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गीताप्रेस में PM का आगमन विरोधियों को करारा जवाब, शांत हो जाएंगे गांधी शांति पुरस्कार के विरोध में उठ रहे सवाल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गीताप्रेस में पहुंचकर नई परंपरा का शुभारंभ करेंगे। वे देश के पहले प्रधानमंत्री होंगे जिनका आगमन गीताप्रेस में हो रहा है। पीएम के आगमन को लेकर गीताप्रेस का हर सदस्य उत्सुक है। उनके स्वागत व सुरक्षा के लिहाज से पुख्ता इंतजाम किया गया है। गीताप्रेस के लीला चित्र मंदिर में पीएम दर्शन करेंगे। साथ ही मंच से लोगों को संबोधित भी करेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Fri, 07 Jul 2023 12:21 PM (IST)
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गीताप्रेस में पहली बार आ रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (फाइल)

गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। सौ वर्षों से धर्म-संस्कृति की अमृत धारा प्रवाहित करने में संलग्न गीताप्रेस में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आगमन एक नूतन गाथा का सृजन करेगा। गीताप्रेस ने भी अपनी परंपरा तोड़ते हुए सरकार के सम्मान में पुरस्कार स्वीकार किया है। प्रधानमंत्री भी गीताप्रेस पहुंचकर एक नई परंपरा का शुभारंभ करेंगे, क्योंकि गीताप्रेस पहुंचने वाले वह पहले प्रधानमंत्री होंगे। उनका आगमन न सिर्फ गीताप्रेस द्वारा धर्म व संस्कारों की स्थापना के लिए अब तक किए गए कार्यों पर इस देश के बहुमत की मुहर होगी, बल्कि गीताप्रेस को मिले गांधी शांति पुरस्कार के विरोध में उठ रहे स्वर भी शांत हो जाएंगे।

गीताप्रेस में पधार चुके हैं दो राष्ट्रपति

गीताप्रेस में दो राष्ट्रपति पधार चुके हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे जेपी नड्डा समेत अनेक राज्यपाल व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह भी गीताप्रेस का भ्रमण कर चुके हैं। प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने 29 अप्रैल 1955 को गीता द्वार व लीला चित्र मंदिर का उद्घाटन किया था। 14वें राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द चार जून 2022 को गीताप्रेस शताब्दी वर्ष महोत्सव के उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आगमन हो रहा है, वह भी ऐसे समय में जब गांधी शांति पुरस्कार देने पर गीताप्रेस व सरकार दोनों को विरोधी घेरने की कोशिश कर रहे हैं।

कांग्रेस नेता के सवाल का गीताप्रेस ने 'कल्याण' में दिया था जवाब

कांग्रेस नेता जयराम रमेश समेत अनेक लोगों ने गांधीजी व गीताप्रेस के संबंधों पर जो सवाल उठाए हैं, उसका जवाब गीताप्रेस ने गांधीजी की हत्या के समय ही कल्याण के नारी अंक में दे दिया था। जयराम रमेश ने अपने ट्वीट में लिखा था, 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गीताप्रेस गोरखपुर को दिए जाने का निर्णय लिया गया है। गीताप्रेस इस साल अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। यह फैसला वास्तव में एक उपहास है। यह सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।

उन्हें नहीं पता कि कल्याण के नारी अंक में तत्कालीन संपादक भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार ने गांधीजी की हत्या की निंदा की है। उन्हें मानवमात्र का हित चाहने वाले, धर्म व जाति भेद से ऊपर सत्य-अहिंसा का पुजारी और मानवता का खरा प्रतीक बताया है। उनकी हत्या को समस्त हिंदू जाति पर कलंक का टीका बताते हुए यह भी कहा है कि हिंदू जाति को इस पाप का फल भोगना पड़ेगा। इस लेख में गांधीजी और गीताप्रेस के संबंधों को भी रेखांकित किया गया है। प्रधानमंत्री का आना भी विरोधियों व सत्य से आंख चुराने वालों के लिए करारा जवाब होगा।

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