गोरखपुर एम्स में ड्रिप लगाने के लिए बुजुर्ग के हाथ में कर दिए कई छेद, खून देख आधी रात को बुलानी पड़ी पुलिस
आद्या पांडेय की तबीयत बुधवार को खराब हो गई। उनका रक्तचाप सामान्य से कम हो गया। स्वजन उन्हें जिला अस्पताल ले गए तो वहां डाक्टर ने किसी बड़े अस्पताल में ले जाने की सलाह दी। स्वजन उन्हें एम्स की इमरजेंसी में भर्ती करा दिए। डाक्टर ने जांच के बाद ग्लूकोज चढ़ाने की बात कही। मरीज की हालत एकदम ठीक थी।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। बिछिया के आजाद नगर निवासी 87 वर्षीय आद्या पांडेय एम्स में भर्ती थे। उनके स्वजन आशुतोष पांडेय ने आरोप लगाया है कि पैरामेडिकल स्टाफ ने ड्रिप व इंजेक्शन लगाने के लिए उनके हाथ में इतनी जगह छेद कर दिया कि खून से उनकी बनियान भीग गई।
ग्लूकोज की ड्रिप चलनी बंद हो गई थी। आधी रात को स्वजन ने हंगामा किया तो कर्मियों ने इसे सामान्य बात कहकर मामले को टाल दिया। इसके बाद आशुतोष ने 112 नंबर पर फोन कर पुलिस बुलाई और रोगी को डिस्चार्ज कराकर निजी अस्पताल ले गए। उपचार के बाद बुजुर्ग की हालत अब खतरे से बाहर है।
आद्या पांडेय की तबीयत बुधवार को खराब हो गई। उनका रक्तचाप सामान्य से कम हो गया। स्वजन उन्हें जिला अस्पताल ले गए तो वहां डाक्टर ने किसी बड़े अस्पताल में ले जाने की सलाह दी। स्वजन उन्हें एम्स की इमरजेंसी में भर्ती करा दिए। डाक्टर ने जांच के बाद ग्लूकोज चढ़ाने की बात कही।
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आशुतोष बताते हैं कि वह बाबा को बेड पर लिटाकर अन्य स्वजन को बुलाने बाहर आ गए। कुछ देर बाद वापस गए तो देखा कि पैरामेडिकल स्टाफ ने ड्रिप और इंजेक्शन लगाने के लिए हाथ में इतने छेद कर दिए कि खून से बनियान रंग गई है।
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एम्स के मीडिया प्रभारी डा. अरूप मोहंती का कहना है कि 87 वर्ष का बुजुर्ग भर्ती हुए थे। इमरजेंसी वार्ड में कोई हंगामा व पुलिस आने की जानकारी नहीं है। मरीज की हालत एकदम ठीक थी।
उनको डिचार्ज करके स्वजन को बताया गया कि कल सुबह ओपीडी में दिखा लीजिये। अब मरीज को इमरजेंसी की जरूरत नहीं है। स्वजन डिचार्ज कराने को राजी नहीं थे। उनसे कहा गया कि जब मरीज ठीक है तो रात भर इमरजेंसी वार्ड में क्यों रखें, हमें दूसरा मरीज भर्ती करना होता है।
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