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गोरक्षनगरी के अंतिम छोर तक तैयार होगा सुनियोजित विकास का खाका, जिला पंचायत ने बढ़ाए मानचित्र स्वीकृति शुल्क

गोरखपुर जिला पंचायत ने नियोजित विकास और आय बढ़ाने के लिए निर्माण संबंधी उपविधि का सख्ती से पालन कराने का निर्णय लिया है। आवासीय भवनों के लिए मानचित्र स्वीकृति शुल्क 50 रुपये से बढ़ाकर 100 रुपये प्रति वर्ग मीटर व्यावसायिक भवनों के लिए 100 रुपये से 200 रुपये प्रति वर्ग मीटर और प्लाटिंग व कालोनी विकास के लिए 20 रुपये से 40 रुपये प्रति वर्ग मीटर किया गया है।

By Arun Chand Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 13 Nov 2024 03:01 PM (IST)
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गोरखपुर जिला पंचायत ने नई पहल की है। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गोरक्षनगरी के आखिरी छोर यानी पंचायतों तक सुनियोजित विकास को लेकर अब जिला पंचायत ने तैयारी तेज कर दी हैं। शासन के निर्देशानुसार आवासीय, व्यावसायिक व व्यापारिक भवनों के निर्माण को लेकर मानचित्र व ले-आउट (तलपट मानचित्र) की स्वीकृति की अनिवार्यता को लेकर वर्ष 2022 बनी उपविधि का तो सख्ती से पालन कराया ही जाएगा, जिला पंचायत ने मानचित्र और ले आउट स्वीकृति के शुल्क में भी संशोधन कर दिया है।

जुलाई 2024 में हुई जिला पंचायत बोर्ड की बैठक में इस शुल्क को बहुत कम मानते हुए पंचायतों में सभी तरह के मानचित्र स्वीकृति शुल्क की दरों को दोगुना करने का निर्णय किया गया था। इस संबंध में तैयार प्रारूप का मंगलवार को प्रकाशन कराने के साथ ही 30 दिन के भीतर आपत्तियां मांगी गई हैं।

जो भी आपत्तियां आएंगी उन्हें जिला पंचायत की बोर्ड बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा। इनके निस्तारण के बाद संशोधित स्वरूप की फाइल मंडलायुक्त के पास भेजी जाएगी। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद गजट प्रकाशन कराया जाएगा। माना जा रहा है कि नए वर्ष की पहली तिमाही में संशोधित दर लागू कर दी जाएगी।

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आवासीय भवनों के लिए अब प्रति वर्ग मीटर 100 रुपये शुल्क

जिला पंचायत की ओर से तैयार प्रारूप के मुताबिक अब आवासीय व शैक्षणिक भवनों के मानचित्र स्वीकृति के लिए 50 रुपये की बजाए 100 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से शुल्क देना होगा। इसी तरह व्यावसायिक व व्यापारिक भवन के सभी तलों पर फर्श से ढके भाग के लिए 200 रुपए प्रति वर्ग मीटर शुल्क लगेगा। वर्तमान में 100 रुपये प्रति वर्ग मीटर शुल्क देना पड़ता है।

प्लाटिंग व कालोनी विकसित करने का शुल्क भी हुआ दोगुना

ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि को योजनाबद्ध तरीके से विभिन्न आकार के प्लाटों को बांटना यानी भूमि की प्लाटिंग, भूमि विकास यानी भूमि पर योजनाबद्ध तरीके से पार्क, उद्यान बनाने, फार्म हाउस विकसित करने, नर्सरी लगाने, शादी बैंक्वेट हाल निर्माण के लिए ले-आउट प्लान यानी तलपट मानचित्र स्वीकृत कराने के लिए अब 20 रुपये की बजाए 40 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से शुल्क देना होगा।

इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि का विभिन्न प्रकार के सामानों के भंडारण के लिए प्रयोग करकने जैसे निर्माण सामग्री, कंटेनर, ईंधन, आरसीसीसी, पाइप आदि और किसी परियोजना का ले आउट प्लान स्वीकृत कराने के लिए भी 40 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से शुल्क लगेगा।

पूर्णता प्रमाण पत्र पाने को भी 40 रुपये प्रति वर्ग मीटर शुल्क

जिला पंचायत की ओर से प्रस्तावित दरों के मुताबिक पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करने की दरों में भी बदलाव किया गया है। अब 20 रुपये प्रति वर्ग मीटर की बजाए 40 रुपये प्रति वर्ग मीटर शुल्क देना होगा। ये दरें सभी तलों के कुल आच्छादित क्षेत्रफल पर लागू होगी।

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चहारदीवारी बनाने के लिए भी ढीली होगी जेब

ग्रामीण क्षेत्रों में यदि चहारदीवारी का भी निर्माण कराते हैं तो जिला पंचायत में शुल्क जमा करना पड़ेगा। यद्यपि यह व्यवस्था 2022 से ही लागू है लेकिन, इसका अनुपालन नहीं हो पा रहा था। अब इसपर भी जिला पंचायत के अधिकारियों, कर्मचारियों की नजर रहेगी। चहारदीवारी के निर्माण के लिए स्वीकृति की दर 20 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से जिला पंचायत में जमा करनी होगी।

चैरिटेबल संस्थाओं को मिलेगी छूट

प्रारूप के मुताबिक चैरिटेबल व आध्यात्मिक-धार्मिक संस्थाएं जो महिला संरक्षण गृहों, विधवाओं तथा निराश्रित महिलाओं, कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्तियों, मूक बधिर तथा अन्य लोगों, भिखारियों तथा नि:सहाय व्यक्तियों के उत्थान के लिए काम करती हैं।

वह ऐसे लोगों के लिए यदि कोई निर्माण कराती हैं तो निर्धारित शुल्क का 35 प्रतिशत धनराशि जमा कराने के बाद उन्हें मानचित्र स्वीकृति प्रदान की जाएगी। यह छूट उन्हीं चैरिटेबल संस्थाओं को अनुमन्य होगी जिन्हें आयकर अधिनियम के तहत छूट प्रदान की गई हो।

अवैध निर्माण पर सील और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होगी

गोरखपुर। जीडीए की सीमा की ही तरह यदि पंचायतों में कोई बिना मानचित्र स्वीकृत कराए निर्माण कराता है तो जिला पंचायत उसे नोटिस देगा। एक महा के भीतर यदि संबंधित व्यक्ति, फर्म, संस्था की ओर से आवश्यक कार्रवाई नहीं की जाती है तो ऐसे निर्माण को अवैध घोषित करते हुए संबंधित को स्वयं एक माह के भीतर निर्माण हटाने के लिए नोटिस दिया जाएगा। तय समय में यदि निर्माण नहीं हटाया जाता है तो जीडीए की ही तरह जिला पंचायत को भी यह अधिकार होगा कि वह ऐसे निर्माण को ध्वस्त कर दे अथवा सील कर दे।

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