Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Indian Railways: रेलवे स्टेडियमों को भी निजी हाथों में सौंपने की तैयारी Gorakhpur News

स्थानीय स्तर पर होने वाले खेलकूद लोकप्रिय खेल युवाओं व आमजन की रुचि और माहौल की पड़ताल कर स्टेडियम को कामर्शियल उपयोग बनाने पर मंथन करेगा। आरएलडीए की रिपोर्ट के आधार पर बोर्ड निर्णय लेगा कि स्टेडियम का कामर्शियल उपयोग किस प्रकार किया जाए।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 01 Jun 2021 04:27 PM (IST)
Hero Image
गोरखपुर में सैयद मोदी रेलवे स्‍टेडियम की फाइल फोटो, जागरण।

गोरखपुर, प्रेम नारायण द्विवेदी। रेलवे बोर्ड की दृष्टि स्टेडियमों पर भी पड़ गई है। शहरों की खाली भूमि और पुरानी कालोनियों के बाद स्टेडियमों को भी निजी हाथों में सौंपने की तैयारी शुरू कर दी है। खेल के मैदानों में भी कमाई का जरिया खोजा जाने लगा है। प्रथम चरण में यूपी के गोरखपुर, लखनऊ, वाराणसी व रायबरेली सहित देशभर के भारतीय रेलवे के 15 स्टेडियमों के आर्थिक तकनीकी अध्ययन (टेक्नो इकोनामिक स्टडीज) की जिम्मेदारी रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) को सौंपी गई है।

बोर्ड के दिशा-निर्देश पर आरएलडीए ने पूर्वोत्तर रेलवे सहित सभी संबंधित जोन के स्टेडियमों का ब्योरा जुटाना शुरू कर दिया है। अधिकारी भी स्टेडियम का क्षेत्रफल, भवन, लोकेशन और वहां हो रही खेल गतिविधियों का रिकार्ड सहेजने लगे हैं। जानकारों के अनुसार आरएलडीए स्थानीय स्तर पर होने वाले खेलकूद, लोकप्रिय खेल, युवाओं व आमजन की रुचि और माहौल की पड़ताल कर स्टेडियम को कामर्शियल उपयोग बनाने पर मंथन करेगा। आरएलडीए की रिपोर्ट के आधार पर बोर्ड  निर्णय लेगा कि स्टेडियम का कामर्शियल उपयोग किस प्रकार किया जाए। खेल या कार्यक्रमों के नाम पर मैदान लीज पर दी जा सकती है या स्टेडियम के आसपास की खाली भूमि का होटल और माल के रूप में उपयोग किया जा सकता है। गोरखपुर स्थित सैयद मोदी रेलवे स्टेडियम का क्रिकेट मैदान ही रणजी व नेशनल स्तर की क्रिकेट प्रतियोगिताओं के माध्यम से कमाई का जरिया बन सकता है। 

रामगढ़ताल के बाद दुर्गाबाड़ी व असुरन कालोनी का भी होगा निजीकरण

रामगढ़ताल के बाद दुर्गाबाड़ी और असुरन स्थित रेलवे की खाली भूमि और कालोनियां भी आवासीय योजना में शामिल होंगी। यह भूमि भी आवास के लिए लीज पर दी जाएगी या होटल और माल बनाए जाएंगे। इसको लेकर आरएलडीए और पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन के बीच मंथन चल रहा है।  फिलहाल, आरएलडीए ने रामगढ़ ताल रेलवे कालोनी की 32011 वर्ग मीटर भूमि को 99 साल के लिए लीज पर देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।  आरएलडीए पूर्वोत्तर रेलवे सहित भारतीय रेलवे की 84 रेलवे कालोनियों के  पुन: विकास परियोजना पर कार्य कर रहा है। भारतीय रेलवे के पास देश भर में लगभग 43,000 हेक्टेयर खाली भूमि है।

कर्मचारी संगठनों ने शुरू किया विरोध, आंदोलन की चेतावनी

कर्मचारी संगठनों ने रेलवे बोर्ड के इस निर्णय का विरोध करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है। पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ के प्रवक्ता एके सिंह के अनुसार बोर्ड का यह आत्मघाती फैसला है। खेल के भविष्य को भी बर्बाद करने की साजिश चल रही है। एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री केएल गुप्त ने कहा है कि सरकार रेलवे के अस्तित्व को मिटाने पर तुली है। कर्मचारियों और युवाओं की नौकरी तो धीरे- धीरे जा ही रही है। यही स्थिति रही तो ट्रेनें, स्टेशन और कालोनियों के बाद अब खाली जमीनें भी बिक जाएंगी। रेलवे के पास अपना कुछ नहीं रह जाएगा।

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें