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बंद होने की स्थिति में आ गईं पैसेंजर ट्रेनें, एक दिन में 31 हजार से चार सौ पहुंची यात्रियों की संख्‍या

लाकडाउन से पहले 14 मार्च 2020 को गोरखपुर रेलवे स्‍टेशन स्थित काउंटरों से 31653 लोगों ने टिकट बुक लिया था और करीब 40 लाख की कमाई हुई। यात्रियों की संख्‍या 31653 से घटकर अब 422 तक पहुंच गई है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Wed, 17 Mar 2021 08:08 AM (IST)
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किराया बढ़नेे के कारण पैसेंजर ट्रेनों को यात्री नहीं मिल रहे हैं। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। पैसेंजर ट्रेनों (सवारी गाडिय़ों) से भी रेलवे को संजीवनी नहीं मिल पा रही। गोरखपुर स्टेशन से चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों को न यात्री मिल रहे और न रेलवे की कमाई बढ़ पा रही। नौ रेलकर्मी 24 घंटे तीन काउंटर खोलकर भी नौ हजार रुपये का टिकट नहीं बेच पा रहे। वहीं सामान्य दिनों में औसत रोजाना 33 हजार लोग टिकट बुक करते थे।  लगभग 45 लाख रुपये की कमाई हाती थी।

दो गुना किराए के बाद भी घट रही आमदनी

14 मार्च 2021 को गोरखपुर से विभिन्न रूटों पर पांच ट्रेनें चलाई गईं। इन ट्रेनों में यात्रा करने वाले महज 422 लोगों ने काउंटर से टिकट खरीदा। मोबाइल यूटीएस एप या क्यूआर कोड से तो एक भी टिकट नहीं बिके। 05093 गोरखपुर-सीतापुर के लिए 21, 05036 गोरखपुर-नरकटियागंज के लिए 139, 05126 गोरखपुर-छपरा के लिए 87, 05375 गोरखपुर-गोंडा के लिए 54 तथा 05142 गोरखपुर-सिवान के लिए 121 टिकट ही बुक हुए। इन टिकटों की बुकिंग से करीब 32 हजार रुपये की कमाई हुई। यह तब है जब पैसेंजर ट्रेनों में एक्सप्रेस का किराया लग रहा है। यानी, दोगुना किराया के बाद भी कमाई नहीं बढ़ पा रही।

सामान्य दिनों में काउंटरों से रोजाना औसत बुक होते थे 33 हजार टिकट, 45 लाख की

लाकडाउन से पहले 14 मार्च 2020 को गोरखपुर स्थित काउंटरों से 31653 लोगों ने टिकट बुक लिया था और करीब 40 लाख की कमाई हुई। हालांकि इस दिन 25 पैसेंजर ट्रेनों के अलावा एक दर्जन एक्सप्रेस ट्रेनें भी चलीं थी। जानकारों का कहना है कि सामान्य दिनों में नियमित ट्रेनों के जनरल कोचों में भी जनरल किराया ही लगता था। अब स्पेशल के नाम पर रेलवे ने जनरल का कांसेप्ट (संकल्पना) ही समाप्त कर दिया है।

रेल अधिकारियों ने शुरू किया मंथन

एक्सप्रेस ट्रेनों के जनरल कोचों में आरक्षित और पैसेंजर ट्रेनों के जनरल कोचों में एक्सप्रेस का टिकट लग रहा है। सुविधाएं तो वहीं हैं लेकिन स्पेशल के नाम पर किराया बढ़ गया है। लोगों को रेलवे का यह गणित रास नहीं आ रहा। फिलहाल, टिकटों की कम बिक्री ने रेलवे प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। इसको लेकर मंथन शुरू है।