गोरखपुर में नदियां उतार पर, छोटे वाहनों के लिए खुला गोरखपुर-वाराणसी राजमार्ग
बुधवार को गोरखपुर में किसी बांध से रिसाव की सूचना नहीं मिली लेकिन बहाव तेज होने के कारण अफसर सतर्क हैं। बांधों की निगरानी बढ़ा दी गई है। राप्ती नदी वर्ष 1998 के स्तर से अब 68 सेमी नीचे आ चुकी है।
By Pradeep SrivastavaEdited By: Updated: Wed, 08 Sep 2021 03:45 PM (IST)
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। नदियों के जलस्तर में उतार के बीच बुधवार को चली तेज हवाओं ने बांधों पर खतरा बढ़ा दिया है। तेज हवा के कारण बांधों की मिट्टी कट रही है। इस बीच राहत की बात यह है कि गोरखपुर-वाराणसी राजमार्ग को छोटे वाहनों के लिए खोल दिया गया है। नकबइठा पुल पर थोड़ी दूर पानी है।
राप्ती खतरे के निशान से 1.87 मीटर ऊपर बह रहीबुधवार को जिले में किसी बांध से रिसाव की सूचना नहीं मिली लेकिन बहाव तेज होने के कारण अफसर सतर्क हैं। बांधों की निगरानी बढ़ा दी गई है। राप्ती नदी वर्ष 1998 के स्तर से अब 68 सेमी नीचे आ चुकी है। हालांकि मंगलवार शाम चार बजे जारी रिपोर्ट के अनुसार नदी खतरे के निशान से 1.87 मीटर ऊपर बह रही थी। सरयू नदी खतरे के निशान से 52 सेमी नीचे बह रही है।
कुआनो नदी खतरे के निशान से 1.16 मीटर नीचे बह रही है। रोहिन नदी अब घटकर खतरे के निशान पर आ गई है। रोहिन में पानी कम होने से राप्ती पर दबाव कम हुआ है। पाली क्षेत्र के सहजनवां-डुमरिया बाबू बांध पर सुरगहना के पास कटान में कमी आयी है। अफसरों का कहना है कि जैसे-जैसे नदी का पानी उतरता जाएगा बंधों पर दबाव कम होता जाएगा।
तेजी से चल रहा बचाव व राहत कार्य
डीएम विजय किरन आनन्द ने बताया कि जिले के बाढ़ प्रभावित इलाकों में बचाव व राहत कार्य तेजी से चलाए जा रहे हैं। ग्रामीणों के लिए खाद्य सामग्री के साथ ही पशुओं के भूसा व चारा की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। 38 हजार 100 खाद्यान्न किट एवं तिरपाल का वितरण किया जा चुका है। तहसीलों में संचालित सामुदायिक किचन के माध्यम से 12 हजार भोजन के पैकेट वितरित किए गए हैं। बाढ़ प्रभावित परिवारों में 23 हजार 550 लीटर मिट्टी तेल का वितरण किया गया है। क्लोरीन की गोली का वितरण तेजी से किया जा रहा है। 1089 वायल एंटी स्नेक वेनम रिजर्व रखा गया है।
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