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Gorakhpur Flood: गोरखपुर राप्ती नदी की बढ़त जारी, उतरने लगी रोहिन

राप्ती नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है जिससे गोरखपुर में चिंता बढ़ गई है। बुधवार शाम को राप्ती नदी खतरे के निशान से 82 सेंटीमीटर ऊपर बह रही थी। इससे कैंपियरगंज से बड़हलगंज तक परेशानी बढ़ गई है। हालांकि राहत की बात यह है कि रोहिन नदी का पानी उतरने लगा है। बुधवार को रोहिन नदी के जलस्तर में चार सेंटीमीटर की कमी आई।

By Durgesh Tripathi Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 03 Oct 2024 10:13 AM (IST)
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सहजनवां क्षेत्र में आमी नदी भी कहर मचा रही है। जागरण

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। राप्ती नदी के जलस्तर में लगातार हो रही बढ़ोतरी ने चिंता बढ़ा दी है। बुधवार शाम चार बजे बर्डघाट पर राप्ती नदी खतरे के निशान से 82 सेंटीमीटर ऊपर बह रही थी। इस कारण कैंपियरगंज से लगायत बड़हलगंज तक परेशानी बढ़ गई है। सहजनवां क्षेत्र में आमी नदी भी कहर मचा रही है।

कई गांवों को मैरूंड घोषित किया जा चुका है। हालांकि राहत की बात यह है कि रोहिन नदी का पानी उतरने लगा है। बुधवार को रोहिन नदी के जलस्तर में चार सेंटीमीटर की कमी आई। नदी अभी खतरे के निशान से 87 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। सरयू नदी में उतार जारी है तो कुआनो नदी मुखलिसपुर में खतरे के निशान के नीचे बह रही है।

सहजनवां संवाददाता के अनुसार सहजनवां ब्लाक में आमी नदी के पानी से गहिरा और चक चोहरा गांव मैरूंड हो गए हैं। सुथनी, कोडरी कला, तेलियाडीह आदि गांव प्रभावित हैं। पाली ब्लाक में आमी में बाढ़ से भुआ शहीद प्रभावित है तो पिपरौली में बनौड़ा, रखौना, कटका और जरलही गांव पानी से घिर चुके हैं।

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कैली, बेलवाडाड़ी के करीब भी पानी पहुंच रहा है। बाढ़ प्रभावित गांवों में प्रशासन की तरफ से राहत सामग्री देना तो दूर स्वास्थ्य टीम को भी नहीं भेजा गया है। राप्ती नदी के पानी से पाली ब्लाक का कुसम्हा कला और अमसार पूरी तरह से घिरे हुए हैं।

नदी ने फिर से बरहुआं के पास कटान शुरू कर दी है। एसडीएम दीपक गुप्ता ने बताया कि बाढ़ प्रभावित गांवों में नाव लगाने के साथ ही फसलों के नुकसान की रिपोर्ट लेखपालों से मांगी गई है।

कुसमौल संवाददाता के अनुसार आदर्श जनता इंटर कालेज नौसढ़ परिसर में जलभराव होने से पठन-पाठन दो दिन से बंद है। प्रधानाचार्य उदय प्रकाश यादव ने बताया कि बगल के जलाशय से पानी कालेज में आ जा रहा है। वर्षा का पानी भी आता है।

पटनाघाट संवाददाता के अनुसार बड़हलगंज विकास खंड क्षेत्र के बगहा देवार गांव में सरयू नदी की कटान से प्राचीनतम विशाल वट वृक्ष नदी में विलीन हो गया है। पानी कम होते ही बगहा गांव में सरयू नदी का कटान फिर से तेज हो गई है।

ग्रामीण बेचिया देवी, ममता देवी, गेनिया देवी, प्रभावती देवी, दीपचंद, विनोद, अमरनाथ का कहना है कि कटान इसी तरह होती रही तो गांव छोड़ना पड़ेगा। कटान पीड़ित अमरनाथ साहनी, सौदागर सिंह, झब्बू साहनी, नन्हें पाल, अमन सिंह, सूरज पाल, गौरी साहनी, अजय पाल आदि का आरोप है कि बाढ़ खंड के अधिकारी बचाव कार्य में मनमानी कर रहे हैं।

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बचाव कार्य के नाम पर सिर्फ खानापूरी हो रही है। बाढ़ खंड के सहायक अभियंता नीरज कुमार का कहना है कि विद्यालय के पास काम चल रहा है। पानी कम होते ही आबादी की तरफ भी पार्कोपाइन, बंबू क्रेट, ट्री स्पर डालकर कटान रोकी जाएगी।। परियोजना के तहत कटान रोकने पर कार्य किया जा रहा है।

मछुआरों ने खोला फ्लापर, फसलों में भरा पानी

मछुआरों की मनमानी से राप्ती नदी का पानी खेत में घुस गया है। इस कारण दर्जनों एकड़ फसल डूब गई है। फसल खराब होने की आशंका से किसान परेशान हैं। मछुआरों ने मिरिहिरिया फ्लापर को बुधवार को खोल दिया था। इससे पहले भी वह इसे खोल चुके हैं।

सिंचाई विभाग के अधिकारी भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि सूचना मिलने पर फ्लापर को ठीक कर रेत से भरी बोरियां डाली दी जाती हैं। चकदहा-भुजौली गांव को जाने वाले मार्ग पर बाढ़ का पानी चढ़ने से आवागमन ठप हो गया है। नाव से लोग आ-जा रहे हैं।

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