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गोरखपुर विश्‍वविद्यालय में AI और मशीन लर्निंग से होगी पौधों की पहचान, जानेंगे फायदा-नुकसान

गोरखपुर विश्‍वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान विभाग के शिक्षकों ने अपने शोध को आधुनिक तकनीक से जोड़ने की उत्साहित करने वाली योजना बनाई है। इससे विभाग में शोध का स्तर उठेगा और शोध की दृष्टि से विश्वविद्यालय देश-दुनिया के विश्वविद्यालयों की कतार में खड़ा दिखेगा। पर्यावरण संतुलन बनाने में भी अपना योगदान सुनिश्चित कर सकेगा। इसके लिए विश्‍वविद्यालय AI और मशीन लर्निंग की मदद लेंगे।

By Rakesh Rai Edited By: Vivek Shukla Published: Sun, 30 Jun 2024 10:40 AM (IST)Updated: Sun, 30 Jun 2024 10:40 AM (IST)
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय आधुनिक मशीन की मदद करेगा स्‍टडी। जागरण (फाइल)

डा. राकेश राय, जागरण, गोरखपुर। पौधों की पहचान और उसके गुण-दोष की जानकारी के लिए एआइ (आर्टिफिशियल इंटेलिजेस) और मशीन लर्निंग के प्रयोग करने का रास्ता खुलेगा। पौधों की नस्ल सुधारने का तरीका भी पता चलेगा।

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग ने इसे लेकर शोध से जुड़ी व्यापक योजना तैयार की है, जिसे नए सत्र से लागू किया जाएगा। इस विषय पर शोध के लिए शोधार्थियों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

विभाग ने इस विषय को अपनी शोध योजना में प्रमुख रूप से स्थान दिया है। इसके लिए विभाग में अलग विंग बनाने का निर्णय भी लिया है। विंग को संचालित करने की जिम्मेदारी विभाग के शिक्षक डा. रामवंत गुप्ता को सौंपी है।

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वनस्पति विज्ञान विभाग में वर्तमान में ज्यादातर शोध परंपरागत विषयों पर ही होते हैं। यहां होने वाले शोध के विषय अभी भी आधुनिक तकनीक से दूर हैं। इसे ध्यान में रखकर ही विभाग ने एआइ और मशीन लर्निंग को शोध का विषय बनाने का निर्णय लिया है।

इस तकनीक से पौधों की पहचान तो आसान होगी ही, उसके चरित्र की जानकारी भी आसानी से मिल जाएगी। यदि पौधे वातावरण के लिए नुकसानदेह हैं तो उन्हें नष्ट करना की योजना बनाई जा सकेगी और यदि फायदेमंद है तो उन्हें बढ़ावा देने को लेकर योजना बनाने का रास्ता खुलेगा।

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अभी तक इसके लिए परंपरागत तरीके का इस्तेमाल पर ही विभाग में शोध होता रहा है। नई तकनीक के इस्तेमाल में विभाग के शोध का स्तर दायरा बढ़ेगा और उसके विश्वव्यापी होने की संभावना भी बढ़ जाएगी।

विभाग का यह भी मानना है कि शोध में आधुनिक तकनीक को बढ़ावा देने से उसे देशभर के बेहतर शोधार्थी मिलेंगे, जिससे शोध की गुणवत्ता में तो बढ़ोतरी होगी ही, विश्वविद्यालय का उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नाम भी ऊंचा होगा।

पौधों की कार्बन डाई आक्साइड ग्रहण करने की क्षमता पर होगा शोध

विभाग ने यह भी निर्णय लिया है कि पर्यावरण संतुलन में विश्वविद्यालय की भूमिका सुनिश्चित करने के लिए पौधों की कार्बन डाई आक्साइड ग्रहण करने की क्षमता बढ़ाने पर भी शोध किया जाएगा। इसके लिए ऐसे पौधों को चुना जाएगा तो बड़ी संख्या में पृथ्वी पर मौजूद हैं पर कार्बन डाई आक्साइड ग्रहण करने में सापेक्षिक रूप से अक्षम हैं। इसके लिए विश्वविद्यालय को प्रोजेक्ट भी प्राप्त हो चुका है। ऐसे में इस विषय में शोध कार्य करने की राह आसान हो चुकी है।

दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि वनस्पति विज्ञान विभाग के शिक्षकों ने अपने शोध को आधुनिक तकनीक से जोड़ने की उत्साहित करने वाली योजना बनाई है। इससे विभाग में शोध का स्तर उठेगा और शोध की दृष्टि से विश्वविद्यालय देश-दुनिया के विश्वविद्यालयों की कतार में खड़ा दिखेगा। पर्यावरण संतुलन बनाने में भी अपना योगदान सुनिश्चित कर सकेगा।


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