Indian Railways: बजट आया और चला भी गया, हलचल न उत्साह
पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ के कार्यालय में पदाधिकारी कर्मचारियों के ट्रांसफर को लेकर चर्चा कर रहे थे। बजट के सवाल पर महामंत्री विनोद कुमार राय ने कहा कि बजट से नई ट्रेनें और योजनाएं गायब हो गईं। क्या मिला है कुछ पता ही नहीं चल रहा।
गोरखपुर, जेएनएन। बजट आया और चला भी गया। न कहीं कोई हलचल और न उत्साह। रेलवे कर्मचारी संगठनों के दफ्तरों में भी कोई चर्चा ही नहीं। बजट पेश होने के दूसरे दिन मंगलवार को सभी संगठन अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों में व्यस्त थे। बजट की बात करने पर पदाधिकारियों का सिर्फ एक ही जवाब था। न कर्मचारियों के लिए कुछ है और न यात्रियों के लिए। आम बजट में रेल बजट के शामिल हो जाने के बाद चर्चा के लिए बचा ही क्या है।
यहां चल रही श्रद्धांजलि सभा
दोपहर 1.30 बजे के आसपास एनई रेलवे मजदूर यूनियन के पदाधिकारी पूर्व पदाधिकारी की श्रद्धांजलि सभा मना रहे थे। चर्चा करने पर महामंत्री केएल गुप्ता ने बताया कि यह बजट निजीकरण की राह तैयार करने वाला है। रेलवे को निजी हाथों में सौंपने के लिए ही आम बजट में रेल बजट को शामिल किया गया है। यह सरकार की सोची-समझी साजिश है।
यहां पर बजट पर नहीं, तबादले पर चर्चा
पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ के कार्यालय में पदाधिकारी कर्मचारियों के ट्रांसफर को लेकर चर्चा कर रहे थे। बजट के सवाल पर महामंत्री विनोद कुमार राय ने कहा कि बजट से नई ट्रेनें और योजनाएं गायब हो गईं। क्या मिला है कुछ पता ही नहीं चल रहा। आमजन ही नहीं रेलकर्मी भी ठगे जा रहे। आम बजट में रेल बजट शामिल होने से रुझान समाप्त हो रहा है। यही स्थिति रही तो बजट से रेल बजट ही गायब हो जाएगा।
जोनल कार्यालयों को अपने बजट के बारे में पता नहीं
दरअसल, रेल बजट को लेकर कर्मचारी संगठनों का यह रोष अनायास नहीं बढ़ रहा। अंतिम बार 25 फरवरी 2016 को रेल बजट पेश हुआ था। 1 फरवरी 2017 को आम बजट में रेल बजट भी शामिल हो गया। तभी से रेल बजट हाशिये पर है। आलम यह है कि बजट के बाद भी जोनल कार्यालयों को अपने बजट के बारे में पता नहीं चल पा रहा। आखिर, उन्हें क्या मिला। पूर्वोत्तर रेलवे सहित सभी जोनल कार्यालयों को पिंक बुक का इंतजार करना पड़ रहा है।