दुष्कर्म के आरोपित बंदी ने की आत्महत्या
देवरिया जिला कारागार में बंदी ने गमछे का फंदा बना कर दी जान।
By JagranEdited By: Updated: Mon, 02 Nov 2020 06:20 PM (IST)
देवरिया, जेएनएन। जिला कारागार में बंद दुष्कर्म के आरोपित ने सोमवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बंदी की मौत के बाद जेल व जिला प्रशासन में अफरा-तफरी की स्थिति रही। बंदियों के आक्रोश को देख बड़ी संख्या में पुलिस बल जेल में देर शाम तक तैनात रहा।
कुशीनगर जनपद के तरयासुजान थाना क्षेत्र के ग्राम बाघा चौरी निवासी बबलू यादव (22) पुत्र सुरेंद्र यादव दुष्कर्म के मामले में 18 दिन पहले देवरिया जेल में लाया गया। बैरक संख्या दो में उसे रखा गया था। वह पाकशाला में काम करता था। सोमवार को पाकशाला में काम करने के बाद बैरक संख्या नौ बी के समीप स्थित तन्हाई बैरक के सामने लोहे की राड में गमछा का फंदा बनाकर झूल गया। इसकी जानकारी जेल प्रशासन को काफी देर बाद हुई। जिला प्रशासन को सूचना मिलने के बाद मौके पर मुख्य राजस्व अधिकारी अमृतलाल बिद, अपर पुलिस अधीक्षक शिष्यपाल, एएसडीएम दिनेश मिश्र पुलिस बल के साथ जेल पहुंचे और शव नीचे उतरवाए। जेल में चर्चा है कि उसके पेट में इन दिनों दर्द रह रहा था, वह पाकशाला में काम नहीं करना चाहता था, लेकिन उससे काम कराया जा रहा था। अपर पुलिस अधीक्षक शिष्यपाल का कहना है कि बंदी ने फंदा लगाकर जान दी है। बंदी के स्वजन को इसकी जानकारी दे दी गई है। पहले भी बंदी कर चुके हैं आत्महत्या जिला कारागार में पहले भी कुछ बंदी आत्म हत्या कर चुके हैं। 2015 में एक बंदी ने आत्महत्या का प्रयास किया था। जनवरी 2017 में भटनी थाना क्षेत्र के ग्राम रायबारी निवासी बंदी बुद्धू ने जिला कारागार के शौचालय में आत्महत्या की थी। यह पत्नी गुलाइची देवी की हत्या के आरोप में बंद था। जेल से छूट चुके लोगों का कहना है कि बंदी जिला कारागार में प्रताड़ना के चलते आत्म हत्या करते हैं या फिर तन्हाई के चलते ऐसा कदम उठाते हैं।
पुलिस छावनी में तब्दील रहा जेल जिला कारागार में बंद शातिर बदमाश, बंदी की मौत के बाद गुटबाजी करने लगे। बवाल का अंदेशा होते ही जेलर जेपी त्रिपाठी ने जिलाधिकारी व एसपी को जानकारी दी। बड़ी संख्या में पुलिस बल को लेकर एएसपी जिला कारागार पहुंचे। जेल को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया। सीओ, शहर कोतवाल के साथ ही भलुअनी, खुखुंदू, तरकुलवा पुलिस, पीएसी व रैपिड रिस्पांस टीम भी जेल पहुंच गई।
जेल प्रशासन ने सभी बंदियों को बैरक के अंदर कर दिया ताकि कोई भी बंदी गुटबाजी न करे और न ही बाहर निकल सके। जेल से शव बाहर निकलने के बाद अधिकारियों ने राहत की सांस ली।
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