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Gorakhpur News: भरपेट मिलने लगा भोजन तो शांत हुए बहराइच के दो आदमखोर भेड़िये, रेस्क्यू कर लाया गया था गोरखपुर

बहरीच से रेस्क्यू किए गए भेड़ियों को गोरखपुर चिड़ियाघर में रखा गया है। चिड़ियाघर के वन्यजीव चिकित्सक उनका इलाज कर रहे हैं और उन्हें बकरे का गोश्त खिला रहे हैं। इससे उनकी आक्रामकता कम हुई है और वे धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ रहे हैं। 10 सितंबर को रेस्क्यू कर लाया गया मादा भेड़िया की स्थिति भी सामान्य हो रही है।

By Jitendra Pandey Edited By: Vivek Shukla Updated: Sat, 14 Sep 2024 12:02 PM (IST)
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गोरखपुर चिड़‍ियाघर में शांत बैठा बहराइच का आदमखोर भेड़‍िया। जागरण

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। बहराइच से रेस्क्यू कर लाए गए दोनों भेड़िए को शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान (चिड़ियाघर) के क्वारंटिन सेंल में रखा गया है। चिड़ियाघर के वन्यजीव चिकित्सक दोनों का उपचार करते हुए उन्हेें बकरे का गोश्त खाने के लिए दे रहे हैं। इससे उनकी आक्रमकता कम हो गई है। वह धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ गए है।

बहराइच क्षेत्र में बीते कई दिनों से भेड़िया का आतंक बना हुआ है। इनके हमले से कई ग्रामीण घायल हो चुके है। वन विभाग की टीम अभियान चलाकर उनका रेस्क्यू कर रही है। अब तक पांच भेड़ियों का रेस्क्यू किया जा चुका है। इसमें से एक की मौत हो गई।

वहीं, दो भेड़ियों को लखनऊ चिड़ियाघर भेज गया है। इसके अलावा दो भेड़ियों को गोरखपुर चिड़ियाघर भेजा गया है। 29 अगस्त को भेजा गया नर भेड़िया पूरी तरह से नार्मल हो चुका है। वह सामान्य बर्ताव कर रहा है। वहीं 10 सितंबर को रेस्क्यू कर लाया गया मादा भेड़िया की स्थिति भी सामान्य हो रही है।

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चिड़ियाघर के मुख्य वन्यजीव चिकित्सक डाा. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि जंगल में भेड़ियों को कई बार शिकार नहीं मिलता तो वह दिनभर भूखे रह जाते हैं। यहां पर उसको रोजाना भोजन मिल रहा है। कई दिनों तक पेट न भरने की वजह से ही वह आदमखोर बनते हैं।

डा. योगेश ने बताया कि पहले आया भेड़िया केवल बकरे का ही गोश्त खा रहा है। प्रतिदिन उसको दो से ढाई किलो गोश्त दिया जा रहा है। मादा भेड़िया को भी यही दिया गया है। उन्होंने बताया कि भेड़िए आमतौर पर छोटे स्तनधारी, जैसे चूहे और खरगोश, भेड़ और अन्य घरेलू मवेशी खाते हैं। इंसानों के करीब आने के बाद इन्होंने बकरे को अपना शिकार बनाना शुरू किया होगा। इसीलिए इनको उसका गोश्त पसंद आ रहा है।

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आदमखोर है या नहीं, नहीं हुई जांच

डा. योगेश प्रताप ने बताया कि भेड़िए आदमखोर हैं या नहीं उनके मल या नाखून के जरिए पता लगाया जा सकता है। लेकिन यह प्रक्रिया हमले के 24 से 36 घंटे के अंदर करनी होती है। गोरखपुर चिड़ियाघर में आए भेड़ियों के इंसानों पर हमले के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। साथ ही जब उनका रेस्क्यू कर चिड़ियाघर भेजा गया तो बताया कि चार दिन से उन्होंने हमला नहीं किया है। उच्चाधिकारियों द्वारा भी जांच के लिए कोई निर्देश भी नहीं दिया गया। यहां भेड़ियों को रखकर उनकी देखभाल करने का निर्देश है।

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