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'सनातन धर्म ही एकमात्र धर्म है, बाकी...', विवाद के बीच बोले CM योगी; कहा- आघात हुआ तो संकट में आ जाएगी...

योगी ने कहा कि कहा कि सनातन धर्म की व्यापकता को समझने के लिए हमें श्रीमद्भागवत का सार समझना होगा। उस उस सार को समझने के लिए विचारों को संकीर्ण नहीं रखना होगा। जिनकी सोच संकुचित हाेगी वह श्रीमद्भागवत के विराट स्वरूप का दर्शन नहीं कर सकते। सात दिन तक चलने वाली कथा जिसने भी सुनी होगी उसे अपने जीवन कुछ अच्छे परिवर्तन जरूर देखने को मिलेंगे।

By Rakesh RaiEdited By: Mohammad SameerUpdated: Tue, 03 Oct 2023 07:16 AM (IST)
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श्रीमद्भागवत महापुराणा कथा ज्ञानयज्ञ के विश्राम अवसर पर बोले मुख्यमंत्री (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, गोरखपुर: ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ के पुण्यतिथि समारोह के अंतर्गत गोरखनाथ मंदिर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के विश्राम अवसर पर सोमवार की शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि धर्म एक ही है, वह है सनातन धर्म। बाकी सब संप्रदाय और उपासना पद्धति हैं। सनातन धर्म मानत का धर्म है। यदि सनातन धर्म पर आघात होगा तो विश्व की मानवता पर संकट आ जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन धर्म की व्यापकता को समझने के लिए हमें श्रीमद्भागवत का सार समझना होगा। उस उस सार को समझने के लिए विचारों को संकीर्ण नहीं रखना होगा। जिनकी सोच संकुचित हाेगी, वह श्रीमद्भागवत के विराट स्वरूप का दर्शन नहीं कर सकते।

योगी ने कहा कि सात दिन तक चलने वाली कथा जिसने भी सुनी होगी, उसे अपने जीवन कुछ अच्छे परिवर्तन जरूर देखने को मिलेंगे।

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उन्होंने कहा कि भागवत कथा अपरिमित है, इसे दिन या घंटों में नहीं बांधा जा सकता। योगी ने कहा कि सभी भारतवासियों को गौरव की अनुभूति करनी चाहिए कि हमें भारत में जन्म मिला है। क्योंकि भारत में जन्म लेना दुर्लभ है और उसमें भी मनुष्य का शरीर पाना और भी दुर्लभ।

जनहित में भगवान श्रीकृष्ण ने लिए प्रेरणादायी संकल्प: श्रीकृष्णचंद्र

श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के अंतिम दिन कथाव्यास श्रीकृष्णचंद्र शास्त्री ने भक्ताें को भगवान श्रीकृष्ण के उन संकल्पों के बारे बताया, जो उन्होंने जनहित लिए थे। कथाव्यास ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण जब तक ब्रज में रहे तब तक उन्होंने चप्पल नहीं पहना। उनका संकल्प था कि जब तक हमारे राष्ट्र के प्रत्येक जन के पैर में चप्पल न हो जाय, तब तक मैं स्वयं भी चप्पल नहीं पहनूंगा।

इसी तरह उन्होंने ब्रज में रहने के दौरान केश भी नहीं कटवाए क्योंकि उन्होंने संकल्प लिया था कि जब तक वह लोगों को कंस के भय से मुक्त नहीं करा लेंगे, तबतक केश नहीं कटवाएंगे। कथा व्यास ने कहा कि श्रीकृष्ण ने अपने मुकुट पर मोर का पंख इसलिए धारण किया कि दुनिया में मोर ही ऐसा जीव है, जो कामत्यागी है। उसके अन्दर काम भावना का प्रवेश नहीं होता। मोर पंख से भगवान ने मानव को यह संदेश दिया कि जो काम भावना का त्याग करता है, वह उन्हें अत्यंत प्रिय होता है।

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