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Gorakhpur News: गिरोह बनाकर बदला गया रेलकर्मियों का पेंशन अंशदान, वर्षों से चल रहा था खेल; जांच शुरू

पूर्वोत्तर रेलवे में पेंशन अंशदान बदलने का खेल वर्षों से चल रहा है। यही वजह है कि कारखाना ही नहीं परिचालन के कर्मचारियों का भी पेंशन अंशदान बदला गया है। मामला उजागर होने पर अन्य विभागों में भी हड़कंप मच गया है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए रेलवे प्रशासन ने जांच की जिम्मेदारी विजिलेंस को सौंप दी है।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Fri, 20 Oct 2023 09:51 AM (IST)
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गिरोह बनाकर बदला गया रेलकर्मियों का पेंशन अंशदान। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। रेलकर्मियों का पेंशन अंशदान गिरोह बनाकर बदला गया है। सरकारी से प्राइवेट बैंकों में अंशदान बदलने का खेल वर्षों से चल रहा था। एक प्राइवेट बैंक का शेयर गिरते ही मामला प्रकाश में आ गया। यांत्रिक कारखाना ही नहीं, परिचालन विभाग के कर्मचारियों का पेंशन अंशदान भी बदला गया है। अन्य विभागों में भी हड़कंप मचा है। मामले को गंभीरता से लेते हुए रेलवे प्रशासन ने जांच की जिम्मेदारी विजिलेंस को सौंप दी है। गुरुवार को विजिलेंस ने जांच भी शुरू कर दी। संबंधित डीलरों के बयान लिए गए हैं।

यह मामला सिर्फ यांत्रिक कारखाना तक ही सीमित नहीं रह गया है। ऐसे में इस प्रकरण की जांच सीबीआइ के हाथ भी जा सकती है। रेलवे प्रशासन ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। आशंका जताई जा रही कि पेंशन अंशदान बदलने का खेल कारखाना और परिचालन विभाग ही नहीं, पूर्वोत्तर रेलवे के अन्य विभागों व दूसरे क्षेत्रीय रेलवे में भी हुआ है। किसी एक लिपिक नहीं, बल्कि रेलकर्मियों ने रैकेट बनाकर कमीशन के नाम पर लाखों कमाने के चक्कर में पेंशन का अंशदान बदला है।

जानकारों का कहना है कि जैसे बैंक वाले खाता खोलने के लिए ग्राहकों को लुभाते हैं, ठीक उसी प्रकार शेयर के लिए भी बाजार में लोक-लुभावने पैकेज की भरमार है। तीन प्राइवेट बैंकों में दो का शेयर तो लगातार चढ़ता रहा, लेकिन जब एक बैंक का शेयर आठ अंक नीचे गिरा तो कर्मचारियों में हड़कंप मच गया।

जानकार बताते हैं कि रेलकर्मी और संबंधित अधिकारी ही पेंशन अंशदान बदल सकते हैं। रेलकर्मी और अधिकारी ने अंशदान बदला नहीं तो सवाल यह है कि हजारों रेलकर्मियों का पेंशन अंशदान किसने बदल दिया? इसको लेकर संबंधित विभाग के लिपिकों की तरफ संदेह की सुई घूम रही है।

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कारखाना स्थित लेखा विभाग का एक लिपिक तो जानबूझकर इज्जतनगर अपना स्थानांतरण करा लिया है। परिचालन सहित अन्य विभागों में भी उसका जाल बिछा हुआ है। हालांकि, जब भी पेंशन अंशदान बदला जाता है तो रेलकर्मी के पास मैसेज आ जाता है, लेकिन अधिकतर रेलकर्मी इसे समझ नहीं पाते और वे उसे भूल जाते हैं। कुछ रेलकर्मियों की जमा पूंजी कम हुई तो मामला प्रकाश में आया। फिलहाल, 2004 के बाद नई पेंशन योजना में तैनात एनईआर के लगभग 20 हजार रेलकर्मियों का पेंशन अंशदान असुरक्षित हाथों में पहुंच गया है। इसके बाद भी रेलवे प्रशासन कुछ बोलने से बच रहा है।

