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खास हैं पूर्वांचल के यह आम, स्वाद व मिठास का हर कोई है मुरीद- पूरे देश में होती है इनकी मांग

National Mango Day पूर्वांचल खासकर गोरखपुर और बस्ती के आमों की पूरे देश में धूम रहती है। बस्ती के फल उत्कृष्टता केंद्र में गौरजीत पूसा सूर्या पूसा पीतांबरा पूसा अंबिका टामी एटकिंस प्रजाति के 50 हजार पौधे हर साल तैयार होते हैं। पूरे देश में इनकी मांग रहती है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Fri, 22 Jul 2022 07:02 AM (IST)
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पूर्वांचल के गौरजीत आम की मांग पूरे देश में है। - जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। अपने बेजोड़ स्वाद से मुंह में मिठास भरने वाले पूरब के आम बिहार, पंजाब व महाराष्ट्र के बागवानों को भी रिझाने लगे हैं। बस्ती के बंजरिया स्थित इंडो-इजराइल प्रोजेक्ट की नर्सरी में तैयार गौरजीत, पूसा सूर्या, पूसा पीतांबरा, पूसा अंबिका, आम्रपाली, टामी एटकिंस प्रजातियों के करीब 10 हजार आम के पौधे अब तक दूसरे राज्यों में भेजे जा चुके हैं। तीन से पांच वर्षों में ही फल देने वाली इन प्रजातियों की पैदावार सामान्य से डेढ़ गुना अधिक है। दूसरे राज्यों से बस्ती आकर इन्हें खरीदने वालों में सिर्फ बागवान ही नहीं, व्यापारी व अधिकारी भी शामिल हैं।

बस्ती के बंजरिया नर्सरी में हर साल तैयार होते हैं 50 हजार आम के पौधे

बस्ती के फल उत्कृष्टता केंद्र के विषय में महाराष्ट्र के अहमदनगर निवासी अराटे नामदेव और पंजाब, लुधियाना के बलतेज सिंह ने अपने परिचितों से सुना था। उन्हें बताया गया था कि यहां आम के पौधे तीन से चार वर्षों में ही फल देने लगते हैं। यहां की नर्सरी से विकसित आम के पेड़ों अधिक फल आते हैं। उनका आकार भी बड़ा होता है। नामदेव ने इस वर्ष यहां 320 तो बलतेज ने भी तकरीबन 100 पौधे मंगाए हैं। इतना ही नहीं 2025 पौधे बिहार के पश्चिमी चंपारण भी भेजे गए हैं।

इस साल 825 पौधे मुंबई ले जाने वाले युद्धस्त कुमार जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) में ज्वाइंट कमिश्नर हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान व्यय प्रेक्षक के रूप में बस्ती प्रवास के दौरान उन्होंने आम की प्रजाति और नर्सरी के बारे में सुना और देखा। उनकी योजना है कि वह यहां से पौधे ले जाकर महाराष्ट्रा में आम के बाग लगाएंगे। प्रदेश के बाहर आम के पौधों की मांग होने से उद्यान विभाग भी उत्साहित है।

हर साल होते हैं 50 हजार पौधे तैयार

बस्ती के फल उत्कृष्टता केंद्र में गौरजीत, पूसा सूर्या, पूसा पीतांबरा, पूसा अंबिका, टामी एटकिंस प्रजाति के 50 हजार पौधे हर साल तैयार हो रहे हैं। इसमें से कई प्रजातियों को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, फल अनुसंधान संस्थान, रहमान खेड़ा ने रिलीज किया है। बस्ती में मदर प्लांट के जरिए बड़े पैमाने पर तैयार किया जा रहा है।

बस्ती में करीब एक दशक से आम को लेकर अच्छा काम हो रहा है। केंद्र से किसानों को बिना लाभ के पौधे दिए जाते हैं, जबकि अन्य स्थानों पर लोगों को अधिक कीमत देनी पड़ती है। इसलिए लोगों की मांग रहती है कि वह पौधे बस्ती से लेंगे। - अतुल सिंह, संयुक्त निदेशक उद्यान, बस्ती।

यह है प्रजातियों की विशेषता

पूसा अरुणिमा : आम की यह लेट वेरायटी है, जो रोपण के चार वर्ष बाद फल देती है। इसका फल देर से पकता है। इसमें छिलका लाल और आकर्षक होता है। यह विटामिन सी बीटा-कैरोटीन से भरपूर है।

पूसा सूर्या : हर साल फलने वाली प्रजाति पूसा सूर्या और उत्तरी भारत के अन्य प्रजातियों में श्रेष्ठ है। रोपण के 3-4 वर्ष में फलने लगती है। यह जुलाई के तीसरे सप्ताह तक पक जाती है। इसका फल बड़ा होता है।

पूसा पीतांबर : अपने आयताकार आकार के कारण, इसे पैक करने में आसानी होती है। पकने पर इसका रंग बिल्कुल पीला हो जाता है। इसमें भी चार से पांच साल में फल आने लगते हैं।

गौरजीत : दूसरे आमों की तुलना में समय से पहले तैयार होने वाली यह प्रजाति मई अंतिम व जून प्रथम सप्ताह से पकना शुरू हो जाती है। रसीला, स्वादिष्ट व खुशबूदार प्रजाति रोपण के तीन-चार साल में फलने लगता है।