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अंग्रेजों के जमाने के नियमों पर चल पड़ा रेलवे प्रशासन, 34 दिन में 150 ट्रेनें निरस्त; कैंसिल हो गए लाखों कन्फर्म टिकट

आजकल रेलवे प्रशासन अंग्रेजों के जमाने के नियमों को फॉलो कर रहा है। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने सिर्फ 34 दिन में ही मुख्यालय गोरखपुर सहित विभिन्न रूटों व तिथियों में चलने वालीं करीब 150 ट्रेनों को निरस्त कर दिया है। कोहरा पड़े या न पड़े रेलवे ने तो अपना बचाव करते हुए ट्रेनों को निरस्त का करण कोहरे को बता रहा है।

By Prem Naranyan Dwivedi Edited By: Aysha SheikhUpdated: Fri, 05 Jan 2024 02:15 PM (IST)
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अंग्रेजों के जमाने के नियमों पर चल पड़ा रेलवे प्रशासन, 34 दिन में 150 ट्रेनें निरस्त

प्रेम नारायण द्विवेदी, गोरखपुर। इसे लकीर का फकीर कहें या नियोजन का अभाव, अदूरदर्शिता या उदासीनता। अब तो रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देशों का भी कोई औचित्य नहीं रह गया। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने सिर्फ 34 दिन में ही मुख्यालय गोरखपुर सहित विभिन्न रूटों व तिथियों में चलने वालीं करीब 150 ट्रेनों को निरस्त कर दिया है।

अचानक ट्रेनें निरस्त होने से लाखों कन्फर्म आरक्षित टिकट कैंसिल हो गए। महीनों से यात्रा की तैयारी करने वाले पूर्वांचल और बिहार के प्रवासियों की योजना अचानक ध्वस्त हो गई है। लोग कन्फर्म आरक्षित टिकट के लिए भटक रहे हैं।

यह तब है, जब रेलवे बोर्ड ने निर्माण व अन्य कार्यों के चलते निरस्त होने वालीं ट्रेनों की सूचना चार माह पहले देने को दिशा-निर्देश जारी किया है, ताकि बुक टिकट कैंसिल न करना पड़े। यात्री शुरू से ही चलने वालीं ट्रेनों में ही टिकटों की बुकिंग सुनिश्चित कर सकें।

अंग्रेजों के जमाने के नियमों पर चल पड़ा रेलवे प्रशासन

चार माह कौन कहे, यहां तो अधिकतम एक सप्ताह, एक दिन या ट्रेनों के निरस्त होने के बाद यात्रियों को सूचना मिल रही है। रेलवे प्रशासन ने अंग्रेजों के जमाने के नियमों पर चलते हुए खराब मौसम व कोहरे का हवाला देकर एक दिसंबर को ही 25 एक्सप्रेस और 16 पैसेंजर ट्रेनों को 29 फरवरी तक निरस्त कर दिया, जबकि 15 दिसंबर के बाद कोहरा पड़ना शुरू हुआ है।

कोहरा पड़े या न पड़े, रेलवे ने तो अपना बचाव करते हुए ट्रेनों को निरस्त कर कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। इन ट्रेनों के निरस्त होने से हजारों लोग अचानक पैदल हो गए। इसके बाद भी रेलवे का मन नहीं भरा। कभी बाराबंकी, कभी छपरा तो कभी वाराणसी में निर्माण कार्यों का हवाला देते हुए हर सप्ताह ट्रेनें निरस्त करता रहा।

नया साल आते-आते लाखों लोगों का यात्रा का सपना रेलवे की उदासीनता की भेंट चढ़ गया। 150 में करीब 125 एक्सप्रेस ट्रेनें विभिन्न तिथियों में निरस्त हुई हैं। अगर 125 ट्रेनों के एक दिन की एक तरफ की यात्रा पर नजर दौड़ाएं तो लगभग एक लाख 63 हजार यात्रियों के टिकट कैंसिल हो गए हैं।

दोनों तरफ की बात करें तो यह संख्या तीन लाख 26 हजार हो जाएगी। सभी तिथियों पर गौर करें तो यह संख्या बहुत बड़ी हो जाएगी, जो कन्फर्म टिकट के लिए भटकने को मजबूर हैं। आने वाले दिनों में सीतापुर रेलखंड पर निर्माण के चलते कई और ट्रेनें निरस्त हो सकती हैं। जो ट्रेनें चल रही हैं, वह भी फुल हो गईं। आरक्षित टिकट नहीं मिल रहा तो लोग जनरल कोचों के गेट, गैलरी और टायलेट में खड़े होकर यात्रा करने को मजबूर हैं। सवाल यह है कि आखिर कब तक।

पहले चलाई जाती थीं वैकल्पिक ट्रेनें और बसें

वर्ष 2000 के पूर्व रेलवे प्रशासन ट्रेनों को निरस्त करने के बाद विकल्प के रूप में छोटी दूरी की ट्रेन व बसों की व्यवस्था करता था, ताकि पहले से टिकट बुक कराने वाले यात्रियों को आवागमन में कोई परेशानी न उठानी पड़े। अब तो रेलवे यात्रियों को समय से ट्रेन के निरस्त होने की सूचना तक नहीं दे पा रहा है।

रेल लाइनों की क्षमता बढ़ाने के लिए प्राथमिकता के आधार पर समुचित योजना के साथ निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं। सीतापुर खंड पर भी कार्य के चलते ट्रेनों का संचालन प्रभावित हो सकता है। डोमिनगढ़-गोरखपुर-कैंट के बीच तीसरी लाइन बिछाई जा रही है। लाइन की क्षमता बढ़ने पर मांग के अनुसार ट्रेनें चलाई जा सकेंगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की मंशा के अनुरूप भारतीय रेलवे स्तर पर वर्ष 2030 तक वेटिंग टिकट की व्यवस्था समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। आने वाले दिनों में यात्रियों को कन्फर्म टिकट ही मिलेंगे। यात्री सुविधाएं रेलवे की प्राथमिकताओं में हैं। - पंकज कुमार सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, पूर्वोत्तर रेलवे

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