कारखाना पहुंचे पीसीएमई, कर्मचारी संगठनों ने उठाया मुद्दा

एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) के महामंत्री केएल गुप्ता के पत्र लिखने के बाद प्रमुख मुख्य यांत्रिक इंजीनियर (पीसीएमई) गुरुवार को यांत्रिक कारखाना पहुंचे। कर्मचारी संगठनों ने उनके समक्ष नई पेंशन में कटौती की धनराशि बिना कर्मचारियों की सहमति लिए निर्धारित बैंक से अलग दूसरे बैंक/ पेंशन फंड में भेजने का मुद्दा उठाया। नरमू के अलावा पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ और पूर्वोत्तर रेलवे श्रमिक संघ ने कारखाना कर्मचारियों के एनपीएस धनराशि के सुरक्षित निवेश एवं घोटाले पर रोक लगाने की मांग की। पीसीएमई ने प्रकरण के निस्तारण का आश्वासन दिया।

जागरण ने उजागर किया है घोटाला

दैनिक जागरण ने कर्मचारियों की पेंशन के अंशदान में घोटाले को उजागर किया है। इस संबंध में 18 अक्टूबर के अंक में विस्तृत खबर प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी, जिसके बाद पूर्वोत्तर रेलवे के गोरखपुर मुख्यालय में हड़कंप मचा है। रेलवे प्रशासन ने विजिलेंस जांच शुरू करा दी है। आगे सीबीआई से जांच कराने की तैयारी चल रही है।

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गोरखधाम, हमसफर व चौरी चौरा मे दिए गए 800 नए तकिये

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : पूर्वोत्तर रेलवे के रूटों पर चलने वाली ट्रेनों में अब साफ-सुथरे बेडरोल (कंबल, चादर, तौलिया और कवर आदि) और तकिये मिलेंगे। दैनिक जागरण ने 19 अक्टूबर के अंक में दाग-धब्बे वाले तकिया को लेकर यात्रियों व कोच अटेंडेंट की तकरार को उकेरती ‘कवर भी नहीं ढंक पा रहे तकिये की इज्जत’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी।

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प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए रेलवे प्रशासन ने पहले दिन ही गोरखधाम, हमसफर और चौरी चौरा सहित कई प्रमुख ट्रेनों का निरीक्षण कर यात्रियों को 800 नया तकिया उपलब्ध कराया। चौरी चौरा में 30 तकिये बदले गए। रेलवे प्रशासन ने सभी पुराने तकियों को बदलने का निर्णय लिया है। इसके लिए 20 हजार नये तकिया मंगाने का आर्डर दिया जा चुका है। यही नहीं अब तकिये का कवर और रंग भी बदलकर सफेद से नीला हो जाएगा। कवर बदलने का कार्य यांत्रिक कारखाना में किया जाएगा।

प्रथम चरण में गोरखपुर मैकेनाइज्ड लाउंड्री ने 250 तकिया का कवर बदलने का आर्डर भी दे दिया है। लाउंड्री में तकिये के नए कवर भी तैयार होने लगे हैं। जल्द ही गोरखपुर से बनकर चलने वाली ट्रेनों की 36 रेक के तकिये बदल दिए जाएंगे। यात्रियों को पर्याप्त मात्रा में बेडरोल उपलब्ध कराने के लिए गोरखपुर स्थित मैकेनाइज्ड लाउंड्री की क्षमता भी बढ़ा दी गई है।

अब लाउंड्री से प्रतिदिन 17 की जगह 23 हजार बेडरोल के पैकेट तैयार होंगे। त्योहारों में यात्रियों की संख्या बढ़ने पर भी ट्रेनों में बेडरोल की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। गोरखपुर से बनकर चलने वाली 23 में रोजाना 15 से 16 एक्सप्रेस ट्रेनों में बेडरोल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है।

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