दिव्यांगजनों के लिए वंदे भारत हमसफर राजधानी शताब्दी और दुरंतो जैसी ट्रेनों में भी टूएस चेयरकार स्लीपर और एसी थर्ड में चार-चार सीट/बर्थ आरक्षित रहेगी। भले ही ऐसी ट्रेनों में दिव्यांगजन को रियायती किराए की सुविधा उपलब्ध हो या न हो। समीक्षा के बाद रेलवे बोर्ड ने दिव्यांग यात्रियों के लिए सभी ट्रेनों में सीट/बर्थ की संख्या निर्धारित कर आरक्षण के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिया है।
प्रेम नारायण द्विवेदी,
गोरखपुर। दिव्यांग रेल यात्रियों के लिए राहतभरी खबर है। अब दिव्यांगजनों के लिए वंदे भारत, हमसफर, राजधानी, शताब्दी और दुरंतो जैसी ट्रेनों में भी टूएस, चेयरकार, स्लीपर और एसी थर्ड में चार-चार सीट/बर्थ आरक्षित रहेगी। भले ही ऐसी ट्रेनों में दिव्यांगजन को रियायती किराए की सुविधा उपलब्ध हो या न हो। समीक्षा के बाद रेलवे बोर्ड ने दिव्यांग यात्रियों के लिए सभी ट्रेनों में सीट/बर्थ की संख्या निर्धारित कर आरक्षण के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिया है।
नई व्यवस्था के अंतर्गत यह सुविधा केवल उन्हीं आरक्षण काउंटरों पर उपलब्ध होगी, जहां रियायती टिकट बुकिंग की सुविधा है। सेंटर फार रेलवे इंफार्मेंशन सिस्टम (क्रिस) उन ट्रेनों में भी दिव्यांगजनों को जारी विशिष्ट आइडी कार्ड का सत्यापन करने के लिए साफ्टवेयर में आवश्यक संशोधन करेगा, जहां रियायती किराया सुविधा उपलब्ध नहीं है।
क्रिस यह भी सुनिश्चित करेगा कि जब भी कोई दिव्यांगजन वंदे भारत में टिकट बुक करे तो उसे कोच संख्या सी 1, सी 7 और सी 14 में विशेष रूप से डिजाइन की गई सीट संख्या 40 उपलब्ध कराई जाए। यदि वंदे भारत में दिव्यांगजन ने टिकट बुक करा लिया है, परंतु उनके अनुरक्षक के लिए निर्धारित एक या दोनों सीटें खाली हैं तो दिव्यांगजन को खाली सीट दी जा सकती है।
आनलाइन टिकट बुक करने की सुविधा केवल उन्हीं दिव्यांगजनों के लिए उपलब्ध होगी, जिन्हें रेलवे द्वारा विशिष्ट आइडी कार्ड जारी किया गया है। काउंटर पर टिकट बुक करने के लिए निर्धारित प्रोफार्मा में रियायती प्रमाणपत्र की प्रति प्रस्तुत करने पर यह सुविधा उपलब्ध होगी।
रेलवे बोर्ड से दिव्यांग यात्रियों के लिए निर्धारित की गई सीट/बर्थ
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शयनयान श्रेणी में चार बर्थ (दो निचली और दो मध्य)
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थ्री इकोनामी या थ्री एसी में चार बर्थ (दो निचली और दो मध्य)
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गरीब रथ एक्सप्रेस गाड़ियों के एसएलआरडी कोच में चार बर्थ
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सेमी हाईस्पीड वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन में चार सीट।
आसान होगा रेलकर्मियों का आन रिक्वेस्ट ट्रांसफर
रेलकर्मियों का आन रिक्वेस्ट ट्रांसफर आसान होगा। दरअसल, अन्य क्षेत्रीय रेलवे से नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट मिल जाने के बाद भी अवधि समाप्त हो जाती है और आन रिक्वेस्ट ट्रांसफर नहीं हो पाता है। नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन रेलवे (एनएफआइआर) की मांग पर रेलवे बोर्ड ने सभी क्षेत्रीय रेलवे को पत्र जारी कर निर्देशित किया है कि सभी क्षेत्रीय रेलवे आन रिक्वेस्ट ट्रांसफर पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित करें।
नो आब्जेक्शन की अवधि समाप्त हो गई है तो उसे छह महीने से एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ (पीआरकेएस) ने बोर्ड के इस फैसले का स्वागत किया है। महामंत्री विनोद राय ने बताया कि रेलकर्मियों को अपने गृह जनपद में नौकरी करने का रास्ता सुगम हो जाएगा। अरविंद कुमार सिंह, मनोज द्विवेदी, डीके तिवारी आदि पदाधिकारियों ने प्रसन्नता व्यक्त की है।
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