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Sawan 2022: बेहद रोचक है महादेव झारखंडी मंदिर का इतिहास, यहां सच्चे मन से अभिषेक करने से पूरी होती हैं मुरादें

Jharkhandi Mahadev Temple सावन में महादेव झारखंडी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगती है। यहां लोग जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने के बाद मेले का भी आंनद उठाते हैं। इस मंदिर का इतिहास काफी रोचक है। आइए हम आपको बताते हैं पूरी कहानी...

By Pragati ChandEdited By: Updated: Sat, 09 Jul 2022 06:23 PM (IST)
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Sawan 2022: महादेव झारखंडी मंदिर का इतिहास। फोटो- संगम दूबे।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। भगवान शिव का महीना माना जाने वाला सावन 14 जुलाई से शुरू हो रहा है। शिव पूजा के लिए इस माह के प्रत्येक दिन का बड़ा महत्व है, लेकिन सोमवार का विशेष महत्व है, क्योंकि सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है। श्रद्धालुओं की आस्था व श्रद्धा को देखते हुए शिव मंदिरों में जलाभिषेक की तैयारियां शुरू हो गई हैं। श्रावस मास तथा श्रवण नक्षत्र से भगवान शिव का गहरा संबंध है। इस महीने में भक्तगण शिव की आराधना में संलग्न होकर प्रतिदिन जलार्पण का संकल्प लेते हैं। वहीं गोरखपुर का एक ऐसा मंदिर जहां भगवान भोलेनाथ खुद प्रकट हुए थे। आइए हम आपको गोरखपुर के महादेव झारखड़ी मंदिर के बारे में खास बात बताते हैं।

दूर-दूर से आते भक्त: झारखंडी महादेव मंदिर में सावन के महीने में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगती है। शहर के अलावा दूर-दूर से लोग जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने आते हैं।

महादेव झारखंडी मंदिर का इतिहास: झारखंडी महादेव मंदिर की कहानी बड़ी रोचक है। यहां सैकड़ों साल पहले जंगल हुआ करता था। यहां के जमींदार गब्बू दास को रात में भगवान भोलेनाथ का सपना आया। भगवान शिव ने बताया कि तुम्हारी जमीन में अमुक स्थान पर शिवलिंग है। उसकी खोदाई करवाकर वहां मंदिर का निर्माण कराओ। इसके बाद जमींदार और स्थानीय लोगों ने वहां पहुंचकर खोदाई कराई तो शिवलिंग निकला। तभी से वहां अनवतर पूजा-अर्चना हो रही है।

जलाभिषेक करने से दूर हो जाते हैं कष्ट: मान्यता है कि यहां जलाभिषेक करने से सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। सच्चे मन से जलाभिषेक करने वाले भक्तों की सारी मुरादें पूरी होती हैं। शहर के प्राचीन मंदिरों में महादेव झारखंडी मंदिर प्रमुख स्थान रखता है।

मेले का आनंद लेते हैं लोग: झारखंडी महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि का पर्व हो या सावन का महीना, हमेशा भक्तों की कतारें लगती हैं। वहीं शिवरात्रि पर यहां बड़ा मेला लगता है। जबकि सावन में सामान्य मेला लगा रहता है। ऐसे में यहां आने वाले भक्त भगवान शिव की पूजा अर्चना के बाद मेले का भी आनंद लेते हैं।

सभी फोटो- संगम दुबे।