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रेलकर्मियों के लिए राहत भरी खबर, दूसरे विभागों में भी काम कर सकेंगे ट्रैक मेंटेनर, आसान होगी पदोन्नति की राह

रेलकर्मी अब दस की जगह 40 प्रतिशत तक स्थानांतरित हो सकेंगे। ट्रैक मेंटेनरों के पदोन्नति की राह भी आसान हो जाएगी। आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन की मांग पर समीक्षा के लिए बोर्ड ने अधिकारियों की टीम गठित की है।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Fri, 11 Nov 2022 02:58 PM (IST)
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अब दूसरे विभागों में भी काम कर सकेंगे ट्रैक मेंटेनर। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। रेल लाइनों पर कार्य करने वाले ट्रैक मेंटेनरों (ट्रैक मैन व गैंग मैन आदि) के लिए अच्छी खबर है। अब दस की जगह 40 प्रतिशत ट्रैक मेंटेनर दूसरे विभागों में भी कार्य कर सकेंगे। आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआइआरएफ) की मांग पर रेलवे बोर्ड ने उन्हें आगे बढ़ने के रास्ते खोल दिए हैं। स्थानांतरण प्रक्रिया को लागू करने के लिए रेलवे बोर्ड ने उच्च अधिकारियों की टीम गठित कर दी है। चार सदस्यीय टीम 45 दिनों में समीक्षा कर बोर्ड को रिपोर्ट सौंपेगी। रिपोर्ट के आधार पर बोर्ड अंतिम निर्णय लेगा। 40 प्रतिशत ट्रैक मेंटेनरों के दूसरे विभागों में स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही पदोन्नति की राह भी आसान हो जाएगी।

हुनर व अनुभव के बाद भी आगे नहीं बढ़ पाते ट्रैक मेंटेनर

दरअसल, लेवल वन पद पर तैनात ट्रैक मेंटेनर हुनर और अनुभव के बाद भी आगे नहीं बढ़ पाते। 1800 ग्रेड पे पर भर्ती कुछ ट्रैक मेंटेनर ही 2800 ग्रेड पे तक पहुंच पाते हैं। 1900 और 2400 ग्रेड पर पहुंचते- पहुंचते सेवानिवृत्त हो जाते हैं। पदोन्नति नहीं होने से ट्रैक मेंटेनरों में निराशा के भाव बन जाते हैं, जिसका असर उनके कार्य व्यवहार और कार्य प्रणाली पर दिखता है। जबकि, दूसरे विभागों में पदोन्नति के पर्याप्त अवसर रहते हैं। चतुर्थ श्रेणी रेलकर्मी भी 4200 से 4600 ग्रेड पे तक पहुंच जाते हैं। पदोन्नति के साथ उनकी आर्थिक स्थित भी बेहतर हो जाती है। हालांकि, ट्रैक मेंटेनरों को भी पदोन्नति के लिए जनरल डिपार्टमेंटल कंपेटेटिव इक्जामिनेशन (जीडीसीई) के अंतर्गत आगे बढ़ने का मौका मिलता है, लेकिन पदों की संख्या बहुत ही कम होती है। यह प्रक्रिया को पूरी होने में ही वर्षों लग जाते हैं।

पदोन्नति के लिए चार साल से इंतजार कर रहे 150 रेलकर्मी

जीडीसीई उत्तीर्ण करने के बाद भी पूर्वोत्तर रेलवे के लगभग 150 चतुर्थ श्रेणी रेलकर्मी तकनीशियन के पद पर पदोन्नति के लिए चार वर्ष से इंतजार कर रहे हैं, इनमें से अधिकतर ट्रैक मेंटेनर हैं। तकनीशियन की योग्यता के बाद भी वे रेल लाइनों की मरम्मत के लिए मजबूर हैं। एआइआरएफ के सहायक महामंत्री व एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) के महामंत्री केएल गुप्ता रेलवे बोर्ड के इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका कहना है कि बोर्ड के इस फरमान से ट्रैक मेंटेनरों को भी आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा। पूर्वोत्तर रेलवे में लगभग 15 हजार ट्रैक मेंटेनर हैं।