Move to Jagran APP

गोरखपुर में खतरनाक स्तर की ओर बढ़ रही राप्ती, पिछले साल के उच्चतम स्तर से 31 सेंटीमीटर ऊपर हुआ जलस्‍तर

गोरखपुर रविवार की शाम राप्ती नदी का जलस्तर खतरे के बिन्दु से 1.36 मीटर रिकार्ड किया गया जबकि 2020 में अधिकतम जलस्तर खतरे के निशान से 1.05 मीटर तक ही पहुंचा था। रविवार को जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने भी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Mon, 30 Aug 2021 07:03 AM (IST)
Hero Image
गोरखपुर में राप्‍ती नदी इस साल के अपने उच्‍चतम स्‍तर तक पहुंच गई है। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर जिले में बाढ़ की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। राप्ती नदी 2017 के बाद एक बार फिर खतरनाक स्तर की ओर बढ़ रही है, जिसके चलते तटबंधों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। बाढ़ खंड की ओर से तटबंधों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। रविवार की शाम राप्ती नदी का जलस्तर खतरे के बिन्दु से 1.36 मीटर रिकार्ड किया गया जबकि 2020 में अधिकतम जलस्तर खतरे के निशान से 1.05 मीटर तक ही पहुंचा था। रविवार को जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने भी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया। अब तक 180 गांव से अधिक प्रभावित हो चुके हैं और 200 से अधिक नाव लगाई जा चुकी है।

पिछले साल के उच्चतम स्तर से 31 सेंटीमीटर ऊपर बह रही नदी

राप्ती नदी ने 1998 में भारी तबाही मचाई थी, उस समय अधिकतम जलस्तर 77.54 मीटर दर्ज किया गया था। इस नदी में यह अब तक का अधिकतम जलस्तर है। 2017 में भी यह नदी 77.25 मीटर तक पहुंच गई थी और बाढ़ से बड़ी जनसंख्या प्रभावित हुई थी। मलौनी बांध से सटे शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की चिंता भी बढ़ गई थी। यह नदी 2017 की तरह ही तेजी से बढ़ रही है। रविवार की शाम चार बजे जलस्तर 76.32 मीटर दर्ज किया गया। पिछले 24 घंटे में 21 सेंटीमीटर की बढ़ोत्तरी हो चुकी है।

राप्ती का जलस्तर बढ़ने के साथ ही आमी नदी का रूप भी विकराल होता जा रहा है। हालांकि बाढ़ खंड की रिपोर्ट के आधार पर जिला प्रशासन इस बात को लेकर निश्चिंत है कि अगले दो से तीन दिनों में नदी स्थिर हो जाएगी। पर, पहाड़ों पर बारिश हुई तो इसका उल्टा भी हो सकता है। राप्ती के साथ ही सरयू, रोहिन एवं गोर्रा नदियां भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। रोहिन नदी का जलस्तर खतरे के बिन्दु से 1.71 मीटर ऊपर पहुंच गया है।

पहाड़ों पर हुई बारिश ने बढ़ाई परेशानी

मैदानी क्षेत्रों में हुुई बारिश से राप्ती नदी के जलस्तर पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा था लेकिन पहाड़ों पर हुई बारिश के कारण नदी में पानी बढ़ रहा है। दो दिन पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि नदी स्थिर हो जाएगी लेकिन लगातार हुई बारिश ने इस अनुमान को गलत साबित कर दिया। अभी भी बारिश का मौसम बाकी है। बाढ़ खंड द्वितीय के अधिशासी अभियंता रूपेश कुमार खरे का कहना है कि पहाड़ों पर हुई बारिश के कारण नदी का जलस्तर बढ़ा है। हालांकि अभी भी कहीं चिंताजनक बात नहीं है। सभी तटबंधों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। जहां रिसाव की आशंका है, वहां उससे निपटने के इंतजाम कर लिए गए हैं। उम्मीद है कि अगले दो से तीन दिनों में नदी स्थित हो जाएगी। जलस्तर बढ़ने की गति भी कम होगी।

मैनें सहजनवां क्षेत्र में डुमरिया बाबू बांध पर भक्सा के पास कटान की आशंका वाले क्षेत्र का निरीक्षण किया है। यहां बाढ़ खंड की ओर से फ्लड फाइटिंग कार्य कराया गया है। कटान को रोकने के पर्याप्त इंतजाम हैं। गांव के लोगों से भी बात कर जानकारी ली गई है। किसी को घबराने की जरूरत नहीं। लोग किसी प्रकार के अफवाह पर विश्वास न करें। - विजय किरन आनंद, जिलाधिकारी।

राहत सामग्री बांटकर आ रहे युवकों की नाव पलटी, बाल-बाल बचे

ब्लाक के बाढ़ प्रभावित गांवों में राहत सामग्री का वितरण करने पहुंचे भारतीय युवक संघ के युवकों की नाव रखौना में शनिवार को पलट गई थी। नाव पर सवार संघ के सदस्य किसी तरह बचे। उसके बाद उन्होंने कमर भर पानी में घुसकर राहत सामग्री का वितरण किया।

भारतीय युवक संघ के बैनर तले आदित्य प्रताप सिंह आगू के नेतृत्व में युवाओं का दल बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री का वितरण कर रहा है। पहले पिपरौली ब्लाक के कटका में 35 परिवारों के बीच राहत सामग्री का वितरण किया गया उसके बाद रखौना पहुंच कर 80 लोगों के बीच राहत सामग्री का वितरण किया। वापस आते समय अचानक नाव पानी में ही पलट गई। संयोग रहा कि उसमें सवार महेंद्र सिंह बीरू, लल्ला सिंह, अभिलाष सिंह, अभिषेक, शुभम आदि लोग बच गए। राशन वितरण का काम रविवार को भी जारी रहा।

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें