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Flood in Gorakhpur: गोरखपुर में घटने लगी राप्ती, नौ गांवों से निकलने लगा पानी, अब भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही नदी

राप्ती के साथ ही आमी नदी का जलस्तर कम होने लगा है। अभी तहसील में सात गांव मैरूंड हैं लेकिन जलस्तर कम होने की शुरुआत से सभी ने राहत की सांस ली है। बांसगांव में प्राथमिक विद्यालय सरसोपार जाने वाले रास्ते पर बुधवार को आमी नदी का पानी चढ़ गया । इससे छात्रों को विद्यालय पहुंचने में दिक्कत हुई। सामुदायिक शौचालय डाड़ी रावत में बाढ़ का पानी भर गया है।

By Durgesh Tripathi Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 18 Jul 2024 10:55 AM (IST)
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धीरे-धीरे कम हो रहा है राप्‍ती नदी का जलस्‍तर। जागरण

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। खतरे के निशान से एक मीटर से ऊपर जाने के बाद राप्ती नदी का जलस्तर कम होने लगा है। मंगलवार शाम चार बजे से बुधवार शाम चार बजे तक राप्ती नदी का जलस्तर छह सेंटीमीटर कम हुआ है।

हालांकि नदी अब भी खतरे के निशान से 95 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अब जलस्तर तेजी से कम होगा। सरयू, रोहिन, कुआनो का जलस्तर पहले से ही कम है। जिले के नौ गांवों से पानी निकलने लगा है। बुधवार को बाढ़ प्रभावित गांवों की संख्या 64 से घटकर 55 रह गई है। तकरीबन 70 हजार आबादी और 24 सौ हेक्टेयर क्षेत्रफल में फसल को नुकसान पहुंचा है।

शहर से सटे बिंदुली गांव में लोगों को साफ पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है। किसी तरह हैंडपंप से पानी भरा पा रहा है। प्राथमिक विद्यालयों में पानी भरा हुआ है। प्रशासन की ओर से मिल रहे बाढ़ राहत सामग्री को लेने लोगों को नाव से आना पड़ रहा है। बुधवार को पशुओं के लिए भूसा का वितरण किया गया। कई इलाकों में रात में भोजन का पैकेट भेजा गया। लोगों ने इस व्यवस्था की तारीफ की।

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प्राथमिक विद्यालय डाड़ी रावत बाढ़ के पानी से घिर गया है। भुसवल, करहल, जयंतीपुर, लालपुर गांव भी प्रभावित हैं। सरसोपार का जोत गोटकी दलित बस्ती तीन तरफ से पानी से घिर गया है। डाड़ी रावत दलित बस्ती में जाने वाले रास्ते पर पानी चढ़ गया हैं। बाढ़ के कारण पशुओं को चारा नहीं मिल पा रहा है।

पैकेट लेने पानी में घुस जा रहे बच्चे

बाढ़ प्रभावित गांवों में भोजन का पैकेट लेकर पहुंच रही टीम को देख बच्चे पानी में घुस जा रहे हैं। टीम के सदस्य भी नाव में बैठकर पैकेट बांट रहे हैं। अधिकारियों का स्पष्ट आदेश है कि ऐसे स्थानों पर बच्चों को किसी हाल में नहीं आने देना है। लोगों का कहना है कि पैकेट देने के लिए कर्मचारियों को नाव से उतरकर जाना चाहिए लेकिन वह कपड़ा न भीगे इसलिए नाव से उतर ही नहीं रहे हैं।