School Book: गोरखपुर में स्कूल खुलने को तैयार, बच्चे कर रहे किताबों का इंतजार
children waiting for books गोरखपुर के कई प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों के लिए किताबें अभी तक नहीं आई हैं। वहीं जुलाई में स्कूल खुलने वाला है। तिलौली सरदारनगर की प्रधानाध्यापक अलपा निगम ने बताया कि यहां कक्षा तीन-पांच तक में पांच-पांच किताबें चलती हैं लेकिन अभी तक महज तीन विषयों की पाठ्यपुस्तकें ही मिली हैं यानी आधी-अधूरी। कार्य पुस्तिका कब तक मिलेंगी इसकी जानकारी है।
प्रभात कुमार पाठक, जागरण गोरखपुर। परिषदीय विद्यालयों में नया सत्र शुरू हुए लगभग तीन माह बीतने को हैं पर अभी तक सभी बच्चों के हाथों तक निश्शुल्क किताबें नहीं पहुंची हैं। शहरी क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश विद्यालय के बच्चे पुस्तकों का इंतजार कर रहे हैं।
यही वजह है कि सत्र के शुरुआती माह में ही स्कूलों में बिना पुस्तकों के पढ़ाई हो रही है। वहीं, विभाग का दावा है कि 80 से 90 प्रतिशत विद्यालयों में पुस्तकें वितरित हो चुकीं हैं। गत वर्ष अप्रैल के अंत तक अधिकांश विद्यालयों में पुस्तकें वितरित कर दी गई थीं।
वर्तमान में जिले में कुल ढाई हजार स्कूलों के सवा तीन लाख बच्चों को लगभग 25 लाख पुस्तकें वितरित की जानी हैं। विभाग के अनुसार अभी तक एक व दो कक्षा को छोड़कर अन्य कक्षाओं के लिए 80 प्रतिशत से अधिक पुस्तकें पहुंच चुकी हैं। इनमें भी अधिकांश कक्षाओं की पुस्तकें अभी भी आधी-अधूरी हैं।
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विभाग हर बार दावा करता है कि निर्धारित समय पर आवश्यक प्रक्रिया पूरी कर एक अप्रैल से पहले स्कूलों को पुस्तकें उपलब्ध करा दी जाएंगी, लेकिन उनका यह दावा धरा रह जाता है। पिछले साल दिसंबर में ही टेंडर हो गया था। जनवरी से पुस्तकों की आपूर्ति शुरू हो गई थी।
एक अप्रैल को स्कूलों में बाकायदा कार्यक्रम आयोजित कर सभी विषयों की पुस्तकें दी गई थीं। पिछले साल भी जिन स्कूलों में पुस्तकें समय से पहुंच गई थीं उसमें अधिकांश स्कूल शहरी क्षेत्र के रहे, जबकि ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षक इंतजार करते रहे।
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प्राथमिक विद्यालय आराजी बसडीला के प्रधानाध्यापक आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि पिपराइच ब्लाक के अधिकांश विद्यालयों में पुस्तकें वितरित नहीं की गई हैं। कंपोजिट विद्यालय जोधपुर के शिक्षक नरेंद्र यादव ने बताया कि उनके यहां भी अब तक कक्षा एक से पांच तक की आधी-अधूरी किताबें ही मिली हैं। जब तक किताबें नहीं मिल जातीं पढ़ाना मुश्किल होगा।