गोरखपुर में हादसों को कम करने का प्रयास शुरू, खराब सड़क व ब्लैक स्पाट ठीक करने को एसपी ने लिखा पत्र
हाइवे पर स्थानीय सड़क पर चिन्हित स्थानों पर सर्वाधिक हादसे होते हैं। ऐसे में जिले में बढ़ रहे सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के उद्देश्य से एसपी यातायात डा. एमपी सिंह ने लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को पत्र लिखा है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। ब्लैक स्पाट की वजह से गोरखपुर जिले में बढ़ रही सड़क दुर्घटना को कम करने के प्रयास शुरू हो गए हैं। जागरण के सड़क सुरक्षा अभियान में प्रमुखता से यह मामला प्रकाशित होने के बाद एसपी यातायात डा. एमपी सिंह ने सड़क में खामी की वजह से जिन स्थानों पर दुर्घटना होती है उसे ठीक कराने के लिए लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को पत्र लिखा है। दुर्घटना की मुख्य वजह बने ब्लैक स्पाट को भी ठीक कराने को कहा है।
नौसढ़ खजनी मार्ग की स्थिति सबसे खराब
जिले में होने वाली अधिकांश दुर्घटनाओं की वजह सड़क की खराब बनावट और ब्लैक स्पाट है। सबसे खराब स्थिति नौसढ़ खजनी मार्ग की है। पांच किलोमीटर तक सड़क के बाएं तरफ की पटरी बाइडिंग करके (गिट्टी कूटकर) छोड़ दिया गया है। यहां न तो डिवाइडर बना है और न ही ट्रैफिक लाइट है। खानिमपुर में 500 मीटर के अंदर तीन जगह सकरी पुलिया हादसे की वजह है। गोरखपुर-वाराणसी राजमार्ग पर चौमुखा से लेकर नौसढ़ तक।
डिवाइडर पर झाड़ी न होने से होता है हादसा
लखनऊ मार्ग पर कालेसर से कोनी मोड़ तक जगह-जगह खोले गए कट और डिवाइडर पर झाड़ी न होने से आए दिन हादसा होता रहता है। सोनौली हाइवे कहने को फोरलेन है जंगल कौड़िया से बगही भारी (सात किमी), भगवानपुर से हरनाथपुर (पांच किमी), कैंपियरगंज ओवरब्रिज से फरेंदा जंगल तक (पांच किमी) हाइवे डबल लेन है। जिसकी वजह से ब्लाइंड मोड पर ओवरटेक करने के दौरान सबसे ज्यादा हादसे होते हैं।
दुर्घटनाओं को रोकने का प्रयास जारी
एसपी यातायात डा. एमपी सिंह ने बताया कि शहर और गांव को जोड़ने वाले हाइवे व सड़क पर जहां हादसे की वजह खराब इंजीनियरिंग है वहां संकेतक और ब्लिंकर-रिफ्लेक्टर के लिए लोक निर्माण विभाग को पत्र लिखा गया है। इसके साथ ही जिले के सभी चिन्हित ब्लैक स्पाट पर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी उपाय करने को कहा है।
चिन्हित ब्लैक स्पाट
दाना पानी रेस्टोरेंट, कालेसर जीरो प्वाइंट, बोक्टा चौराहा, कसरौल, भीटी रावत, कोनी तिराहा, महावनखोर, रामनगर कड़जहां, मोतीराम अड्डा और नौसढ़ तिराहा पर तीव्र मोड़ और छोटे डिवाइडर होने की वजह से हादसे होते हैं।