कमी निकालकर नाली में बहा दे रहे हैं। इससे हमारी मेहनत पर पानी फिर जा रहा है।
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