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Railway News: ट्रेनों की ढाल बनेगा रेलवे का 'कवच', 100 करोड़ का एस्टीमेट तैयार

रेलवे की सुरक्षा बढ़ाने के लिए कवच प्रणाली लागू की जा रही है। पूर्वोत्तर रेलवे ने लखनऊ-गोरखपुर-छपरा और बुढ़वल-सीतापुर रेलमार्ग पर कवच प्रणाली लगाने के लिए 100 करोड़ रुपये का एस्टीमेट तैयार किया है। यह प्रणाली ट्रेनों की गतिविधियों पर नजर रखेगी और किसी भी तरह की चूक होने पर अलर्ट करेगी। अगले वर्ष भी तीन हजार किमी रेलमार्ग पर सिस्टम लगाने का लक्ष्य है।

By Prem Naranyan Dwivedi Edited By: Vivek Shukla Updated: Fri, 27 Sep 2024 09:19 AM (IST)
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रेलमार्ग पर कवच प्रणाली लगाने से हादसा नहीं होगा। जागरण

प्रेम नारायण द्विवेदी, जागरण, गोरखपुर। रेलवे का 'कवच' ट्रेनों की ढाल बनेगा। पूर्वोत्तर रेलवे ने लखनऊ-गोरखपुर-छपरा और बुढ़वल-सीतापुर रेलमार्ग पर कवच प्रणाली लगाने के लिए 100 करोड़ रुपये का एस्टीमेट तैयार कर लिया है।

कार्य शुरू करने के लिए रेल मंत्रालय ने दो करोड़ 75 लाख रुपये आवंटित भी कर दिया है। लगभग 1563 किमी रेलमार्ग पर कवच प्रणाली लगाने के लिए करीब सात करोड़ का बजट प्रस्तावित है।

कवच प्रणाली लग जाने से एक सेक्शन में दो ट्रेनों के आते ही स्वत: इमरजेंसी ब्रेक लग जाएगा। रास्ते में यह लोको पायलट के सभी गतिविधियों की निगरानी करेगा। किसी भी प्रकार की चूक होने या एक सेक्शन में दूसरी ट्रेन के आते ही आडियो व वीडियो के माध्यम से लोको पायलटों को अलर्ट कर देगा।

लोको पायलटों की कोई प्रतिक्रिया नहीं होने पर चलती ट्रेन में आटोमेटिक ब्रेक लग जाएगा। कवच उपकरण ट्रेन को निर्धारित सेक्शन स्पीड से अधिक चलने नहीं देगा। समपार फाटकों पर भी स्वत: सीटी बजती रहेगी। दुर्घटना पर अंकुश लगेगा।

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कवच प्रणाली जीपीएस व रेडियो फ्रीक्वेंसी तकनीक पर आधारित है, जो ट्रेन के इंजनों और सिग्नल सिस्टम से जुड़ी रहेगी। यह प्रणाली आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम के साथ मिलकर कार्य करेगी। जानकाराें का कहना है कि जिन रेलमार्गों पर आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम लगेगा, उन रूटों पर कवच प्रणाली ही लगाई जाएगी।

पूर्वोत्तर रेलवे के सभी प्रमुख रेलमार्गों पर आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम लगाने के लिए एक हजार करोड़ रुपये का कार्य पहले से स्वीकृत है। लखनऊ-गोरखपुर-छपरा, छपरा-बनारस-प्रयागराज, सीतापुर-बुढ़वल 875 रूट किमी रेलमार्ग पर सिस्टम लगाने की स्वीकृति मिल चुकी है।

वर्ष 2025 तक सभी रूटों पर सिस्टम लगाने का लक्ष्य है। प्रथम चरण में गोरखपुर के रास्ते चुरेब से चौरी चौरा स्टेशन तक आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम लग गया है। जल्द ही इस रूट पर कवच प्रणाली भी लगनी शुरू हो जाएगी।

आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम और कवच प्रणाली लग जाने के बाद स्टेशनों पर केंद्रीयकृत यातायात नियंत्रण प्रणाली (सेंट्रलाइज्ड ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम या सीटीसी) भी कार्य करने लगेगी। गोरखपुर आदि जंक्शन और बड़े स्टेशनों से ट्रेनें कंट्रोल होने लगेंगी। स्टेशनों से रूट रिले इंटरलाकिंग (आरआरआई) पैनल सिस्टम समाप्त हो जाएंगे।

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एमएमयूटी के छात्र भी पढ़ेंगे स्वदेशी कवच प्रणाली

भारतीय रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग और दूरसंचार संस्थान (इरिसेट) ने स्वदेशी स्वचालित ट्रेन संरक्षण प्रणाली तैयार की है। इरिसेट और मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमयूटी) ने शैक्षणिक-उद्योग सहयोग बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए कवच प्रणाली को लेकर समझौता ज्ञापन पर अहम करार (एमओयू) किया है। समझौता के अंतर्गत अब एमएमयूटी के छात्र भी रेलवे की कवच प्रणाली पढ़ेंगे।

दरअसल, चार मार्च, 2022 को रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्रेन में बैठकर कवच प्रणाली का परीक्षण किया था। परीक्षण की सफलता के बाद रेल मंत्रालय ने भारतीय रेलवे स्तर पर इस प्रणाली का प्रयोग करने के लिए अनुमति प्रदान कर दी है। दिसंबर, 2024 तक तीन हजार किमी रेलमार्ग पर सिस्टम लग जाएगा। अगले वर्ष भी तीन हजार किमी रेलमार्ग पर सिस्टम लगाने का लक्ष्य है।

पूर्वोत्तर रेलवे का मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर रेलवे के प्रमुख मार्ग छपरा से लखनऊ के मध्य आटोमेटिक ब्लाक सिगनलिंग का कार्य तेज़ी से किया जा रहा है। इस नेटवर्क पर कवच लगाने के लिए एस्टीमेट तैयार कर लिया गया है। उच्च घनत्व वाले रेल मार्गों जैसे की छपरा से बाराबंकी एवं सीतापुर- बुढ़वल को प्राथमिकता के आधार पर पहले कवचयुक्त करने की योजना है।